Home Blog

Ayatul Kursi Hindi Mein – आयतल कुर्सी पढ़ने के (18) फायदे

Hits: 10934

Ayatul Kursi – आयतल कुर्सी सूरह बक़रह की 255 वि आयत है ! Ayatul Kursi आयतल कुर्सी की बड़ी ही फ़ज़ीलत है ! उनमे से कुछ यहाँ बयान की है !
सबकी सुविधा के हिसाब से निचे हमने आयतुल कुर्सी ( Ayatul Kursi Hindi Image ) की इमेज हिंदी में और आयतुल कुर्सी की इमेज इंग्लिश ( Ayatul Kursi English Image ) में अपलोड की है !
तो आयतुल कुर्सी ( Ayatul Kursi Image ) की इमेज डाउनलोड करके आप आसानी से पढ़ सकते है और याद कर सकते है ! सबसे पहले जान लेते है आयतल कुर्सी के 4 फ़ज़ाइल

Aytul Kursi Ki Fazilat

(1) हदीस शरीफ़ में है कि यह आयत ( Ayatul Kursi ) कुरआने मजीद की आयतों में बहुत ही अज़मत वाली आयत है ।

(2) हज़रते सय्यिदुना उबय्य बिन का’ब रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है ! कि हुस्ने अख़्लाक़ के पैकर, नबियों के ताजवर, महबूबे रब्बे अकबर हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : ऐ अबू मुन्जिर ! क्या

तुम्हें मालूम है कि कुरआने पाक की जो आयतें तुम्हें याद हैं उन मेँ कोनसी आयत अजीम है ?

मैंने अर्ज़ किया  – अल्लाहु ला इला-ह इल्लल्लाहु-वल हय्युल क़य्यूमु

फिर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम ने मेरे सीने पर हाथ मारा और फ़रमाया ऐ अबू मुन्सिर तुम्हें इल्म मुबारक हो ।

(3) मुस्तदरक की एक रिवायत में है कि ‘ ‘सूरए ब-करह'” में एक आयत है ! जो कुरआने पाक की तमाम आयतों की सरदार है ! वोह आयत जिस घर में पडी जाए उस घर से शेतान निकल जाता है ! और वोह आयतल कुर्सी ( Ayatul Kursi ) है ।

(4)अमीरुल मुअमिनीन हज़रते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते हैँ कि मैंने नूर के पैकर, तमाम नबियों के सरवर, दो जहां के ताज़वर, सुस्ताने बहूरो बर हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि व सल्लम को मिम्बर पर फ़रमाते हुए सुना !

जो शख्स हर नमाज़ के बा’द आयतल कुर्सी  पढे ! उसे हैं ज़न्नत में दाखिल होने से मौत के सिवा कोई चीज़ नहीं रोकती ! और जो कोई रात को सोते वक़्त इसे पढेगा ! अल्लाहु अज्ज्वज़ल  उसे, उस के घर को और उसके आस पास के घरों को महफूज फ़रमा देगा

You Also Read –

Darood Sharif in Hindi

Masnoon Dua In Hindi

आयतल कुर्सी  की पांच बरकते 

जो शख्स हर नमाज़ के बाद ‘ आयतल कुर्सी  ( Ayatul Kursi ) पढेगा ! उस को हस्बे जैल बर-कतें नसीब होंगी ‘

(1) वोह मरने के बा’द जन्नत में जाएगा ! इंशाअल्लाह !

(2) वोह शैतान और जिन की तमाम शरारतों से महफ़ूज़ रहेगा ।  इंशाअल्लाह !

(3) अगर मोहताज होगा तो चन्द दिनों मेँ उस की मोहताजी और ग़रीबी दूर हो जाएगी ।  इंशाअल्लाह !

(4) जो शख्स सुबह व शाम और बिस्तर पर लेटते वक़्त

आयतल कुर्सी ( Ayatul Kursi ) और इस के बा’द की दो आयतें * ख़ालिदून *तक पढा करेगा ! वोह चोरी, गर्क आबी (पानी में डूबने) और जलने से महफूज रहेगा ।  इंशाअल्लाह !

(5) अगर सारे मकान में किसी ऊंची जगह पर आयतल कुर्सी ( Ayatul Kursi ) लिख दी जाए जिस पर हर किसी की नज़र पढ़ती हो  इंशाअल्लाह ! उस घर में कभी फ़ाक़ा न होगा बल्कि रोजी में ब-र-कत और इज़ाफ़ा होगा ! औंर उस मकान में कभी चोर ना आएगा !

Ayatul Kursi In Arebic-

اللَّهُ لاَ إِلَهَ إِلاَّ هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ لاَ تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلاَ نَوْمٌ لَهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الأَرْضِ مَنْ ذَا الَّذِي يَشْفَعُ عِنْدَهُ إِلاَّ بِإِذْنِهِ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلاَ يُحِيطُونَ بِشَيْءٍ مِنْ عِلْمِهِ إِلاَّ بِمَا شَاءَ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاواتِ وَالأَرْضَ وَلاَ يَئُودُهُ حِفْظُهُمَا وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ

Ayatul Kursi In Hindi

अल्लाहु ला इला-ह इल्लल्लाहु-वल हय्युल क़य्यूमु 

ला तअ् खुज़ुहू सि-न तुंव-व ला नौम लहू मा फि़स्समावातिं व मा 

फ़िल अर्ज़ि मन ज़ल्लज़ी यश् फ़उ अिन-द-हू इल्ला बिइज़्निही 

यअ्लमु मा बै-न एेदीहिम व मा ख़ल-फ़ हुम व ला युहीतू-न 

बि शैइम मिन अिल्मि ही इल्ला बि-मा शा-अ व सि-अ कुर्सि-युहूस्समावाति 

वल अर्ज़ि व ला यऊदु हू हिफ़्जुहुमा व हुवल अ़लीयुल अज़ीम !

तर्जुमा- Ayatul Kursi Tarjuma In Hindi 

अल्लाह है जिस के सिवा कोई माबूद नहीं वह आप ज़िंदा

और औरो का क़ाइम रखने वाला उसे ना ऊंघ आये ना नींद उसी का है जो कुछ आसमानो

में है और जो कुछ ज़मीन में वोह कौन है जो उसके यंहा सिफ़ारिश करे

बे उसके हुक्म के जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे

और वोह नहीं पाते उस के इल्म में से मगर जितना वह चाहे उसकी की कुरसी में समाये

हुए है आसमान कोर ज़मीन और उसे भारी नहीं उनकी निगहबानी और वोही बुलन्द बड़ाई वाला

आयतुल कुर्सी पढ़ने के फायदे 

Benefits Of Ayatul Kursi – आयतल कुर्सी के बहुत से फायदे हैं ! इनमे से कुछ फायदे हमने बयां किये है ! आप पूरा पढ़िए और इन फायदों को फॉलो करें, तो इंशाअल्लाह आपको भी ज़रूर फायदा होगा !

1. अगर आप बाजार में जाते वक़्त , आयतुल कुर्सी पढ़कर निकलते हैं ! तो अल्लाह पाक आपको हर तरह के नुक़सानात से बचाएगा।

2. एक हदीस में है की आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया- जो शख्स हर फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद आयतल कुर्सी पढ़ते हैं ! तो अल्लाह पाक आपकी अगले फ़र्ज नमाज़ तक हिफाज़त करेगा !

3. हर रात को सोते वक़्त की दुआ और आयतल कुर्सी पढ़ने से अल्लाह तआला आपकी हिफाज़त के लिए रात भर एक फरिश्ता मुक़र्रर कर देता हैं !

4. जिस शख्स के घर में आयतुल कुर्सी रोज़ पढ़ी जाती हो, उस घर से शैतान बहार निकल जाता है !

5. हज़रत अली रदियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते है मैने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते हुए सुना जो शख्स हर नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ेगा ! उसको जन्नत में दाखिल होने से कोई चीज़ नहीं रोक सकती, वो मरते ही जन्नत में चला जायेगा ! और जो शख्श रात को सोने से पहले इसे पढ़ेगा ! तो वो, उसके पड़ोसी और उसके आस पास के घर वाले शैतान और चोरों से मेहफ़ूज़ रहेंगे !

Benefits Of Ayatul Kursi

6. आयतुल कुर्सी पढ़ने वाला सुबह से शाम तक जिन्नात के बुरे असर से बचे रहते हैं !

7. इस सूरह को खाने और पानी में फूंक डालने से बरकत होती है !

8. जो शख्स घर में दाखिल होते वक़्त आयतुल कुर्सी पढ़ता है ! तो उसके घर में दाखिल होते ही शैतान वहां से भाग जाता है !

9. इस आयत को पढ़ने वाला, उसके बच्चे, उसका माल और उसके पड़ोसी मेहफ़ूज़ रहते हैं !

10. जो कोई आयतुल कुर्सी को, सूरह बकराह की आखिरी आयतों के साथ पढ़ता है ! शैतान तीन दिनों तक उसके घर में दाखिल नहीं होता है।

11. जिन्नात ऐसा कोई बर्तन नहीं खोल सकता जिस पर वह पढ़ा हो !

12. जो कोई भी सुबह अयातुल कुर्सी और सूरह गाफिर की तिलावत करके अपने दिन की शुरुआत करता है ! तो वो सुबह से लेकर शाम तक मेहफ़ूज़ रहता है !

13. जो हर सुबह आयतुल कुर्सी का पढ़ता है वह रात तक अल्लाह की हिफाज़त में रहता है !

17. आयतुल कुर्सी को बार बार पढ़ने से मौत के वक़्त ज्यादा तकलीफ नहीं होती !

18. अगर कोई मुसाफिर आयतुल कुर्सी का पढ़ता है ! तो अल्लाह उसके घर लौटने तक उसके लिए इस्तिफार करने के लिए 70,000 फ़रिश्ते भेजेगा ! और उसके लौटने पर गरीबी दूर हो जाएगी !

 

ayatul kursi in hindi

 

ayatul kursi in english

Dua e Qunoot – दुआए क़ुनूत | English-Arebic-Hindi (Hd Image -3)

0

Hits: 9277

Dua e Qunoot – अस्सलामो अलैकुम मेरे प्यारे प्यारे भाईओ और बहनो इस पोस्ट में आप देखेंगे दुआए क़ुनूत हिंदी (Dua e Qunoot Hindi) में तर्जुमा के साथ ! और साथ ही आप की सुविधा के हिसाब से हमने दुआए क़ुनूत (Dua e Qunoot) की 3 इमेज इस पोस्ट में अपलोड की है 

Dua e Qunoot Images Download Link
1. दुआए क़ुनूत की हिंदी इमेज – duae qunoot in hindi Image
2. दुआए क़ुनूत की इंग्लिश इमेज – duae qunoot in english image
3. दुआए क़ुनूत की अरेबिक इमेज دعاء القنوت – duae qunoot arabic 

 

you also read 70 – masnoon dua in hindi 

Dua e Qunoot in Hindi – दुआए क़ुनूत

वैसे दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) या किसी भी दुआ को अरबी भाषा में ही पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए ! लेकिन हम हिंदी भाषी है ! और हमें दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) नहीं आती है ! तब दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot Hindi) हिंदी में या इंग्लिश में पढ़कर बहुत अच्छे से समझा जा सकता है ! 

अब जान लेते है दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) याद होना क्यों जरुरी है ? असल में दुआए क़ुनूत बहुत ही अफजल दुआ है ! और इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते है की दुआ ए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) को वित्र की नमाज़ में वाज़िब करार दे दिया 

कब पढ़ी जाती है दुआए क़ुनूत ?

ईशा के वक़्त जब वित्र वाज़िब नमाज़ पढ़ते है ! तब दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunut ) पढ़ी जाती है ! तीसरी रकात में सूरह फातिहा और कोई सूरह पढ लेते हैं ! तब आपको रुकू में जाने से पहले कानों तक हाथ उठाना होता है ! फिर अल्लाहु-अक्बर कहते हुए फिर से हाथ बाँध कर दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunut ) पढनी होती है ! 

दुआए क़ुनूत भूल गए तो क्या नमाज़ होगी ?

अगर आप वित्र की तीसरी रकअत में दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) पढना भूल जाते हैं ! तो आपको सजदए सहव करना पड़ेगा 

सजदए सहव करने का तरीका 

जब आप  वित्र की तीसरी रकअत में दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) पढना भूल गए तब आप पहले बैठकर अत्ताहिय्यात पढ़ेंगे ! और फिर आप एक सलाम फेरेंगे और दूसरा सलाम ना फेरते हुए एक बार फिर से दो सजदे करेंगे ! ( सजदों में सजदों की तस्बीह ही पढ़ना है  ) और फिर अत्ताहिय्यात दुआए मासुरा और दुरूदे इब्राहिम पढ़कर सलाम फेरेंगे 

दुआए क़ुनूत याद नहीं हो तो क्या पढ़े ?

अगर किसी को दुआए क़ुनूत ( Dua e Qunoot ) याद नही हो तो जल्द से जल्द याद करने की कोशिश करना चाहिए ! और केवल जब तक याद न हो जाए तब तक दुआए क़ुनूत की जगह ये दुआ पढ़ना चाहिए  

رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ

हिन्दी में : रब्बना आतिना फिद दुनिया हसनतव वफिल आखिरति हसनतव वकिना अज़ाबन नार

English : Rabbana Aatina Fid-Dunya Hasanatanw Wa-fil Aakhirati Hasanatanw Waqina Azaaban Naar

तर्जुमा- ऐ हमारे रब्ब हमें दुनिया में नेकी और आख़िरत में भी नेकी दे और हमें दोज़ख ले अज़ाब से बचा।

दुआए क़ुनूत रमज़ान में 

1. रमज़ान ( Ramzan) में वित्र की नमाज़ ( vitra ki namaz ) जमात से पढने की इजाज़त दी गयी है ! बाक़ी दिनों में इसकी इजाज़त नहीं है

वित्र की नमाज़ अगर रात में न पढ़ सके ! तो फ़ज़्र से पहले तहज्जुद के वक़्त पढ़ लेना चाहिए ! 

2. रमज़ान मुबारक में जब आप ईशा की नमाज़ और तरावीह की नमाज़ ( taraweeh ki namaz ) पढ़ने के लिए मस्जिद में तशरीफ़ ले जाते है ! तब अगर किसी कारण से आप थोड़ा मुक़र्रर वक़्त से देरी से पहुँचते है ! 

और तब तक अगर ईशा की फ़र्ज़ नमाज़ में आप शामिल नहीं हो सके हो ! तब आप तरावीह की नमाज़ तो जमाअत से पढ़ेंगे ! मगर वित्र की नमाज़ पढ़ते वक़्त जमाअत में शामिल नहीं होंगे और वित्र वाज़िब नमाज़ अलग से पढ़ेंगे !

dua e qunoot arabic mein

Dua-e-Qunoot in Arabic

اَللَّهُمَّ إنا نَسْتَعِينُكَ وَنَسْتَغْفِرُكَ وَنُؤْمِنُ بِكَ وَنَتَوَكَّلُ عَلَيْكَ وَنُثْنِئْ عَلَيْكَ الخَيْرَ وَنَشْكُرُكَ وَلَا نَكْفُرُكَ وَنَخْلَعُ وَنَتْرُكُ مَنْ ئَّفْجُرُكَ اَللَّهُمَّ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَلَكَ نُصَلِّئ وَنَسْجُدُ وَإِلَيْكَ نَسْعأئ وَنَحْفِدُ وَنَرْجُو. رَحْمَتَكَ وَنَخْشآئ عَذَابَكَ إِنَّ عَذَابَكَ بِالكُفَّارِ مُلْحَقٌ

दुआ-ए-क़ुनूत हिंदी – DUA E QUNOOT HINDI

अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनु क व नस-तग़-फिरू- क व  नु’अ मिनु बि-क व न तवक्कलु अलै-क व नुस्नी अलैकल खैर * व नश कुरु-क वला नकफुरु-क व नख्लऊ व नतरुकु मैंय्यफ-जुरूक * अल्लाहुम्मा इय्या का न अ बुदु व ल-क- नुसल्ली व नस्जुदु व इलै-क नस्आ व नह-फिदु व नरजू रह-म-त-क व नख्शा अज़ा-ब-क इन्ना अज़ा-ब-क बिल क़ुफ़्फ़ारि मुलहिक़ *

dua e qunoot in hindi

Dua e Qunoot In English

Allah humma inna nasta-eenoka wa nastaghfiruka 

wa nu’minu bika wa natawakkalu alaika wa nusni

alaikal khair, wa nashkuruka wala nakfuruka 

wa nakhla-oo wa natruku mai yafjuruka, 

Allah humma iyyaka na’budu wa laka nusalli wa

nasjud wa ilaika nas aaa wa nahfizu wa narju rahma

taka wa nakhshaa azaabaka inna azaabaka bil

kuffari mulhik. 

dua e qunoot in english

दुआ ए क़ुनूत का हिंदी तर्जुमा

दुआ ए क़ुनूत का हिंदी तर्जुमा भी ज़रूर पढ़ें ! अगर आप ऊपर अरबी में दुआ ए क़ुनूत को याद नहीं कर सकते हैं तो फिर आप इस के तर्जुमा को ज़रूर पढ़ें ! अल्लाह अज्जावजल आप को और हमें इसका सवाब अता फरमाए

तर्जुमा – ऐ अल्लाह, हम तुझ से मदद चाहते हैं ! और तूझ से माफी मांगते हैं तुझ पर ईमान रखते हैं ! और तुझ पर भरोसा करते हैं ,और तेरी बहुत अच्छी तारीफ करते हैं और तेरा शुक्र करते हैं और तेरी ना सुकरी नहीं करते और अलग करते हैं और छोड़ते हैं ! इस शख्स को जो तेरी नाफरमानी करें. 

ऐ अल्लाह, हम तेरी ही इबादत करते हैं और तेरे लिए ही नमाज़ पढ़ते हैं ! और सजदा करते हैं और तेरी तरफ दौड़ते और झपटते हैं ! और तेरी रहमत के उम्मीदवार हैं और तेरे आजाब़ से डरते हैं, ! बेशक तेरा आजाब़ काफिरों को पहुंचने वाला है.

NAMAZ PADHNE KA SAHI TARIKA 

safar ki dua in hindi | सफर की दुआ हिंदी में ( 3 Dua )

0

Hits: 22194

safar ki dua in hindi – अस्सलामो अलयकुम मेरे प्यारे प्यारे भाइयो और बहनो इस पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे है ! सफर की दुआ (Journey Dua)- safar ki dua हिंदी में ! 

केसा भी सफर हो चाहे आप बाइक बस रेल हवाई जहाज़ या पानी के जहाज़ में ! हमेशा सफर की दुआ [ safar ki dua ] पढ़कर ही सफर {safar} शुरू करना चाहिए !
इस्लाम जैसे खूबसूरत मज़हब में पैदा होना ! और हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम की उम्मत में पैदा होना!  हम सब के लिए फ़क़्र की बात है !
हमारे प्यारे आका हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम ने हमें हर छोटे बड़े काम को करने के लिए बेहतरीन तरीके बताये है ! हमें चाहिए की हम हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम के बताये हुए ! रास्ते पर चलते हुए अपनी जिंदगी गुजारे ! 
लिहाज़ा आप जब भी घर से बाहर निकले तो घर से बाहर जाते वक़्त की दुआ पढ़कर निकला करे ! और जब भी कही बाहर का सफर करे तो सफर की दुआ {Safar ki dua} भी जरूर पढ़ लिया करे

सफर की दुआ हिंदी में

निचे हमने सफर की दुआ हिंदी में बताई है !और सफरकी दुआ का तर्ज़ुमा भी बताया है ! आप की सुविधा के हिसाब से हमने सफर की दुआ हिंदी में लिखकर एक इमेज बनाकर अपलोड की है !
जिसे आप आसानी से अपने मोबाइल वगैरह में डाउनलोड कर सकते है ! और याद कर सकते है  इससे पुरे सफरमें आपकी हिफाज़त रहती है ! और दौराने सफर में आने वाली परेशानी से भी इंसान बचा रहता है 

1.किसी भी तरह का सफर हो लिहाजा ये दुआ जरूर पढ़ना चाहिए ! इससे सफर में आने वाली हर मुसीबत से अल्लाह हिफाज़त फरमाएगा ! इंशा अल्लाह ! 

  Safar ki Dua in Hindi –  

अल्लाहुम्मा इन्ना नस’अलोका फी सफरीना हाजल बिर्रा वल्तकवा व् मीनल अमली मा तरदा अल्लाहुम्मा हावि-न अलयना हाजा अस्सफ़रा व् अत विअना बोअ दोहु अल्लाहुम्मा अंता साहिबु फी सफरी वल खलीफ़तो फि अल अहलि अल्लाहुम्मा ताइस्सफरी व् क़ाबति मुन्क़लबी व् सुवईल मंजरी फि अल अहलि वलमाली वल वलद
ए अल्लाह हम तुझसे अपने इस सफर में नेकी और परहेजगारी और ऐसे अमल का सवाल करते है ! जिससे तू राजी हो ! ए अल्लाह ! तू हम पर हमारे इस सफर को आसान करदे और उसकी मुसाफत को हमारे लिए तैय करदे ! ए अल्लाह तुहि सफर में मालिक और घरवालों का बादशाह है ए अल्लाह हम तेरी पनाह मांगते है ! सफर की तकलीफ से और वापसी की बुराई से और अहलो माल व् औलाद में बुरी बात देखने से

 

02.आप जब भी सफर शुरू करे चाहे बस में सफर करे या बाइक में या मोटर कार में सफर करे ! जब आप किसी भी गाडी में बेठ जाए तो निचे सफर की दुआ हिंदी में दी गयी है इसे पढ़े !

ये सफर की दुआ आप गाड़ी में सवार होते वक़्त पढ सकते है ! या गाड़ी में सवार होने के बाद भी पढ़ सकते है ! भूल जाए तो जब दौराने सफर याद आ जाए ये सफर की दुआ पढ़ सकते है !

बस, मोटर ,बाइक ,हवाई जहाज़, ट्रैन, रिक्शा आदि में सफर करते वक़्त की दुआ – safar karte waqt ki dua

सफर की दुआ हिंदी में

Safar Ki Dua
सुब्हानल्लज़ी सख्खर लना हाज़ा वमा कुन्ना लहू मुक़रिनीन, व इन्ना इला रब्बीना लमुनक़लिबून.
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ – سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَـٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنقَلِبُونَ
तर्जुमा – अल्लाह ताला पाक है जिसने इस सफ़र को हमारे कब्जे में दे दिया, उसकी कुदरत के बिगैर हम इसपर काबू नहीं कर पाते।

 

3. जब आप पानी पर सफर करे तब ये  सफर की दुआ पढ़े 
यानी की कश्ती (नाव) पानी के जहाज़ में सवार होते वक़्त आप ये वाली सफर की दुआ पढ़े 

 

कश्ती (नाव) जहाज़ पर सफर की दुआ हिंदी में 
बिस्मिल्लाही मज़रीहा व् मुरसाहा इन्ना रब्बी आ गफ़ूरुर्रहीम
अल्लाह के नाम पर इसका चलना और ठहरना बेशक़ मेरा रब जरूर बक्शने वाला मेहरबान है

 

You Aso Read-  Dua e Ashura In Hindi

आप की सुविधा के लिए हमने सफर की दुआ की इमेज भी अपलोड की है आप चाहे तो उन्हें सेव करके रखले अपने मोबाइल में ! 

safar ki dua in hindi,safar ki dua hindi mein
safar ki dua in hindi

तर्ज़ुमा 

dua image
safar ki dua

safar ki dua in hindi

safar ki dua
safar ki dua in hindi
तो दोस्तों याद रखिए आप जब भी सफ करे आपको सफर की दुआ लाज़मी पढ़ना ही है और हो सके घर से वुजू करके निकला करे क्या पता दुनिया में किया कोनसा काम मैदाने महशर में हमारे काम आ जाए और हमारी बक्शीश का बाइस बन जाए ! और अच्छी बाते फैलाना भी सदका है !
दुआ में याद रखिये ! अल्लाह हाफिज 

muharram 2023 | मुहर्रम ( 2023 ) | Hijri (1445)

0

Hits: 8

muharram 2023 – अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो आपकी अपनी वेबसाइट-mimworld.in में आपको ख़ुशआमदीद !
मुहर्रम 2023 – मुहर्रम कब है और माहे मुहर्रम में आपको क्या इबादत करना है !उसकी सारी जानकारी भी आपको इस पोस्ट में जयेगी !
मुहर्रम 2023 कब है ? या हिजरी कैलेंडर का नया साल कब है ?  क्याअगर आप इस सवाल का जवाब को तलाश कर रहे हो ! तो आप बिलकुल सही आर्टिकल पढ़ रहे हो !
  
इस आर्टिकल में आपको मुहर्रम 2023 से रेलेटेड सारी जानकारी मिल जाएगी ! 
जैसे यौमे आशुरा कब है और इंडिया में कब मनाया जाएगा ? वगैरह 
सबसे पहले आपको माहे मुहर्रम की कुछ ख़ास तारीखों के वारे में बतादे ! इससे पहले ये जानना जरूरी है की मुहर्रम का चाँद  कब दिखाई देगा ! 

Muharram 2023 Ka Chand

मुहर्रम 2023 का चाँद 20 जुलाई को दिखते ही इस्लामिक नया साल यानी की हिजरी 1445 शुरू हो जाएगा ! अगर 20 जुलाई को चाँद नज़र नहीं आया तो 21 जुलाई को कन्फर्म 1  मुहर्रम हो जाएगा ! 
आईये जानते है मुहर्रम 2023 की कुछ ख़ास तारीखे 
Date- Hijri Date Event
20   जुलाई 01  मुहर्रमुल   इस्लामिक नया साल
23   जुलाई 04  मुहर्रम  विसाल हज़रत ख्वाजा हसन बसरी
25   जुलाई 06  मुहर्रम  उर्स ए बाबा फरीद गंज शकर
29   जुलाई 10  मुहर्रम  यौमे आशूरा (शहादत- हज़रत इमाम हुसैन र. त.अ.)
06  अगस्त 18  मुहर्रम  विसाल हज़रत जैनुल आबेदीन
14  अगस्त 26  मुहर्रम  उर्स ताजुद्दीन बाबा नागपुर
16  अगस्त 28  मुहर्रम  उर्स सैयद शाह वज़ीउद्दीन एहमद अहमदाबाद
16  अगस्त 28  मुहर्रम  उर्स मख्दूमि सिमनानी रहमतुल्लाहि अलैह
18  अगस्त 30  मुहर्रम  उर्स सय्यद अली मीरा दातार  ( चाँद रात )
18  अगस्त 30  मुहर्रम  चाँद रात (माहे सफर की 1  तारीख)
दोस्तों माहे मुहर्रम में हमें कौन कौन सी इबादत करनी चाहिए ! मुहर्रम में रोज़े कब रखना  है ? माहे मुहर्रम में 10 मुहर्रम यानी आशुरा के दिन की फज़ीलत इन सब की  हमने पहले ही पोस्ट कर रखी है ! फिर भी हम आपको उन पोस्ट की लिंक यहाँ देते है ! जिससे आपको आसानी हो ! आपको जोभी पोस्ट पढ़नी है आप लिंक पर क्लिक करें

माहे मुहर्रम में करने वाले अमल 

01.
02. यौमे आशूरा – 10 मुहर्रम के दिन करने वाली इबादत
03. शब् ए आशूरा की नमाज़ का तरीका
04. यौमे आशूरा की नमाज़ का तरीका 
05. यौमे आशूरा के दिन की फ़ज़ीलत 
06. दुआयौमे आशूरा
07. कर्बला के 72 शहीदों के नाम 
08. मुहर्रम में खिचड़ा पकाना और खिलाना कैसा 
09. कर्बला के कहाँनी 

 

 

Istikhara Ki Dua Hindi Mein – इस्तिखारा की दुआ (3 Images)

Hits: 2591

इस्तिखारा की दुआ – Istikhara Ki Dua

मेरे प्यारे-प्यारे भाईओ बहनो जब भी कोई फैसले को लेकर दिल ,में कन्फूज़न हो ! चाहे शादी को लेकर कारोबार को लेकर या कोई भी काम जिसका फैसला हम नहीं ले पा रहे है ! तो हमें इस्तिखारा (Istikhara) कर ही लेना चाहिए !कुर्बान जाईये हमारे प्यारे आका हमारे प्यारे नबीये करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर की उन्होंने हमें ऐसा तरीका बताया की हम अल्लाह अज़्ज़वजल से भी मश्वरा कर सकते है !

कोशिश करे की इस्तिखारा की दुआ ( Istikhara Ki Dua ) याद करने की ! और नहीं तो आप देखकर भी पढ़ सकते हो ! कोई भी दुआ या क़ुरआनी आयत अगर आपको अरबी पढ़ना आती है ! तो अरबी जुबान में ही पढ़े ! हिंदी सिर्फ समझने के हिसाब से बतायी गयी है !

अगर आपको अरबी पढ़ना नहीं आती है ! तब आप हिंदी में भी पढ़ सकते है !

हमारी बहनो के लिए सहूलत है की अगर वो नमाज़ पढ़ने की कंडीशन में नहीं है ! तो सिर्फ दुआ ( Istikhara Ki Dua) भी पढ़ सकती है !

Note – इस्तिखारा की दुआ (Istikhara Ki Dua) पढ़ने से पहले और पढ़ने के बाद में 3×3 मर्तबा दरूद शरीफ जरूर पढ़े !

Befor & After – Darood Sharif – 3×3

Istikhara Ki Dua Hindi Mein

बिस्मिल्लाह हिर्रह्मान निर्रहीम 

अल्लाहुम्मा इन्नी अस्-तख़ीरु-क  बिअिल्मी-क व-अस्-तक़दिरू-क बि-क़ुद-रति-क , व-अस्-अलु -क मिन् फ़जि़्ल-कल् अज़ीमि फ़इन्न-क तक़दिरु-वला अक्दिरु व-तअ्-लमु वला अअ्-लमु व-अंत अ़ल्लामुल ग़ुयूबि अल्लाहुम्म इन् कुन्त तअ्-लमु अन्न हा-ज़ल् अम्-र ख़ैरून् ली फ़ी दीनी व मा-अशी  – वआ़क़ि-बति अम्री फ़-कद्दिरहु ली व-यस्सिरहु सुम्म बारिक ली फ़ीहि , वइन् कुन्-त तअ्-लमु अन्नहू शर्रून् फ़ी दीनी व मा-अशी-व-  आ़क़ि-बति अम्री फ़स्रिफ़हु अ़न्नी व-स्र्रिफ़नी अ़न्हु व-कद्दिर लि-यल खै-र हैसु का-न सुम्म रजि़्ज़नी बिही

Note- 1.-जब आप हाज़ल अम्र पर पहुंचे तो उस काम का जिक्र करे जिस काम के लिए इस्तिखारा कर रहे है फिर आगे की दुआ पढ़े

Note-2.-इस्तिखारा की दुआ में व मा-अशी की जगह व दुन्या भी पढ़ सकते है

istikhara ki dua hindi Mai

You Also Read – Istikhara Ki Namaz Ka Tarika

 

तर्जुमा- Istikhara Ki Dua Hindi Tarjuma

अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमवाला है 

हेे अल्लाह, मैं आपके बेइंतिहा, इल्म के जरिए बेहतरी माँगता हूं ! और मैं आपसे आपकी कुदरत के जरिए से ताकत माँगता हूं ! और मैं आपका असीम फज़्लो करम माँगता हूं। क्योंकि आप पूरी तरह काबील हैं, जबकि मैं नहीं।

आप सबकुछ जानते हैं, और मैं नहीं, और आप सब कुछ जानते हैं जो अनदेखी है। हे अल्लाह, अगर आप जानते हैं कि यह फेसला ( फैसले का इजहार करें), मेरे मजहब, मेरी दूनिया और

आखिरत के नतीजे के लिए अच्छा है, तो इसे पूरा करें, इसे मेरे लिए आसान करें और मेरा इसके जरिए भला करें। लेकिन अगर आप जानते हैं कि मेरे मजहब, मेरी दूनिया और आखिरत के नतीजे पर इसका बुरा असर है, तो इस फैसले को मूझसे फिरा दीजिये और मुझे इससे दूर कर दीजिये, और इसके बजाय, मूझे कूछ बेहतर दीजिये, वो चाहे जो भी हो, उसके जरिए मूझे इत्मीनान दीजिये

 

Istikhara Ki Dua In Arabi

اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمِكَ وَأَسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ، وَأَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ، فَإِنَّكَ تَقْدِرُ وَلاَ أَقْدِرُ وَتَعْلَمُ وَلاَ أَعْلَمُ وَأَنْتَ عَلاَّمُ الْغُيُوبِ،

 اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الأَمْرَ ‬ خَيْرٌ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي فَاقْدُرْهُ لِي وَيَسِّرْهُ لِي ثُمَّ بَارِكْ لِي فِيهِ، وَإِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الأَمْرَ شَرٌّ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي فَاصْرِفْهُ عَنِّي وَاصْرِفْنِي عَنْهُ، وَاقْدُرْ لِي الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ ثُمَّ أَرْضِنِي بِهِ

istikhara dua

इस्तिखारा की दुआ – Istikhara Ki Dua In Roman English

Bismilla Hirrarhmaan Nirrahim

Allahumma Inni Astakhiruka Bi-ilmika, Wa Astaqdiruka bi-qudratika, Wa As’aluka Min Fazlika Al-`azim 

Fa-innaka Taqdiru Wala Aqdiru, Wa ta-lamu Wala a’lamu, Wa anta ‘allamu-l-ghuyub. 

Allahumma, In kunta Ta-lam Anna Haza-L Amra Khairun Li Fi Dini Wa-Ma’ashi Wa-aqibati `Amri Faqdirhu Lee Wa Yassirhu Summa Baarik Li Fihi,

Wa in kunta Ta-lamu Anna Hu shar-run Fi Dini Wa-Ma’ashi Wa-aqibati Amri Fasrifhu Anni Was-rifni Anhu. Waqdir Li Al-khaira Haisu kaa -na Summa Arrizzni Bihi.

Note-1 Jab Aap Haza-L Amra Par Panhunche To Us Kaam Ka Jikr Kare Jis Kaam Ke Liye Isikhara Kiya Gayaa Hai

Note-2 Istikhara Ki Dua Mein Wa-Ma’ashi Ki Jagah Wa Dunya Bhi Padh Sakte Hai

Dua e Istikhara


 

मां – बाप की अहमियत – fathers day and mothers day

Hits: 2

मां – बाप की अहमियत (Faters Day Mothers Day In Islam- )- अस्सलामो अलैकुम दोस्तों इस पोस्ट में आप जानेंगे माँ बाप के वारे में मज़हबे इस्लाम क्या कहता है ! आज दुनिया में fathers day – mothers day बनाने का चलन है ! और एक ही दिन लोग माँ-बाप को अहमियत देते  है !
आज इस पोस्ट में हम इस सवालो के जवाब देने वाले है ! जो अक्सर गूगल पैर सर्च कीये जाते है
माता पिता के वारे में मज़हबे इस्लाम क्या कहता है ?
इस्लाम में माँ बाप की अहमियत

मां – बाप की अहमियत –

1. कहा जाता है कि मां के क़दमो तले जन्नत है ! मां  का आंचल जन्नती पेड़ की छाया हैँ ।
2. मां बाप की खिदमत का हक़ ‘अदा करने वाले ही जन्नत के हक़दार होंगे ।
3. मां -बाप की नाफ़रमानी करने वाले जहन्नम में तरह-तरह के अज़ाब ‘ पाएंगे ।
4. मां -बाप की दुआओं में औलाद की कामयाबी व तरक़्क़ी है 1
5. मां-बाप को इज्जत व मुहब्बत की नजर से देखना भी इबादत हैँ।
6. मां बाप की नाफ़रमानी गुनाहे कबीरा है ।
7. जो लोग मां बाप की नाफ़रमानी करते हैँ वह अल्लाह की रहमत से महरूम रहेंगे ।
8. मां-बाप – यह ऐसी दौलत है जो खो जाने पर दोबारा नहीं मिलती । ”
9. कितले नादाँ हैं वह लोग जो मां-बाप की दुआएं लेने के बजाय दूसरे से दुआ की दरख़्वास्त करते हैँ ।
10. याद रखिए जिससे उनके मां-बाप राज़ी न हों उन्हें किसी की भी दुआ काम नहीं आ सकती । किसी भी सदका खैरात और नज़र नियाज़ से कोई भला नहीँ हो सकता ।
11. मां-बाप की नाफ़रमानी करने वालों की दुआ क़बूल नहीं होती । दुआओं के लिए हमारे मां बाप ही क़ाफ्री हैँ ! इसलिए उनकी खिदमत करके, उन्हें राजी करके बे मांगे उनकी दिली दुआए हासिल करनी चाहिए  ।
12. मां बाप को नाराज़ करने वाले अल्लाह व ‘रसूल को नाराज़ करते हैँ ! और अल्लाह व रसूल को नाराज़ करने वाले कभी बामुराद नहीं हो सकते ।

माँ बाप के बारे में क्या कहता है क़ुरआन :-

तुम्हारे रब ने फ़ैसला कर दिया है कि उस (अल्लाह) के सिवा किसी की बन्दगी न करो ! और माँ-बाप के साथ अच्छा बरताओ करो।
अगर उनमें से कोई एक या दोनों ही तुम्हारे सामने बुढ़ापे की मंज़िल पर पहुँच जाएँ तो उन्हें ‘उफ़’ तक न कहो और न उन्हें झिड़को, बल्कि उनसे मेहरबानी से बात करो !
क़ुरआने मजीद का यह हुक्म हर मुसलमान के लिये वाजिब है ! अल्लाह के नज़दीक वालिदैन की यह अज़मत है कि उन के सख़्त और तकलीफ़ वाले रवय्ये पर भी औलाद को लफ़्ज़े उफ़ भी कहना उन के मरतबे के ख़िलाफ़ है ! कहा कि उन के साथ बे अदबी और गुस्ताख़ी और बद सुलूकी से ना पैश आया जाये !
हालांकि लफ़्ज़े उफ़ कहना कोई बहुत बड़ी बे अहतेरामी नहीं है आम बात चीत में इस लफ़्ज़ को बुरा नहीं समझा जाता लेकिन इस लफ़्ज़ से मिज़ाज के ख़राब होने की बू आती है ! लिहाज़ा इस को भी ख़ुदा ने वालिदैन की शान के ख़िलाफ़ क़रार दिया है !
इस्लाम ने औलाद को माँ बाप के लिए कई हुक्म दिए हैं ! जिनको मानना उनके लिए इतना ही ज़रूरी है, जितना कि खुदा के सिवा किसी ओर की इबादत न करना !

इस्लाम कहता है,

‘अपने माँ बाप के साथ अच्छा सुलूक करो।
खुदा से उनके लिए दुआ करो कि वह उनपर वैसा ही करम करे जैसा बचपन मै उसके पेरेन्टस ने उस पर किया ! अपने माँ बाप के अहतेराम में कुछ बातें शामिल है !

उनसे सच्चे दिल से मुहब्बत करें।हर वक़्त उन्हें खुश रखने की कोशिश करें ! अपनी कमाई दौलत, माल उनसे न छुपाएँ !

माँ बाप को उनका नाम लेकर न पुकारें ! अल्लाह को खुश करना हो तो अपने , माँ बाप को मुहब्बत भरी निगाह से देखो !

अपने माँ बाप से अच्छा सुलूक करोगे तो तुम्हारी औलाद तुम्हारे साथ अच्छा सुलूक करेंगी !

माँ बाप से अदब से बात करे, डांट डपट करना अदब के खिलाफ है ! दुनिया में पूरी तरह उनका साथ दो।माँ बाप की नाफरमानी से बचो ! क्योंकि माँ बाप की खुशनूदी में अल्लाह की खुशनूदी है !और उनकी नाराज़गी में अल्लाह की नाराज़गी ।

अगर चाहते हो कि खुदा तुम्हारे काम में फायदा दे, तो अपने माँ बाप से रिश्तेदारों से अच्छा सुलूक बनाए रखे ! अगर उनमे से एक या दोनों वफात पा जाये तो कभी कभी कब्र पर जाया करे,और उनके लिए दुआ करो ! दुआ करो कि ‘ये अल्लाह उनपर वैसा ही रहम करना ! जैसा उन्होंने मेरे बचपन में मेरी परवरिश के वक़्त किया था।

आज हम अपनी इन्हीं मज़हबी बातों से भटक गये है, हम अपने माँ बाप को अहतेराम देने के बजाय हम अपनी दुनियावी ख्वाहिशों के लिए उनसे लड़ते झगड़ते हैं ! मरने के बाद उनके कब्र की जियारत तो बहुत दूर की बात है उनके लिए कोई सद्का खैरात तक नहीं करते !

बुढापे में उनकी ख़िदमात के बजाय अपने दुनिया के फुजूल कामों में लगे रहते है !अल्लाह से मेरी ये दुआ है कि वो हमें इन गुनाहों से बचाए !

Fatiha Dene Ka Tarika | फातिहा देने का सही और सुन्नी तरीका

Hits: 28

Fatiha Dene Ka Tarika – बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम – अस्सलामो अलैयकुम मेरे प्यारे-प्यारे भाइयो और बहनो इस पोस्ट में हमने फातिहा देने का सुन्नी तरीका (fatiha dene ka tarika ) बताया है ! मेने गूगल पर कई लोगो के ये सवाल देखे ! तो फिर मेने ये पोस्ट बनायी ! लोगो के सवाल इस तरह थे 

Fatiha Ka Tarika In English

  • इसाले सवाब किस तरह किया जाता है ? 
  • फातिहा करने का तरीका क्या है ?
  • कब्रिस्तान में फातिहा कैसे पढ़े ?
  • कब्र पर फ़तिहा कैसे पढ़े ?
  • फातिहा में कौन कौन सी सूरत पढ़ी जाती है ?
  • कब्र पर फातिहा पढ़ने की दुआ ? 

मेरे प्यारे दोस्तों इस पोस्ट में आपको इन्शाहअल्लाह इन सब सवालो के जवाब मिल जायेंगे ! 

Fatiha Dene Ka Tarika – 

मेरे प्यारे अज़ीज़ो घर में कोई भी इवेंट हो , या किसी मरहूम के लिए फातिहा ख्वानी रखी हो फातिहा देने का एक ही तरिका है ! जो इस पोस्ट में मिलेगा !

फातिहा ख्वानी ख़ुशी के मौके पर भी की जाती है ! और ग़म के मौके पर भी की जाती है ! ख़ुशी के मौके पर अल्लाह करीम का शुक्र करने की नियत से की जाती है ! 

और ग़म के मौके पर सब्र करने की नियत से की जाती है ! दोनों सूरतो में फातिहा देने के बाद अल्लाह से दुआ की जाती है ! की अल्लाह हमें सब्र दे ! खुशिया दे ! और हमारे बड़े बुड़े जो इस दुनिया से जा चुके है ! उनको राहत दे ! उनके दरजात में बुलंदी अता फरमाए ! 

कई लोगो का ये भी सवाल है की फातिहा में क्या पढ़ा जाता है ?

तो मेरे प्यारो फातिहा का दूसरा नाम इसाले सवाब है ! फातिहा में क़ुरआन की आयते पढ़ी जाती है ! नबीये करीम पर दुरूद ए पाक का नज़राना भेजा जाता है !

दुसरा सवाल है की फातिहा क्यों पढ़ी जाती है ? 

तो इसका जवाब ये है की फातिहा ख्वानी जरिये मरहूम को इसाले सवाब किया जाता है ! अब जो मर गया उसने दुनिये में जो अमल किये ! उसका हिसाब किताब मरने के बाद होगा ! , मगर मरहूम के लिए इसाले सवाब करने के लिए जब क़ुरान की आयते पढ़ी जाती है !

नबीये करीम पर दुरुद पढ़ा जाता है ! और मरहूम के लिए दुआ की जाती है ! तो अल्लाह करीम अपने फ़ज़ल से मरहूम को कब्र के अज़ाब से छुटकारा देता है ! और अल्लाह करीम चाहे तो मरहूम की मग़फ़िरत फ़रमा दे ! मतलब अल्लाह करीम चाहे तो मरहूम के सारे गुनाह मुआफ फ़रमा दे ! और मरहूम को जन्नत आता फ़रमादे ! 

दोस्तों अब में आपको फातिहा देने का मुकम्मल सुन्नी तरीका बताने वाला हु ! लिहाज़ा पोस्ट पूरी पढ़े ! और अपने प्यारो को भी शेयर करे ! ताकि आपको भी सवाब मिले और उनको भी ! जब तक ज़िंदा है सवाब कमालो ! क्या पता कल हमारे लिए कोई फातिहा ख्वानी करे न करें ! पूरी पोस्ट जरूर पढ़े !

फातिहा देने का सुन्नी तरीका – Fatiha Dene Ka Sunni Tarika

सब से पहले वुजू करना है ! वुजू करने के बाद क़िब्ला रुख बैठ कर जिस चीज पर फातिहा (Fatiha ) देनी हो या इसाले सवाब करना हो ! उसको सामने रख ले ! सामने रखना सिर्फ मुबाह और जायज है ! 

अगर वह चीज ढकी हुई हो तो उसे खोल्दे और लोबान अगरबत्ती सुलगाकर फातिहा ( Fatiha ) की चीजों से दूर रखे ! और निचे बताये तरीके से फातिहा (Fatiha) दे !

सबसे पहले अव्वल व आखिर 11-11 मर्तबा  दुरुद शरीफ पढ़े ! फिर क़ुरान की जो भी सूरत आपको याद हो वो पढ़े ! नहीं तो सूरह काफ़िरून 1- बार , सूरह इखलास -3 बार , सूरह फलक़ 1- बार , सूरह नास 1 -बार  ,सूरह फातिहा – 1 बार  पढ़कर सूरह बक़रह का पहला रुकू पढ़े ! और क़ुरान की कुछ और आयते है जिनके बारे  में आगे विस्तार से बताया है ! फिर दुरुद शरीफ पढ़े ! 

क्या क्या पढ़ना है ! बिस्मिल्लाह शरीफ से दुआ तक फातिहा देने का पूरा तरीका इस तरह है ! 

Fatiha Dene Ka Tarika

सबसे पहले दूरुद-शरीफ पढ़े फिर 

सूरह काफ़िरून – Surah Kafeerun

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम 

*कुल या अय्युहल काफ़िरून*ला अबदु मा ता अबुदन*वला अन्तुम आबिदु न मा आबुद*वला अना आ बिदुम मा अबत्ततुम*वला अन्तुम आबिदु न मा आ बू दू * ल कुम दिनु कुम व लिय दीन*

सूरए इख़्लास – Surah Ikhlaas

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम 

*कुल हुवल्लाहु अहद *अल्लाहुस्समद *लम यलिद व् लम यूलद * वलम यकुल्लहू कुफुवन अहद*

(तीन बार पढ़े )

सूरए फ़लक़  – Surah Falaq

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम 

*कुल अऊजू  बि रब्बिल फ़लक़*मिन शर्रि मा खलक *वमिन शर्रि ग़ासिक़ीन इज़ा वकब * व् मिन शर्रिन नफ्फा साति फ़िल उक़द *  व् मिन शर्रि हासिदिन इज़ा हसद * (एक बार पढ़े )

सूरए नास  – Surah Naas

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

*कुल अऊजू बि रब्बिन नासि *मलिकिन नासि *इला हिन्नासि *मिन श र्रि ल वस् वासिल खन्ना सिल्लज़ी युवस विसु फी सुदु रिन्नासी मिनल जिन्नति वन्नास * (एक बार पढ़े )

सूरए फ़ातिहा – Surah Fatiha

सूरए बक़रह – Surah Baqrah

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

*अलीफ लाम मीम ज़ालिकल किताबु ला रै बफ़ीह*! हुदल लिल मुत्तकीनल्लज़ीना यूमिनूना बिल गैबि व युकिमुनस्सलाता  व् मिम्मा रज़कनाहुम् युनफिकुन *!  वल्ल्जीना यूमिनू ना बिमा उन्ज़िला इलैका वमा  उन्ज़िला मिन क़ब्लिक * व बिल आख़िरति हुम् युकिनून *!  उलाइका अला हुदम मिर रब्बि हिम व उलाइका हुमुल मुफ़लिहून *! 
 
व इलाहुकुम इलाहुं वाहिद *! लाइलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम *!  इन् न रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन*!  वमा अरसल नाका इल्ला  रहमतल लिल आलमीन *!  मा का ना मुहम्मदुन अबा अ हदिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि व खात मन नबीय्यीन व कानल्लाहु *! बिकुल्लि शैइन अलीमा *!  इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि *!  या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लि मू तस्लीमा *! 
 
( जो भी हाजिरीन फातिहा में हाजिर है सभी दुरुद शरीफ पढ़े ) (एक बार पढ़े )
 
दुरुद शरीफ – Durud Sharif

* अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्येदिना व मौलाना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना व मौलाना मुहम्मदिव व बारिक व सल्लिम *सलातंव व सलामन अलैका या रसूलुल्लाह * सुब्हाना रब्बिका रब्बिल इज़्ज़ति अम्मा यसीफ़ून * व सलामुन अलल मुरसलीन * वल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन *

अगर वक़्त की पाबन्दी नहीं हो तो आप दरूद-ए-ताज़ भी पढ़ सकते हो ! दरूद ए ताज़ इस तरह है !

दरूद ए ताज – 

बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम्

अल्लाहूम्म सल्लि अला सय्यिदिना वमौलाना मु-हम्मदिन् साहिबित्ताजि वल् मेअरजि वल् बुराकि वल्अ-लम् 0 दाफिइल् बलाई वल् वबाइ वल कहति वल् मरजि वल अ-लम् 0

इसमुहू मक़तूबुन् मरफ़ूऊन् मशफूऊन् मन्कूशुन् फिल्लौहि वल् क-लम् 0 सय्यिदिल् अ-रबि वल् अ-जम् 0 जिसमुहू मु- कद्दसुन् अत्तरुन मु-तह्हरुन मु -नव्वरुन फ़िल् बैति वल् ह-रम् 0

शम्सिज़्ज़ुहा बदरिद्दुजा  सदरिल् उला नूरिल् हुदा कहफिल् वरा मिसबाहिज़्ज़ु-लम् 0  जमीलिश्शि-यम् शफीअिल् उ-मम् 0 साहिबिल् जूदि वल्-करम् 0

वल्लाहु आसिमुहू 0 वजिब्रीलु खादिमुह 0 वलबुराकु मऱकबुह 0 वल् मेअराजु स-फरुहू वसिद-रतुल् मुन् तहा मक़ामुहू 0 वका-ब क़ोसैनि मतलुबुह 0 वल् मतलुबु मक़सूदुहू वल्-मक़सूदु मोज़ुदुह् 0

सय्यिदिल् मुर-सलीन् 0 ख़ातिमिन्नबिय्यी-न शफीअिल् मुज़निबीन् 0 अनीसिल् ग़रीबीन रह-म-तल्लिल् आ-लमीन् 0 रा-हतिल् आशिकीन् 0 मुरादिल् मुशूताक़ीन् 0 शम्सिल् आरिफ़िन 0 सिराजिस्सालिक़ीन 0

मिस्बाहिल् मु-क़र्रबीन् 0 मुहिब्बिल् फु-कराइ वल्-मसाक़ीन् 0 सय्यिदिस्सक़लैनि नबिय्यिल् ह-रमैन् 0 इमामिल् किब-लतैन 0 वसीलतिना फिद्दारैन् 0 साहिबि का-ब कौसेन् 0 मह्रबूबि रब्बिल् मशरिकैनि वल् मग़रिबैनि 0 जद्दिल् ह-सनि वल्हुसैन् 0 मौलाना वमौ-लस्स-क़लैन् 0

अबिल क़ासिमि मुहम्म दिब्नि  अब्दिल्लाहि  0 नूरिम्मिन् नूरिल्लाहि 0 या अय्यु -हल् मुशताकू-न बिनूरि जमालिही 

*बलग़ल उला बे कमालेही*कशफद्दुजा बे जमालेही*हसनत जमिऊ खिसालेही*सल्लु अलैही व आलेही*

सल्लू अलैहि वआलिही व अस्हाबिही व-सल्लिमू  तसलीमा 0

बख़्शने का तरीका (इसाले सवाब का तरीका ) – Fatiha Dene Ka Tarika –

ए अल्लाह मैंने तेरा कलमा पढ़ा ! और जो कुछ यह तबर्रुक हाजिर है ! इसे अपनी बारगाह में कुबूल फरमा ! इसमें जो कुछ गलतियां हो ! अपने फज़्लों करम से माफ फरमा ! और इनका सवाब हम सबके आका वह मौला हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की बारगाह में बतोरे नजराना पेश करते हैं ! कुबूल फरमा ! 

फिर हुजूर के सदके व तुफैल में जुमलाअंबिया इकराम अलेही मुस्सलाम की आरवाहे तैयिबात को हदयतन तोहफतन पेश फरमा ! फिर हुजूर के सदके में व अंबिया किराम के वसीले से जुमला सहाबए किराम व अजवाज़े मुतअहरात ताबिईन व तबए ताबिईन व जुमला ओलीयाए किराम व बुजुर्गाने दीन रिजवानुउल्लाहि तअला अलेहिम अजमईन की अरवाहे तय्येबात को इसका सवाब अता फरमा ! 

शदाने कर्बला को इसका सवाब पहुंचा , हज़रत आदम से लेकर अब तक तमाम अम्बिया औलिया नबी रसूल सहाबा अहले बैत तमाम उम्मत वलियो को जो तेरी बारगाहे रेहमत में आ चुके है उनको इसका सवाब आता कर ! फिर इन बुजुर्गाने दीन के वसीले से तमाम मोमिनीन मुमिनात की रूहो को इसका सवाब अता फरमा !

बिल ख़ुसुस  . . . . . . . . . . . . . . . .   को इसका सवाब अता फरमा !

नोट – बिल ख़ुसुस के बाद जिसके नाम की फातिहा हो उसका नाम ले !

इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि *!  या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लि मू तस्लीमा *!
अब फिर से दुरूद शरीफ पढ़े ! और लाइलाहा  इलल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह पढ़िए इस तरह फातिहा मुकम्मल हो गयी ! 
 
गौसे पाक की न्याज़ की फातिहा देने का तरीका 
GhosePak Ki Nyaz Ki Fatiha Dene Ka Tarika – अगर आप हुजूर ग़ौसे पाक की न्याज़ करवा रहे है ! तो फातिहा का तरीका का तो वही रहेगा बस इसले सवाब करते वक़्त  बिल ख़ुसूस के बाद हुजूर ग़ौसे पाक का नाम ले ! 
 
Mazar Par Fatiha Dene Ka Tarika – अगर किसी मज़ार पर फातिहा दे रहे हो तो बिल ख़ुसूस के बाद साहिबे मज़ार का नाम ले ! 
 
Qabr Par Fatiha Dene Ka Tarika – इसी तरह अगर कब्रिस्तान में फातिहा दे रहे है तो बिल ख़ुसूस के बाद साहिबे कबर का नाम ले ! 
 
Marhoom Ke Liye Fatiha Dene Ka Tarika – बढे बूढ़ो की फातिहा ख्वानी में बिल ख़ुसूस के बाद बढे बूढ़ो को इसका सवाब अत फ़रमा ! इस तरह से आप फातिहा दे सकते है और अपने बढे बूढ़ो अपने रिश्तेदार अपने दोस्त अपने मां-बाप अपने सभी करीबी मिलने वालो को इसाले सवाब कर सकते हो 
 
अबमें आपको बता देता हु की फातिहा ख्वानी में जो सूरह फातिहा के बाद सूरह पढ़ी जाती है वो क़ुरान की किस-किस सूरह से ली गयी है ! 
सूरह बक़रह की आयते – 

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

*अलीफ लाम मीम ज़ालिकाल किताबु ला रै बफ़ीह*! हुंदल लिल मुत्तकीनल्लज़ीना यूमिनूना बिल गैबि व युकिमुनस्सलाता  व् मिम्मा रजकनाहुम् युनफिकुन *!  वल्ल्जीना यूमिनू ना बिमा उन्ज़िला इलैका वमा  उन्ज़िला मिन क़ब्लिक * व बिल आख़िरति हुम् युकिनून *!  उलाइका अला हुदम मिर रब्बि हिम व उलाइका हुमुल मुफ़लिहून *!
व इलाहुकुम इलाहुं वाहिद *! लाइलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम *! (Ayat- 163)
  • सूरह अअराफ की आयत – (सूरह 7 ,आयत – 56 ) , पारा – 8 
  • इन् न रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन
  • सूरह अम्बिया की आयत –  (सूरह 21, आयत- 107) , पारा – 17  
  • वमा अरसल नाका इल्ला रहमतल लिल आलमीन *
  • सूरह अहज़ाब की आयते – (सूरह 33, आयत-40,56) , पारा – 22 

मा का ना मुहम्मदुन अबा अ हदिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि व खात मन नबीय्यीन व कानल्लाहु *! बिकुल्लि शैइन अलीमा *! (Ayat-40) 

इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि *!  या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लि मू तस्लीमा *! (Ayat- 56)

इन्शाहअल्लाह सवाब की नियत ये भी पढ़े –  दुरूदे सआदत-6 लाख दुरूदे पाक का सवाब

Releted Keaword – 

Qurbani Ki Dua In English

Hits: 2

Asslamo Aliakum Bhaiyo Aur Bahno . Is Post Mein Hamne Apko Qurbani Ki Dua English Aur Arebic Mein Post Ki Hai Aur , Iske Alawa Qurbani Ki Dua Ki Images Bhi Upload Ki Hai .

Koi Bhi Dua Padhe To Agar Apko Arebic Aati Hai Arabi Mein Hi Padhe . Nahi To For Aap Qurbani Ki Dua English Mein AUr Hindi Mein Bhi Padh Sakte Hai .

Pahle Qurbani Karne Ka Tarika Jaan Lete Hai Fir Qurbani Ki Dua Padhte Hai .

Qurbani ki Niyat Dil Me Kar Lena Kafi Hai, Zaban Se Kahne Ki Zarurat Nahi, Lekin Zabah Karte Waqt
”BIS MILLAH ALLAHU AKBAR ” Kahna Zaruri Hai.
Sunnat yah hai ki Janwar Ko Ulte Pair Par Letaye Aur Uska Muh Kible Ki Taraf Karde . Aur Seedha Pair Uske Pahlu Par Rakh kar Qurbani Ki Dua Padhe – 

दोस्तों पोस्ट आप हिंदी में पढ़ना चाहते है तो हमारे हिंदी आर्टिकल की लिंक पर क्लिक कीजिये

Link – क़ुरबानी की दुआ और तरीका हिंदी में

إِنِّي وَجَّهْتُ وَجْهِيَ لِلَّذِي فَطَرَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ حَنِيفًا وَمَا أَنَا مِنَ الْمُشْرِكِينَ إِنَّ صَلَاتِي وَنُسُكِي وَمَحْيَايَ وَمَمَاتِي لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ  لَا شَرِيكَ لَهُ وَبِذَلِكَ أُمِرْتُ وَأَنَا أَوَّلُ الْمُسْلِمِينَ، بِسْمِ الله الله أَكْبَرُ

Qurbani Ki Dua In English

INNI WAJJAHTU WAJHIA LILLAZI FATARAS SAMAWAATI WL ARZ HANEEFA W MA ANA MINAL MUSHRIKEEN, INNA SALATI W NUSUKI W MAHYAYA W MAMATI LILLAHI RABBIL AALMEEN, LA SHARIKA LAHU, W BIZALIKA UMIRTU, W ANA AWWALUL MUSLIMEEN, ALLAHUMMA LA K WA MIN-K BIS MILLAHI ALLAHU AKBAR.
Yeh Padh Kar Janwar Ko Zabah Kare, Zabah Karne Ke Baad Yeh Dua Padhe
اللهم تقبله مني كما تقبلت من حبيبك محمد وخليلك إبراهيم عليه السلام
“ALLAHUMMA TAQABBALHU MINNI KAMA TAQBALLTA MIN HABIBIKA MUHAMMAD, W KHALILIKA IBRAHEEM ALIHISSLAM”
Note: Dua me “Minni” us Waqt kahte Hain Jab Khud Apni Taraf Se Qurbani Kar Rahe Ho, Aur Doosre Ki KI Taraf Se Qurbani Ho To “Minni” Ki Jagah Min Padhenge  Aur “Min” Ke Baad Us Admi Ka Naam Lena Hai , Jese Ki : “MIN Jameel”, ya “MIN Maqbool” Wagairah.
qurbani ki dua english
qurbani ki dua in english

Qurbani Ka Gosht

Agar Qurbani Ke Janwar Mein Mein Ek Se Jyada Hissedar Ho To Qurbani Ke Gost Ko  Wazan KarKe Banta Jaye, Andaze Se Nahi, Us Ke Baad Apni Qurbani Ke Gosht Ke 3 Hisse Kare,
Ek Hissa Apne Ghar-walon Ke Liye, Doosra Hissa Apne Dosto ke Liye, Aur Teesra Hissa Garibon Me Bant de.
Masla: Qurbani ka Gosht Bechna Haram Hai.

हमारे नबीये करीम की हुकूमत 

0

Hits: 13

हमारे नबीये करीम (nabi muhammad) की बादलों पर हुकूमत 

मदीना मुनव्वरा में एक मर्तबा बारिश नहीं हुई थी ! पुरे मदीना में सूखे का आलम था ! लोग बड़े परेशान थे |
एक जुमा के रोज़ हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक़रीर फरमा रह थे,
तो एक शख़्स उठा और अर्ज करने लगा या रसूलल्लाह ! माल ख़त्म हो गया और औलाद फाका करने लगी।
दुआ फरमाइए की बारिश हो जाए !
हुजूर सललल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उसी वक्‍त अपने प्यारे-प्यारे नूरानी हाथ उठाए | उस वक़्त वहां आसमान बिल्कुल साफ था,  बादल का नाम व निशान तक न था। मगर मदनी सरकार के हाथ मुबारक उठे ही थे कि पहाड़ों की तरह से बादल छा गये !और छाते ही पानी बरसने लगा !

हमारे नबीये करीम (nabi muhammad) की बादलों पर हुकूमत 

हुजूर मिंबर पर ही तशरीफ फरमा थे कि पानी  शुरू हो गया इतना बरसा कि छत टपकने लगी | हुजूर के बाल मुबारक से पानी के क॒तरे गिरने लगे ! फिर यह पानी बंद नहीं हुआ बल्कि लगातार अगले जुमा तक बरसता ही रहा !
हुजूर जब दूसरे जुमा का तक़रीर फरमाने उठे तो वही शख़्स जिसने पहले जुमा में बारिश ना होने की
तकलीफ अर्ज की थी उठा ! और अर्ज करने लगा या रसूलल्लाह ! अब तो माल गर्क होने लगा और मकान गिरने लगे।
अब फिर हाथ उठाइए कि यह बारिश बंद भी हो !चुनांचे हुजूर ने फिर उसी वक्‍त अपने प्यारे-प्यारे नूरानी हाथ उठाए
और अपनी उंगली मुबारक से डशारा फरमाकर दुआ फरमाई कि ऐ अल्लाह ! हमारे इर्द गिर्द बारिश हो, हम पर न हो, हुजूर का यह इशारा करना ही था ! कि जिस जिस तरफ हुजूर (Nabi Muhhamad Saw) की उंगली गई ! उस तरफ से बादल फटता गया और मदीना मुनव्वरा के ऊपर सब आसमान साफ हो गया।
You Also Readइस तरह के और किस्से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंIslamic Kisse
और वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें – Video

मिश्कात शरीफ, सफा 528 

सबक : सहाबा किराम मुश्किल के वक्‍त हुजूर ही की बारगाह में फरयाद लेकर आते थे ! उनका यकीन था कि हर मुश्किल यहीं हल होती है ! वाकई वहीं हल होती रही है !
इसी तरह आज भी हम हुजूर के मोहताज हैं ! बगैर हुजूर के वसीला के हम अल्लाह से कुछ भी नहीं पा सकते ! हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की हुकूमत बादलों पर भी जारी है।

चांद पर हुकूमत – Nabi Muhammad Saw Ki Chand Par Hukumat

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दुशमनों में  बिलखुसूस अबूजहल ने एक मर्तबा हुजूर से कहा कि अगर तुम खुदा के रसूल हो तो आसमान पर जो चांद है ! उसके दो टुकड़े करके दिखाओ । हुजूर ने फरमाया: लो यह भी करके दिया देता हूं !
चुनांचे आपने चांद की तरफ अपनी उंगली मुबारक से इशारा फरमाया ! तो चांद के दो टुकड़े हो गये। यह देखकर अबू जहल हैरान हो गया | मगर बे–ईमान माना भी नहीं और हुजूर को जादूगर ही कहता रहा ।
( हुज्जतुल्लाह सफा 366  बुखारी शरीफ हिस्सा 2  सफा 271 ) 
सबक : हमारे हुजूर की हुकूमत चांद पर भी जारी है

हमारे नबीये करीम की सूरज पर हुकूमत 

एक रोज़ हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहबा नाम की जगह पर जुहर की नमाज़ अदा की ! और फिर हज़रत अली रज़ियल्लाहुअन्हु को किसी काम के लिये रवाना फरमाया | हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु के वापस आने तक हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नमाज़ अस्र भी अदा फरमा ली ।
जब हज़रत अली वापस आये तो हुजूर उनकी आगोश में अपना सर रखकर हुजूर सो गये ! हज़रत अली ने अभी तक नमाज़े अस्र अदा न की थी ! उधर सूरज को देखा तो गुरूब होने वाला था । हज़रत अली सोचने लगे । इधर रसूले खुदा आराम फरमा हैं !
और उधर नमाज़े खुदा का वक्‍त हो रहा है। रसूले खुदा का ख़्याल रखूं तो नमाज़ जाती है ! और नमाज़ का ख़्याल करूं तो रसूले खुदा की नींद में खलल वाके होता है ! करूं तो क्या करूं? आख़िर मौला अली शेरे खुदा रज़ियल्लाहु अन्हु ने फैसला किया कि नमाज़ को कजा होने दो मगर हुजूर की नींद मुबारक में ख़लल न आए !
Nabi Muhammad Saw 
चुनांचे सूरज डूब गया और असर का वक्‍त चला गया  ! हुजूर उठे तो हज़रत अली को उदास देखकर वजह दर्याफ्त की
तो हज़रत अली ने अर्ज किया कि या रसूलल्लाह ! मैंने आपकी इस्लिराहत के पेशे नज़र अभी तक नमाजे अस्र नहीं पढ़ी ! सूरज गुरूब हो गया है !
हुजूर ने फरमाया : तो ग़म  किस बात का ? लो ! अभी सूरज वापस आता है । फिर उसी मकाम पर आकर रुकता है जहां वक्‍ते अस्र होता है । चुनांचे हुजूर ने दुआ फरमाई तो गुरूब-शुदा सूरज फिर निकला ! और उल्टे कदम उसी जगह आकर ठहर गया जहां अस्र का वक्‍त होता है ! हजरत अली ने उठकर अस्र की नमाज़ पढ़ी तो सूरज गुरूब हो गया 1
(हुज्जतुल्लाह अलल-आलमीन सफा 368 ) 
सबक : हमारे हुजूर की हुकूमत सूरज पर भी जारी है ! आप काइनात के हर जर्रा के हाकिम व मुख्तार हैं ।
आप जैसा न कोई हुआ न होगा और न हो सकता है !

हमारे नबीये करीम की जमीन पर हुकूमत (Nabi Muhammad Saw Ki Zamin Par Hukumat )

हुजूर सल्‍लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत सिद्दीक्‌ अकबर रजियल्लाहु अन्हु के साथ जब मक्का से मदीना की तरफ हिजरत फ़रमाई ! तो कुरैशे मक्का ने एलान किया कि जो कोई मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसललम  और उनके साथी
 सिद्दीक अकबर रजियल्लाहु अन्हु को गिरफ़्तार करके लायेगा ! उसे सौ ऊंट इनाम में दिये जायेंगे ।
सुराका बिन जअशम ने यह एलान सुना तो अपना तेज़ रफ़्तार घोड़ा निकाला और उस पर बैठकर कहने लगा कि मेरा यह तेज रफ़्तार घोड़ा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसललम और अबू-बक्र का पीछा कर लेगा ! मैं अभी उन दोनों को पकड़ कर लाता हूं !
चुनांचे उसने अपने घोड़े को दौड़ाया ! थोड़ी देर में हुजूर के करीब पहुंच गया ! सिद्दीक अकबर ने जब देखा कि सुराका
घोड़े पर सवार हमारे पीछे आ रहा है ! हम तक पहुंचने ही वाला है ! तो अर्ज किया या रसूलल्लाह ! सुराका ने हमें देख लिया है
Nabi Muhammad Saw 
और वह देखिए हमारे पीछे आ रहा है । हुजूर ने फरमाया : ऐ सिद्दीक ! कोई फिक्र न करो अल्लाह हमारे साथ है । इतने में सुराका बिल्कुल करीब आ पहुंचा तो हुजूर ने दुआ फरमाई  ! जमीन ने फौरन सुराका के घोड़े को पकड़ लिया
और उसके चारों पैर पेट तक जमीन में धंस गए ।
सुराका यह मंजर देखकर घबराया और अर्ज करने लगा !या मुहम्मद ! सल्लल्लाहु अलैहि वसललम  मुझे और मेरे घोड़े को इस मुसीबत से नजात दिलाइए । !मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं पीछे मुड़ जाऊंगा ! जो कोई आपका पीछा करता हुआ आपकी तलाश में इधर आ रहा होगा उसे भी वापस ले जाऊंगा !आप तक न आने दूंगा चुनांचे हुजूर के हुक्म से जमीन ने उसे छोड़ दिया ।
सबक : हमारे हुजूर का हुक्म व फ़रमान जमीन पर भी जारी है ! और काइनात की हर चीज अल्लाह ने हुजूर के ताबे कर दिया हैं ! फिर जिस शख्स की अपनी बीवी भी उसकी ताबे न हो वह अगर हुजूर की मिस्ल बनने लगे तो वह किस क॒द्र अहमक व बेवकफ है !

हमारे नबीये करीम की दरख्तों (पेड़ो ) पर हुकूमत – 

एक मर्तबा एक आराबी शख़्स ने हुजूर सललल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा-ऐ मुहम्मद ! सल्लल्लाहु अलैहि वसललम अगर आप अल्लाह के रसूल हैं तो कोई निशानी दिखाइए ! हुजूर ने फरमाया : अच्छा तो देखो ! वह जो सामने दरख्त खड़ा है ! उसे जाकर इतना कह दो कि तुम्हें अल्लाह का रसूल बुलाता है !
चुनांचे वह आराबी शख़्स उस दरख्त के पास गया और उससे कहा, तुम्हें अल्लाह का रसूल बुलाता है ! वह दरख्त यह बात सुनकर अपने आगे पीछे और दायें बायें पीछे गिरा ! और अपनी जड़ें जमीन से उखाड़कर जमीन पर चलते हुए
हुजूर की खिदमत में हाजिर हो गया !
अर्ज़ करने लगा अस्सलामु अलैकुम या रसूलल्लाह ! वह आराबी शख़्स हुजूर से कहने लगा अब इसे हुक्म दीजिये कि यह फिर अपनी जगह पर चला जाये। चुनांचे हुजूर ने उससे फरमाया कि जाओ ! वापस चले जाओ ! वह दरख्त यह सुनकर पीछे मुड़ गया और अपनी जगह जाकर कायम हो गया !
आराबी शख़्स यह मोजिज़ा देखकर मुसलमान हो गया ! और हुजूर को सज्दा करने की इजाजत चाही ! हुजूर ने फरमाया सज्दा करना जायज नहीं ! फिर उसने हुजूर के हाथ पैर मुबारक चूमने की इजाजत चाही तो हुजूर ने फरमाया हां ! यह बात जायज है ! उसने हुजूर के हाथ और पैर मुबारक चूम लिये !
(हुज्जतुलल्लाहु अलल-आलमीन, सफा 441 ) 
सबक : हमारे हुजूर का हुक्म दरख्तों पर भी जारी है ! यह भी मालूम हुआ कि बुजुर्गों के हाथ पैर चूमने जायज हैं !
हुजूर सल्‍लल्लाहु अलैहि वसललम ने इससे मना नहीं फुरमाया !

Qurbani Ki Dua In Hindi – क़ुर्बानी की दुआ हिंदी में

Hits: 4825

Qurbani Ki Dua Hindi – इस पोस्ट में पढ़ेंगे आप – कुर्बानी करने का सही इस्लामी तरीका दुआ और नियत ( 21 ) मसाइल

क़ुर्बानी की दुआ हिंदी में – Qurbani Ki Dua In Hindi

अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो ! इस पोस्ट में हमने क़ुर्बानी की दुआ ( Qurbani Ki Dua Hindi Mein) ! क़ुरबानी देने का इस्लामिक सुन्नी और सही तरीका और क़ुर्बानी के सारे मसाइल बताये है !और इसी पोस्ट में हमने क़ुरबानी की दुआ की हिंदी इमेज ( Qurbani Ki Dua Hindi Image ) ! और क़ुर्बानी की दुआ की इंग्लिश इमेज ( Qurbani Ki Dua English Image ) दोनों अपलोड की है !

आप पूरी पोस्ट जरूर पढ़े जिससे हमसे कुछ गलती न हो ! और अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बारगाह में हमारी क़ुरबानी कुबूल हो जाए ! आमीन

सबसे पहले जान लेते है क़ुरबानी करने का सुन्नत और सही तरीका क्या है ?

जैसे की क़ुरबानी के बकरे या जानवर को कैसे लिटाया जाए ! किस तरह ज़ब्ह किया जाए ! उस का रुख किस तरफ हो उसके पैर किस तरफ हो वगैरह वगैरह !

चाहे क़ुर्बानी हो या वैसे ही ज़ब्ह करना हो ! सुन्नत तरीका यही है कि ज़ब्ह करने वाला और ज़ब्ह होने वाला जानवर दोनों क़िब्ला रु हो ! मतलब साफ़ है की क़ुरबानी के जानवर को इस तरह लिटाया जाए की उसका रुख  ( मुँह मुबारक ) काबा शरीफ ( क़िब्ला  ) की तरफ हो और उसे उसके उलटे पैर के बल लिटाया जाए !

जानवर को लिटाने के बाद जानवर की गर्दन के ठीक पीछे ज़ब्ह करने वाला बैठा हो ताकि उसका रुख भी काबा शरीफ़ यानी क़िब्ला की तरफ हो जाए !

नोट – बहुत से हज़रात सोचते है कि ऐसा लिटाने से जानवर के पेर भी क़िब्ला की तरफ होंगे ! तो कोई बात नहीं सुन्नत तरीका ( Qurbani Karne Ka Sunnat Tarika Yahi Hai ) यही है इसी तरीके से ज़ब्ह करे

Qurbani Karne Ka Sunnat tarika

अब ज़ब्ह करने वाला अपना सीधा पैर जानवर की गर्दन  के करीब पहलु पर रखे ! मतलब जहां से जानवर का सीधा पैर शुरू होता है वही ज़बह करने वाला अपना पैर का घुटना रखेगा !

याद रखे जानवर का रुख और ज़बह करने वाले का रुख दोनों काबा शरीफ की तरफ होना जरुरी है ! नहीं तो क़ुरबानी मकरूह हो जाएगी !

नोट – इससे पहले अगर गलतियां हो चुकी हो तो कोई बात नहीं ! अल्लाह हमारी नियत देखता है ! और क़ुर्बानी को क़ुबूल करना नही करना सब उसी के हाथ में है ! हमें बस नेक नियति से ज़ब्ह करना है !

और अब मसअला पता चलने के बाद हमसे कोई भी गलती ना हो इस बात का ध्यान रखना जरुरी है ! क्यूंकि वो रब्बुल इज्जत हमारी गलतिया तो मुआफ कर सकता है ! मगर जान बूझकर की गयी गलतियां मुआफ नहीं !

जब जानवर को सही तरीके से लिटा दिया जाए तब फिर क़ुर्बानी की दुआ पढ़े ! यह दुआ ज़बह करने वाला खुद अगर ना पढ़ सके तो जो हज़रात साथ में हो वो यह दुआ बुलंद आवाज़ में पढ़े

You Also Read –

  1. JilHijja Ke Dino Ki Fazilat
  2. Qurbani Ka Tarika
  3. Takbeer-e-Tashreeq
  4. Fatiha Ka Tarika

कोई भी दुआ या आयत पढ़े तो कोशिश कीजिये की अरबी ज़ुबान में ही लफ्ज़ अदा करे ! यहाँ हमने सिर्फ समझाने के लिहाज से हिंदी में क़ुरबानी की दुआ ( Qurbani Ki Dua Hindi Mai ) पोस्ट की है ! कुछ टाइपिंग में मिस्टेक हो तो मुआफ करे !

जानवर को बाएं पहलू पर  तरह लिटाये की क़िब्ले को उसका मुंह हो ! और दाहिना पांव उसके पहलू पर रख कर यह दुआ पढ़े –

क़ुर्बानी की दुआ- Qurbani Ki Dua In Hindi

इन्नी वज्जहतु वजहि य लिल्लज़ी फ़ त रस्मावाति वल अर्दा हनीफँव व् मा अ न मिनल मुशरिकीन इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन * ला शरी क लहू व बि ज़ालि क उमिरतु व अ न मिनल मुस्लिमीन * अल्लाहुम्मा ल क व मिन क बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर *

कह कर ज़िबह करे , फिर यह दुआ पढ़े – Qurbani Ki Dua Hindi Mein

* अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम *

नोट- अगर क़ुर्बानी (Qurbani) अपनी तरफ से हो तो मिन्नी और अगर दूसरे की तरफ से ज़ब्ह किया हो ! तो मिन्नी कीं जगह मिन फला कहें ! यानी उसका नाम ले !

मतलब अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन ( यहाँ जिसकी तरफ से क़ुरबानी हो उसका नाम ले जैसे- मिन कबीर  , मिन नईम वगैरह कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम !

और अगर जानवर मुश्तरक ( शिरकत की कुर्बानी ) हो ! मतलब कुछ लोग मिलकर क़ुर्बानी कर रहे हो तो – ऊंट, भैंस वगेरह, तो फला ( मिन ) की जगह सब शरीको के नाम ले !

Qurbani Ki Dua Hindi Image- 

Qurbani Ki Dua In Hindi
Qurbani Ki Dua,

नोट – कुर्बानी (Qurbani) का जानवर अगर खुद ज़ब्ह ना कर सके तो किसी सुन्नी सहीहुल अकीदा ही से ज़ब्ह कराएं ! अगर किसी बद अकीदा और बेदीन वगेरह से क़ुर्बानी का जानवर ज़ब्ह कराया तो कुर्बानी नही होगी !

ईसीं तरह हरगिज़ हरगिज़ किसी बद मजहब व बेदीन के साथ कुर्बानी में हिस्सा ना लें ! वरना आपकी कुर्बानी भी जाया (बेकार) हो जाएगी ! और गुनाह का बोझ सर पर आएगा वो अलग है ! ख़याल रहे कि क़ुर्बानी का गोश्त वगेरह कुफ्फार व मुश्रिक़ीन को देना मना है !

( फ़तावा रज़विया, फतावा फेजुर्रसूल )

बहुत सी जगह देखा गया है ! की ज़बह के वक़्त जो भी हज़रात वहा मौजूद होते है ! वो बा आवाज़ बुलंद अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ( पूरी तक्बीरे तशरीक़ ) पढ़ते रहते है ! यह अच्छा तरीका है !

ज़ब्ह के वक़्त जानवर के पेट पर घुटना या पाँउ ना रखिये इससे खून के अलावा ग़िज़ा निकलने लगती है !

ज़बह करने के बाद एकदम गर्दन अलग ना करे ! पहले जानवर को ठंडा होने दे ! क्यूंकि जानवर , ज़ब्ह होते ही उस वक़्त में तन्नाता है जिससे उसका सारा खून बाहर निकलता है ! और सब खून बाहर हो जाता है

Yahi Qurbani Karne Ka Sunnat tarika Hai

तब वह ठंडा हो जाता है !  वो सारा खून बाहर होने तक हमें जानवर को सहलाते रहना चाहिए !

नोट  – जो क़ुर्बानी की दुआ देखकर पढ़ रहा हो तो याद रखे जिस किताब में देखकर पढ़ रहा है उसपे खून वगैरह  के छींटे नहीं लगना चाहिए !

तर्जुमा ए कंज़ुल ईमान – मेने अपना मुँह उसकी तरफ किया जिस ने आसमान व ज़मीं बनाये एक उसी का होकर और मैं मुशरिकों में नहीं !

तर्जुमा ए कंज़ुल ईमान –  बेशक  मेरी नमाज़ और मेरी कुर्बानिया और मेरा जीना और मेरा मरना सब अल्लाह के लिए है जो रब सारे जहां का ! उसका कोई शरीक नहीं मुझे यही हुक्म है और में मुसलमानो में हूँ

ऐ अल्लाह तेरे  लिए ही तेरी दी हुई तौफ़ीक़ से अल्लाह के नाम से शुरू अल्लाह सब से बड़ा है !

ऐ अल्लाह तू मुझ से ( इस क़ुरबानी को  ) क़बूल फरमा जैसे तूने अपने खलील इब्राहीम (अलैहिस्सलाम ) और अपने हबीब मुहम्मद ( सल्लल्लाहो तआला अलैहि व सल्लम )  से क़बूल फ़रमाई

बहारे शरीयत ज़ि-3 स. 352

क़ुरबानी के मसाइल

मेरे प्यारे – प्यारे भाइयो और बहनो इसमें क़ुरबानी दुआ के अलावा क़ुरबानी के सारे मसाइल भी बताये गए है ! जिन्हे जानना बहुत जरुरी है ! आप सबसे गुजारिश है की क़ुरबानी के मसाइल जरूर पढ़े ! कहीं अनजाने में हमारी क़ुरबानी जाया न हो जाए !

नोट-अगर आप सिर्फ क़ुरबानी की दुआ पढ़ने आये है ! तो स्वैप करके पोस्ट के निचे की तरफ जाइये वहां  आपको क़ुरबानी की दुआ हिंदी में और क़ुरबानी की दुआ की इमेज भी मिल जायेगी ! 

क़ुरबानी के मसाइल
1.जिन लोगों पर क़ुरबानी वाजिब नहीं वो अगर ज़िल्हज्ज के 10 दिनों तक बाल नाख़ून न काटें ! ऐसा करने से वो क़ुरबानी का सवाब पाएंगे
 बहारे शरियत, हिस्सा 15,सफ़ह 131
2. साहिबे निसाब यानि जिसके पास है माल दौलत है ! या जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर की रक़म यानी इस  वक़्त के हिसाब से जितनी भी कीमत बन रही है उतनी रकम पास है ! या फिर अगर क़ुर्बानी के दिनों में मौजूद है तो उसपर क़ुर्बानी वाजिब है ! क़ुर्बानी वाजिब होने के लिये माल पर साल गुज़रना ज़रूरी नहीं
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 132
3. साहिबे निसाब अगर औरत है तो उस पर खुद उसके नाम से क़ुरबानी वाजिब है ! मुसाफिर और नाबालिग पर क़ुर्बानी वाजिब नहीं
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 132
4. रहने का घर,पहनने के कपड़े,किताबें,सफर के लिए गाड़ियां , घरेलु सामान जरुरत के सामान में दाखिल हैं
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 133 , फ़तावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 160
5. हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि जो क़ुरबानी की ताकत रखने के बावजूद क़ुरबानी न करे ! तो वो हमारी ईदगाह के क़रीब न आये
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 129
6. 10,11,12 ज़िल्हज्ज को अल्लाह को क़ुरबानी से ज़्यादा कोई अमल प्यारा नहीं ! जानवर का खून ज़मीन पर गिरने से पहले क़ुबुल हो जाता है ! और क़ुरबानी करने वाले को जानवर के हर बाल के बदले 1 नेकी मिलती है
बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह

qurbani ki jankari Hindi mein

7. जिसपर हर साल क़ुरबानी वाजिब है ! उसे हर साल अपने नाम से क़ुरबानी करनी होगी,कुछ लोग 1 साल अपने नाम से क़ुरबानी करते हैं ! दूसरे साल अपने बीवी बच्चों के नाम से क़ुरबानी करते हैं,ये नाजायज़ है
 अनवारुल हदीस,सफ़ह 363
8. क़ुरबानी का वक़्त 10 ज़िल्हज्ज के सुबह सादिक़ से लेकर (ईद की नामज़ के बाद से ) 12 ज़िल्हज्ज के ग़ुरुबे आफताब (असर ) तक है ! मगर जानवर रात में ज़बह करना मकरूह है
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 136
9. जानवरों की उम्र ये होनी चाहिए ऊँट 5 साल,गाए-भैंस 2 साल,बकरा-बकरी 1 साल,भेड़ का 6 महीने का बच्चा अगर साल भर के बराबर दिखता है तो क़ुरबानी हो जाएगी
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 139
10.काना,लंगड़ा,लागर,बीमार,जिसकी नाक या थन कटा हो ! जिसका कान या दुम तिहाई से ज्यादा कटा हो ! बकरी का 1 या भैंस का 2 थन खुश्क हो,इन जानवरों की क़ुरबानी नहीं हो सकती
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 139
11. मय्यत की तरफ से क़ुरबानी की तो गोश्त का जो चाहे करे ! लेकिन किसी ने अपनी तरफ से क़ुरबानी करने को कहा और मर गया ! तो उसकी तरफ से की गयी क़ुरबानी का पूरा गोश्त सदक़ा करें
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 144
12. क़ुरबानी अगर मन्नत की है तो उसका गोश्त न खुद खा सकता है न ग़नी को दे सकता है,बल्कि पूरा गोश्त सदक़ा करे
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 144
13. नबी करीम सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने 2 मेढ़ों की क़ुरबानी की ! जो कि खस्सी थे !
 मुसनद अहमद,अबू दाऊद,इब्ने माजा,दारमी बहवाला बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफह 130
14. क़ुरबानी का गोश्त काफिर को हरगिज़ न दे ! और बदमज़हब मुनाफ़िक़ तो काफ़िर से बदतर है ! लिहाज़ा उसको भी हरगिज़ न दें
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 144

मसाइले क़ुरबानी

15. जो जानवर को ज़बह करे बिस्मिल्लाह शरीफ वोह पढ़े ! किसी दुसरे के पढ़ने से जानवर हलाल न होगा
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 121
16. ज़बह के वक़्त जानबूझकर बिस्मिल्लाह शरीफ न पढ़ी तो जानवर हराम है ! और अगर पढ़ना भूल गया ! तो हलाल है
 बहारे शरियत,हिस्सा 15,सफ़ह 119
 ज़बीहे इसालो सवाब,सफ़ह 15
17. ज़बह करते वक़्त जानवर की गर्दन अलग हो गई ! या जानबूझकर भी अलग कर दी ! ऐसा करना मकरूह है ! मगर जानवर हलाल है
 बहारे शरियत,हिस्सा 15, सफ़ह 118
18. अरफा यानि 9 ज़िल्हज्ज का रोज़ा अगले व पिछले 1 साल के गुनाहों का कफ्फारा है
 बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफ़ह 137
मसाइले क़ुरबानी – qurbani ki jankari Hindi mein
19. बेहतर है कि गोश्त के 3 हिस्से किये जायें,1 अपने लिये 1 रिश्तेदारों के लिये और 1 अपने पड़ोसियों के लिये ! लेकिन अगर परिवार बड़ा है ! तो पूरा का पूरा भी रख सकते हैं ! मगर जितना भी हो अपने गरीब पड़ोसियों का ख्याल ज़रूर रखें
 बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफ़ह 144
20. बड़े जानवर के 7 हिस्सों मे अगर 1 वहाबी की शिरकत हुई तो किसी की क़ुरबानी नही होगी ! इसका खास ख्याल रखें
 बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफ़ह 142
21. जिन गांव मे चुंकि ईद की नमाज़ नहीं है ! लिहाज़ा वहां सूरज निकलने के साथ ही क़ुर्बानी हो सकती है ! मगर शहर मे नमाज़े ईद से पहले हर्गिज़ नहीं हो सकती
 बहारे शरियत,हिस्सा 5,सफ़ह 137

 

Qurbani Ki Dua In English 

Janwar Ko Baaye Pahlu Par Is Tarah Litaye Ki Kible Ki Taraf Uska Muh Ho Or Dahina Panw Uske Pahlu Par Rakh Kar Yah Dua Padhe

INNI WAJJAHTU WAJHIA LILLAZI FATARAS SAMAWAATI WL ARZ HANEEFA W MA ANA MINAL MUSHRIKEEN, INNA SALATI W NUSUKI W MAHYAYA W MAMATI LILLAHI RABBIL AALMEEN * LA SHARIKA LAHU, W BIZALIKA UMIRTU, W ANA AWWALUL MUSLIMEEN * ALLAHUMMA LA K WA MIN-K BIS MILLAHI ALLAHU AKBAR.

Kahkar Zibah Kare Fir Yeh Dua Padhe

ALLAHUMMA TAQABBALHU MINNI KAMA TAQBALLTA MIN HABIBIKA MUHAMMAD, W KHALILIKA IBRAHEEM ALIHISSLAM

Note- Agar Qurbani Apni Taraf Se Ho To Minni Or Dusre Ki Taraf Se Zibh Kiya Ho To Minni Ki Jagah Min Falaa Yaani Ki Uska Naam Le

Jis janwar K ek se Jyada hisse dar ho to gosht ko wazan kar ke banta jaye, andaze se nahi, us ke baad apni qurbani ke gosht ka 3 hissa kare, ek hissa apne ghar walon ke liye, dosra apne friends Ya Rishtedaro ke liye, aur tisra hissa garibon me bant de.

 

Qurbani Ki Dua

Hazrat Ali Quotes In Hindi-Mola Ali Quotes-Status Images

Hits: 748

अस्सलामो अलैकुम दोस्तों , इस पोस्ट में हज़रत अली ( Hazrat Ali Quotes ) की बेशकीमती बातें बतायी है ! खूबसूरत इमेजेस के साथ जिन्हे आप आसानी से डावन लोड कर सकते हो अपने व्हाट्सप्प स्टेटस (Hazrat Ali Whatsapp Status ) व्हाट्सप्प पोस्ट फेसबुक इंस्टाग्राम पर अपलोड कर सकते हो !

उम्मीद करता हु आपको हज़रत अली के इरशादात ( Hazrat Ali Quotes ) की इमेजेस पसंद आएगी !

You Also Read – Hazrat Ali Ki Shahadat Ka Waqia

Hazrat Ali Quotes In Hindi-Mola Ali Quotes-Status Images

1. कोई गुनाह लज्जत के लिए मत करना क्योंकि लज्जत खत्म हो जाएगा गुनाह बाकी रहेगा और कोई ले की तकलीफ की वजह से मत छोड़ना क्योंकि तकलीफ खत्म हो जाएगी पढ़ने की बाकी रहेगी ! हजरत अली !

Koi Gunah Lazzat Ke Liye Mat karna . Kyunki Lazzat Khatm Ho Jayegi Gunah Baqi Rahega. Aur Koi Neki Taqleef Ki Vajah Se Mat Chorhna Kyunki Taqleef Khatm Ho Jayegi Magar Padhne Ki Lazzat Baqi rahegi.

 

Hazrat Ali Quotes
Hazrat Ali Quotes

2. अगर तुम्हारी आंखें खूबसूरत है तो तुम दुनिया से मोहब्बत करोगे लेकिन अगर जुबान खूबसूरत है तो दुनिया तुमसे मोहब्बत करेगी !  हज़रत अली  !

Agar Tumahri Ankhe Khubsurat Hai To Tum Duniya Se Muhabbat karoge Lekin Agar Juban Khubsurat hai To Duniya Tumse Muhabbat Karegi.

Hazrat Ali
Hazrat Ali Quotes

 

3. याद राखो, जब तुम पे कोई मुशकिल आ जाए तो कभी किसी का एहसान ना लो।  मुसिबत 4 दिन की और एहसान ज़िन्दगी भर का होता है !  हज़रत अली !

Yaad Rakho Jab Tum Pe Koi Mushkil Aa Jaaye To Kabhi Kisi Ka Ehsan Na Lo . Musibat Din ki Aur Ehsan Zindgi Bhar ka Hota Hai  .

mola ali
mola ali quotes

हज़रत अली के इरशादात

4. अगर दुनिया फ़तेह करना चाहते हो तो अपनी आवाज़ में नरम लहज़ा पैदा करो , इसका असर तलवार से ज़्यादा होता है !  हज़रत अली !

Agar Duniya Fateh Karna Chahte Ho to Apni Awaz Mein Narm Lehza Paida Karo. Iska Asar talwar Se Zyada hota Hai. Hazrat Ali

mola ali quotes
mola ali quotes

 

5. जो लोग सिर्फ तुन्हे काम  के वक़्त याद करते है , उन लोगो के काम जरूर आओ ! क्यूंकि वो अंधेरो में रौशनी ढूंढ़ते है और वो रौशनी  तुम हो !  हज़रत अली !

5 Jo Log Sirf Tumhe Kaam Ke Waqt Yaad Karte Hai . Un Logo Ke Kaam Zarur Aao Kyunki Ke Wo Andhero Mein Roshani Dhundte Hai Aur Wo Roshani Tum Ho . Hazrat Ali

mola ali quotes
mola ali quotes

 

6. जाहिल के सामने अक़्ल  बात मत करो पहले वो बहस करेगा फिर अपनी हार देखकर दुश्मन हो जाएगा ! हज़रत अली !

6. Jahil Ke Samne Aql Ki Bat Mat Karo Pahle Wo Bahas Karega Fir Apni Haar  Dekhakar Dushman Ho Jayegaa. Hazrat Ali

mola ali quotes
mola ali quotes

 

7. मर्द की गैरत का अंदाज़ा उसकी औरत के लिबास और परदे लगाया जाता है !  हज़रत अली !

7. Mard Ki Gairat Ki Andaza Uski Aurat Ke Libas Aur Parde Se Lagaya jata Hai. Hazrat Ali

mola ali quotes
mola ali quotes

हज़रत अली के इरशादात

8. दोस्तों के गम में शामिल हुआ करो हर हाल में , लेकिन खुशियों में तब तक न जाना जब तक वो खुद न बुलाये !  हज़रत अली !

8. Doston Ke Gam Mein Shamil Hua Karo HAr Hal Mein . Lekin Khushiyo Mein Tab Tak na Jana jab tak Wo Khud na bulaye.

mola ali dosti
mola ali dosti quotes

9. फर्श वाले तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते अगर अर्श वाले से तुम्हारा ताल्लुक़ मजबूत है !  हज़रत अली !

9. Farsh Wale Tumhara Kuch Bhi nahi Bigad Sakte . Agar Arsh Wale Se Tumhara Talluq Majbut Hai.

mola ali quotes
mola ali quotes

10. लोगो से याद नहीं करने का शिकवा  मत कया करो क्यूंकि जो इंसान अपने रब को भी भूल सकता है , वो किसी को भी भूल सकता है !  हज़रत अली  !

Logo Se Yaad nahi karne ka Shikwa mat Kiya Karo Kyunki Jo Insan Apne Rab Ko Bhul Sakta Hai Woh Kisiko Bhi Bhul Sakta Hai.

mola ali
mola ali status

 

11. Hamesha Aise Shakhs Ko Chuna Karo Jo Aapko Izzat De Kyunki Izzat Muhabbat Se Kahi Zyada Khaas Hai.

11. हमेशा ऐसे शख्स को चुना करो जो आपको इज़्ज़त दे , क्यूंकि इज़्ज़त मुहब्बत  कहीं ज़्यादा ख़ास है !  हज़रत अली  !

mola ali status
mola ali status

Hazrat Ali Quotes In Hindi

12. Insan Mayus Aur Pareshan Isliye Hota Hai Kyunki Wo Apne rab ko razi Karne Ke bajay Logo Ko Razi karne Mein Lagaa Rahtaa hai.

12. इंसान मायूस और परेशान इसलिए होता है क्यूंकि  वो अपने रब को राज़ी करने के बजाय लोगों को राज़ी करने में लगा रहता है !  हज़रत अली !

mola ali status
mola ali status

13. कभी तुम दुसरो के लिए दुआ मांगकर देखो तुम्हे अपने लिए मांगने की जरुरत नहीं पड़ेगी ! हज़रत अली  !

Kabhi Tum Dusro Ke Liye mangkar To Dekho Tumhe Apne Liye Mangne Ki Jarurat Nahi Padhegi . Hazrat Ali

Hazrat Ali Quotes In Hindi
Hazrat Ali Quotes In Hindi

 

14. खुबसुरत इंसान से मोहब्बत नहीं होती बल्कि जिस इंसान से मोहब्बत होती है वो खुबसुरत लगने लगता है ! हज़रत अली

mola ali status
mola ali status

15. हमेशा उस इंसान के करीब रहो जो तुम्हे खुश रखे लेकिन उस इंसान के और भी करीब रहो जो तुम्हारे बगैर खुश ना रह पाए ! हज़रत अली !

mola ali status
mola ali status

Hazrat Ali Quotes In Hindi

16. जिसकी अमीरी उसके लिबास में हो वो हमेशा फ़कीर रहेगा और जिसकी अमीरी उसके दिल में हो वो हमेशा सुखी रहेगा ! हज़रत अली !

Hazrat Ali
Hazrat Ali Quotes

17. जो तुम्हारी खामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाज़ा न कर सके उसके सामने ज़ुबान से इज़हार करना सिर्फ़ लफ्ज़ों को बरबाद करना है ! हज़रत अली !

 

hazrat ali whatsapp
hazrat ali images

 

18. जहा तक हो सके लालच से बचो लालच में जिल्लत ही जिल्लत ! हज़रत अली !

hazrat ali whatsapp
hazrat ali quotes

19. मुश्किलतरीन काम बहतरीन लोगों के हिस्से में आते हैं. क्योंकि वो उसे हल करने की सलाहियत रखते हैं !  हज़रत अली !

hazrat ali whatsapp
hazrat ali whatsapp

20. कम खाने में सेहत है, कम बोलने में समझदारी है और कम सोना इबादत है ! हज़रत अली !

 

 

hazrat ali
hazrat ali whatsapp images

 

Mola Ali Quotes In Hindi

21. अक़्लमंद अपने आप को नीचा रखकर बुलंदी हासिल करता है और नादान अपने आप को बड़ा समझकर ज़िल्लत उठाता है ! हज़रत अली !

hazrat ali
hazrat ali whatsapp images

22. मुश्किलों की वजह से चिंता में मत डूबा करो! सिर्फ बहुत अंधियारी रातों में ही सितारे ज्यादा तेज़ चमकते हैं ! हज़रत अली !

Hazrat Ali Quotes
Hazrat Ali Quotes

23. इन्सान भी कितना अजीब है की जब वह किसी चीज़ से डरता है तो वह उससे दूर भागता है लेकिन यदि वह अल्लाह से डरता है तो उसके और करीब हो जाता ! हज़रत अली !

Hazrat Ali Quotes
Hazrat Ali Quotes In Hindi

 

24. आँखों के आंसू दिल की सख्ती की वजह से सूख जातें हैं और दिल बार बार गुनाह करने की वजह से सख्त हो जाता है ! हज़रत अली !

Hazrat Ali
Hazrat Ali Ki Baatein

25. तुम्हारा एक रब है फिर भी तुम उसे याद नहीं करते लेकिन उस के कितने बन्दे हैं फिर भी वह तुम्हे नहीं भूलता ! हज़रत अली !

Hazrat Ali Deep Line
Hazrat Ali Deep Line Status

26. चुगली करना उसका काम होता है जो अपने आप को बेहतर बनाने में असमर्थ होता है ! हज़रत अली !

Hazrat Ali
Hazrat Ali Message

 

Ramadan 2023 Time Table

0

Hits: 160

अस्सलामो-अलैकुम भाइयो और बहनो रमज़ानुल मुबारक { Ramzan Mubarak  } की एडवांस में बहुत-बहुत मुबारक बाद  ! माहे रमज़ान मुबारक 2023 का टाइम टेबल { Ramadan 2023 Time Table }  निचे दिया गया है !

याद रहे ये रमज़ान टाइम टेबल  ( Ramadan 2023 Time Table ) इंडियन कैलेंडर और हिजरी कैलेंडर से लिया गया है ! लेकिन फिर भी तारीखों की हेर-फेर चाँद दिखने पर डिपेंड करती है !

लेकिन सेहरी करने का वक़्त ( sehri ka waqt  ) और रोज़ा इफ़्तार के वक़्त  ( Roza Iftaar Ka Waqt ) में कोई बदलाव नहीं होता ! सिर्फ तारीखों का फ़र्क़ हो सकता है !

MAHE RAMZAN KESE GUJARE
MAHE RAMZAN HUJOOR KI BAATE 
RAMZAN KA CHAND DEKHKAR KYA KARE 
RAMADAN KAREEM OR TAHAJJUD
MAHE RAMZAN OR QURAN KA NUJUL
RAMZAN MUBARAK ME MISWAQ KE FAYDE 

Ramadan 2023 Time Table

R Day Sehar Iftar
1 24,March, Fri 05:10 AM 06:45 PM
2 25,March, Sat 05:09 AM 06:46 PM
3 26,March, Sun 05:08 AM 06:46 PM
4 27,March, Mon 05:07 AM 06:47 PM
5 28,March, Tue 05:06 AM 06:47 PM
6 29,March, Wed 05:04 AM 06:48 PM
7 30,March, Thu 05:03 AM 06:48 PM
8 31,March, Fri 05:02 AM 06:49 PM
9 01,April, Sat 05:01 AM 06:49 PM
10 02,April, Son 05:00 AM 06:50 PM
11 03,April, Mon 04:58 AM 06:50 PM
12 04,April, Tue 04:57 AM 06:51 PM
13 05,April, Wed 04:56 AM 06:51 PM
14 06,April, Thu 04:55 AM 06:51 PM
15 07,April, Fri 04:54 AM 06:52 PM
16 08,April, Sat 04:52 AM 06:52 PM
17 09,April, Son 04:51 AM 06:52 PM
18 10,April, Mon 04:50 AM 06:53 PM
19 11,April, Tue 04:49 AM 06:53 PM
20 12,April,Wed 04:48 AM 06:53 PM
21 13,April, Thu 04:47 AM 06:54 PM
22 14,April, Fri 04:46 AM 06:54 PM
23 15,April,Sat 04:45 AM 06:54 PM
24 16,April, Son 04:44 AM 06:55 PM
25 17,April, Mon 04:43 AM 06:55 PM
26 18,April, Tue 04:42 AM 06:55 PM
27 19,April, Wed 04:41 AM 06:56 PM
28 20,April, Thu 04:40 AM 06:56 PM
29 21,April, Fri 04:39 AM 06:57 PM
30 22,April, Sat 04:38 AM 06:57 PM

रोज़ा की नियतः- ROZA RAKHNE KI NIYAT

नियत की मैंने आज के रोज़ा की
बिसौमि गदिन नवयतु मिन शहरे रमज़ान

इफ्तार की दुआ- ROZA KHOLNE KI DUA

अल्लाहुम्मा इन्नी ल-क सुम्तु व बि-क आमनतु
व अलै-क तवक्कलतु व अला रिजि़्कक़ा अफ्तरतु फ़तक़ब्बल मिन्नी

तराबीह की तस्बीह – TARABIH KI DUA

सुब्हा-नल मलिकिल क़ुद्दूस * सुब्हा-न ज़िल मुल्कि वल म-ल कूत * सुब्हा-न ज़िल इज्जती वल अ-ज़-मति वल-हैबति वल क़ुदरति वल-किब्रियाइ वल-ज-ब-रुत * सुब्हा-नल  मलिकिल हैय्यिल्लज़ी ला यनामु व ला यमूत * सुब्बुहुन कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह * अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन्नारि * या मुजीरु या मुजीरु या मुजीर *

दुआ-ए-क़ुनूत – DUA-E-QUNUT

अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनु क व नस-तग़-फिरू- क व  नु’अ मिनु बि-क व न तवक्कलु अलै-क व नुस्नी अलैकल खैर * व नश कुरु-क वला नकफुरु-क व नख्लऊ व नतरुकु मैंय्यफ-जुरूक * अल्लाहुम्मा इय्या का न अ बुदु व ल-क- नुसल्ली व नस्जुदु व इलै-क नस्आ व नह-फिदु व नरजू रह-म-त-क व नख्शा अज़ा-ब-क इन्ना अज़ा-ब-क बिल क़ुफ़्फ़ारि मुलहिक़ *

MAHE RAMADAN MEIN PADHNE WALI DUA

रमज़ानुल मुबारक { Ramzan Mubarak  } का पहला अशरा रहमत का है ! लिहाजा पहले रोजे से दसवे रोजे तक इस दुआ को कसरत से पढ़ें !

*अल्लाहुम्मर-हमना या अर हमर-राहिमीन*

रमज़ानुल मुबारक { Ramzan Mubarak  } का दूसरा अशरा मग्फिरत का है ! लिहाजा ग्यारहवै  रोज़े से बीसवे रोज़े तक यह दुआ बार-बार पड़े !

*अल्लाहुम्मग़ फ़िर-लना  ज़ुनू बना या रब्बल-आलमीन*

रमज़ानुल मुबारक { Ramzan Mubarak  } का तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का है ! लिहाजा इक्कीसवे रोज आखरी रोजे तक यह दुआ बार-बार पड़े !

*अल्लाहुम्मा किना अज़ाबन्नारि व अद खिलनल-जन्न-त अ म-अल अबरारि या अज़ीजु या गफ्फ़ार * 

सहरी के वक्त यह दुआ पढ़े

 *या वासीअल फदलि व या वासीअल मग़फि-रति इग्फिर-लना*

रमजान शरीफ में कसरत से चलते फिरते यह दुआ पढ़े !

*ला इला-ह इलल्लाहु अल्लाहुम्मा  नस-तग़-फिरुका व नस-अलु-कल जन्न-त व  नउज़ुबि-क मिनन्नार *

शबे कद्र में यह दुआ ज्यादा से ज्यादा पढ़े !

*अल्लाहुम्मा इन्न-क अफुव्वुन तुहिब्बुल-अफ-व फ़अ-फ़ु अन्ना या करीम*

Ramzanul Mubarak Mein Padhne Walli Dua

# या अल्लाह हमारी ज़बान पर कल म ए-तय्यबा हमेशा जारी रख *
* ऐ अल्लाह हमे कामिल ईमान नसीब फ़रमा और पूरी हिदायत अता फ़रमा *
# या अल्लाह हमें पूरे रमज़ान की नेअमतें, अनवार व बरकात से माला माल फरमा *
* ऐ अल्लाह हम पर अपनी रहमत नाज़िल फरमा, करम की बारिश फ़ऱमा और रिज़के हलाल अता फरमा*

# या अल्लाह हमे दीने इस्लाम के अहकाम पर मुकम्मल तोर पर अमल करने वाला बना दे *
* ऐ अल्लाह तू हमे अपना मोहताज रख, किसी गैर का मोहताज न बना *
# या अल्लाह हमे लेलतुल .कद्र नसीब फ़रमा *
* ऐ अल्लाह हमें हज्जे मकबूल नसीब फ़रमा *

# या अल्लाह हमें झूठ, ग़ीबत, बुग्ज़ , कीना, बुराई, झगड्रे और फसाद से दूर रख *
* ऐ अल्लाह हम से तंगदस्ती, खौफ़, घबराहट और क़र्ज़ के बोझ को दूर फरमा *
# या अल्लाह हमारे सग  सग़ीरह और कबीरह गुनाहों को माफ़ फरमा *
* अल्लाह हम को दज्जाल के फितने, शैतान और नफ़्स के शर से महफूज़ रख *

Ramzanul Mubarak Mein Padhne Walli Dua

# ऐ अल्लाह औरतों को पर्दे की पूरी पूरी पाबंदी करने की तौफीक अता फरमा *
* या अल्लाह हर छोटी बड़ी बीमारी से हमें और कुल मोमिनीन व मोमिनात को महफूज़ रख *
* ऐ अल्लाह हमे तक़वा और परहेज़गारी अता फरमा *
# या अल्लाह हमें हुजूरे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि क्सल्लम के तरीके पर क़ाइम रख*

* ऐ अल्लाह हमें हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत पर चलने की तौफीक अता फरमा *
# या अल्लाह हमें क़यामत ॰ के दिन हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हाथो से जाम-ए-कौसर फ़रमा *
* ऐ अल्लाह हमे कयामत के दिन . सल्लल्ला अलैहि वसल्लम की शफाअत फ़रमा *

# अल्लाह लू अपनी मोहब्बत और हमारे आका सल्लल्लाहु अलैहि क्सल्लम की मोहब्बत हमारे दिलो मे डाल दे *
* ऐ अल्लाह हमे मौत की सख्ती से और क़ब्र के अजाब से बचा *
# या अल्लाह मुनकर नकीर के सवालात हम पर आसान फ़रमा *

* ऐ अल्लाह हमे क़यामत के॰ रोज़ अपना दीदार नसीब फ़रमा *
# या अल्लाह हमे जन्नतुल फ़िरदौस में जगह अता फरमा *
* ऐ अल्लाह हम कयामत की गर्मी और जहन्नम की आग से महफूज़ फ़रमा *

# या अल्लाह हमें और तमाम मोमिनीन व मोमिनात को हश्र की रुसवाइर्यो से बचा *
* ऐ अल्लाह नाम-ए-आमाल हमारे दाहिने हाथ मे नसीब फ़रमा *
# या अल्लाह अपने अर्श के साए में जगह अता फरमा ०

* ऐ अल्लाह पुल सिरात पर बिजली की तरह गुजरने की कुव्वत अता फ़रमा *
# या अल्लाह हमें जहान में रसूले पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का गुलाम बनाके रख *

सूरह यासीन की फ़ज़ीलत

Hits: 13

सूरह यासीन की फ़ज़ीलत – Surah Yasin Ki Fazilat

सूरह यासीन को यासीन शरीफ भी कहा जाता है। यह क़ुरान शरीफ की 36 वीं सूरह है ! और सूरह यासीन में कुल 83 आयतें है । सूरह यासीन क़ुरान शरीफ की सबसे अफ़ज़ल सूरह में से एक सूरह है !
सूरह यासीन को क़ुरान शरीफ का दिल भी कहा जाता हैं ! क्यूंकि इस सूरह में इस्लाम से जुडी सारी ज़रूरी बातें जो इंसान को नेकी की राह पर ले जाती हैं ! और इंसान को गुनाहो से बचाती हैं ! वह शामिल हैं।
सूरह यासीन क़ुरान शरीफ के 22 वें पारे से शुरू होती हैं ! और 23 वें पारे में ख़त्म होती है ! बाज़ारों दुकानों पर यासीन शरीफ की किताबें मिल जाती हैं ! जिसे खरीद कर रोज़ाना यासीन शरीफ की तिलावत की जाये और अपनी ज़िन्दगी को संवारा जाये !

Surah Yasin Kab Nazil Hui

जब मक्का में काफिर एक अल्लाह की इबादत नहीं कर रहे थे ! और पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का मज़ाक उड़ाते थे ! और उन पर ज़ुल्म करते थे तब मक्का में सूरह यासीन नाज़िल हुई थी !
सूरह यासीन में एक अल्लाह का ज़िक्र, इंसान को सही रास्तों पर चलने की नसीहतें, जो लोग अल्लाह को नहीं मानते उनके लिए चेतावनी है ! और  सूरह यासीन (surah yasin ) में पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई बातें मानना और आखिर में क़यामत के दिन की कुछ बातें शामिल हैं
सूरह यासीन (surah yasin ) थोड़ी बड़ी सूरह हैं ! लेकिन इसको याद करना बहुत आसान हैं ! अगर आप सूरह यासीन पूरी याद करना चाहते हो तो रोज़ाना इसे सुने और उसे याद करने की कोशिश करें ! इंशाल्लाह 5 से 10 दिनों में आपको पूरी यासीन शरीफ याद हो जाएगी !
अगर आपको फिर भी वक़्त लग रहा है ! तो रोज़ाना सूरह यासीन पढ़ते रहे ! अल्लाह के फ़ज़लों करम से आपको सूरह यासीन जल्द याद हो जाएगी ! आप कोशिश करें की थोड़ा थोड़ा याद करें ! एक बार एक पेज याद हो जाता हैं तो दूसरा पेज याद करने की कोशिश करें ! जिससे आपको पूरी यासीन शरीफ याद करने में आसानी होगी !
*सूरह यासीन सुने और याद करने की कोशिश करे*

     *यासीन शरीफ पढ़ने के फायदे*

एक हदीस के मुताबिक जो शख्स सूरह यासीन सिर्फ एक मर्तबा पड़ेगा उसे पुरे दस क़ुरान शरीफ पढ़ने जितना सवाब हासिल होगा ।
किसी शख्स की कब्र पर अगर सूरह यासीन पढ़ा जाये ! तो फ़रिश्ते उसकी सज़ायें माफ़ करने के लिए अल्लाह से दुआएं करते हैं !
अगर कोई किसी बीमारी से परेशान हो तो उसे चाहिए की रोज़ाना यासीन शरीफ पढ़े इंशाअल्लाह बीमारी से शिफा मिलेगी ! औरअगर बीमार आदमी खुद नहीं पड़ सकता है तो घर वालों में से कोई एक यासीन शरीफ पढ़ कर पानी में दम करके वह पानी मरीज़ को पिला दे उसकी बीमारी जड़ से खत्म हो जाएगी !
अगर कोई किसी मुसीबत में फँस गया हैं ! तो उसे चाहिए की सूरह यासीन पढ़े इंशाअल्लाह मुसीबत दूर हो जाएगी !
रोज़ घर से निकलने से पहले सूरह यासीन पढ़ कर निकले पूरा दिन अच्छे से निकलेगा और आप बालाओं और परेशानियों से महफूज़ रहेंगे।
अपने गुनाहों से माफ़ी मांगने के लिए सूरह यासीन (surah yasin ) पढ़ कर ! अल्लाह से दुआ करें अल्लाह आपके गुनाह माफ़ कर देगा !
You ALso Read – Mahe Ramazan Ki Jankari

Surah Yasin Ki Fazilat

जो शख्स रात को यासीन शरीफ पढ़ कर सोएगा ! उसे बुरे ख्वाब या किसी भी तरह का डर महसूस नहीं होगा साथ ही उसके दिन भर के गुनाह भी माफ़ हो जायेंगे !
एक हदीस के मुताबिक अगर कोई शख्स पाबन्दी से सूरह यासीन (surah yasin ) पढ़ेगा ! उसे 20 हज करने जितना सवाब हासिल होगा !
अगर कोई शख्स यासीन शरीफ पढ़ते पढ़ते मर जाता हैं ! तो उसे खुदा की तरफ से शहीद का दर्जा अता किया जाता है !
हर दिन यासीन शरीफ पढ़ने वाले शख्स की अल्लाह हर ज़रूरते पूरी करता है।
शादी में अगर रुकावट या कोई दिक्कत आ रही हैं तो रोज़ाना फज्र की नमाज़ के बाद सूरह यासीन (surah yasin ) पढ़ा जाये ! इंशाल्लाह जल्द ही रिश्ता हो जायेगा !
जब कोई औरत माँ बनने वाली होती हैं तो उसे चाहिए की रोज़ाना सूरह यासीन पढ़ कर ! अपने ऊपर दम करे ! जिसकी फ़ज़ीलत से माँ और बच्चा दोनों की हिफाज़त होगी ! और बच्चा होते वक़्त माँ को ज़्यादा तकलीफ नहीं होगी !
दुश्मन से हिफाज़त के लिए सूरह यासीन (surah yasin ) पढ़ा जाये ! जिससे दुश्मन आपके आस पास भी नहीं भटकेगा !
कामयाबी हासिल करना चाहते हो तो पाबन्दी से सूरह यासीन पढ़ा करो ! इंशाअल्लाह हर काम में कामयाबी हासिल होगी !
हर मुसलमान को चाहिए की पाबन्दी से सूरह यासीन पढ़ा करें ! क्यूंकि सूरह यासीन (surah yasin ) आपको गुनाहों से बचाएगी ! कयामत में आपको अज़ाब से बचाएगी ! आपके अज़ाबों को कम करेगी और एक अच्छी ज़िन्दगी जीने की राह बताएगी !
بِسمِ اللَّهِ الرَّحمٰنِ الرَّحيمِ
1. يسٓ
2. وَٱلْقُرْءَانِ ٱلْحَكِيمِ
3. إِنَّكَ لَمِنَ ٱلْمُرْسَلِينَ
4. عَلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيمٍ
5. تَنزِيلَ ٱلْعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ
6. لِتُنذِرَ قَوْمًا مَّآ أُنذِرَ ءَابَآؤُهُمْ فَهُمْ غَٰفِلُونَ
7. لَقَدْ حَقَّ ٱلْقَوْلُ عَلَىٰٓ أَكْثَرِهِمْ فَهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ
8. إِنَّا جَعَلْنَا فِىٓ أَعْنَٰقِهِمْ أَغْلَٰلًا فَهِىَ إِلَى ٱلْأَذْقَانِ فَهُم مُّقْمَحُونَ
9. وَجَعَلْنَا مِنۢ بَيْنِ أَيْدِيهِمْ سَدًّا وَمِنْ خَلْفِهِمْ سَدًّا فَأَغْشَيْنَٰهُمْ فَهُمْ لَا يُبْصِرُونَ
10. وَسَوَآءٌ عَلَيْهِمْ ءَأَنذَرْتَهُمْ أَمْ لَمْ تُنذِرْهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ
11. إِنَّمَا تُنذِرُ مَنِ ٱتَّبَعَ ٱلذِّكْرَ وَخَشِىَ ٱلرَّحْمَٰنَ بِٱلْغَيْبِ ۖ فَبَشِّرْهُ بِمَغْفِرَةٍ وَأَجْرٍ كَرِيمٍ
12. إِنَّا نَحْنُ نُحْىِ ٱلْمَوْتَىٰ وَنَكْتُبُ مَا قَدَّمُوا۟ وَءَاثَٰرَهُمْ ۚ وَكُلَّ شَىْءٍ أَحْصَيْنَٰهُ فِىٓ إِمَامٍ مُّبِينٍ
13. وَٱضْرِبْ لَهُم مَّثَلًا أَصْحَٰبَ ٱلْقَرْيَةِ إِذْ جَآءَهَا ٱلْمُرْسَلُونَ
14. إِذْ أَرْسَلْنَآ إِلَيْهِمُ ٱثْنَيْنِ فَكَذَّبُوهُمَا فَعَزَّزْنَا بِثَالِثٍ فَقَالُوٓا۟ إِنَّآ إِلَيْكُم مُّرْسَلُونَ
15. قَالُوا۟ مَآ أَنتُمْ إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا وَمَآ أَنزَلَ ٱلرَّحْمَٰنُ مِن شَىْءٍ إِنْ أَنتُمْ إِلَّا تَكْذِبُونَ
16. قَالُوا۟ رَبُّنَا يَعْلَمُ إِنَّآ إِلَيْكُمْ لَمُرْسَلُونَ
17. وَمَا عَلَيْنَآ إِلَّا ٱلْبَلَٰغُ ٱلْمُبِينُ
18. قَالُوٓا۟ إِنَّا تَطَيَّرْنَا بِكُمْ ۖ لَئِن لَّمْ تَنتَهُوا۟ لَنَرْجُمَنَّكُمْ وَلَيَمَسَّنَّكُم مِّنَّا عَذَابٌ أَلِيمٌ
19. قَالُوا۟ طَٰٓئِرُكُم مَّعَكُمْ ۚ أَئِن ذُكِّرْتُم ۚ بَلْ أَنتُمْ قَوْمٌ مُّسْرِفُونَ
20. وَجَآءَ مِنْ أَقْصَا ٱلْمَدِينَةِ رَجُلٌ يَسْعَىٰ قَالَ يَٰقَوْمِ ٱتَّبِعُوا۟ ٱلْمُرْسَلِينَ
21. ٱتَّبِعُوا۟ مَن لَّا يَسْـَٔلُكُمْ أَجْرًا وَهُم مُّهْتَدُونَ
22. وَمَا لِىَ لَآ أَعْبُدُ ٱلَّذِى فَطَرَنِى وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ
23. ءَأَتَّخِذُ مِن دُونِهِۦٓ ءَالِهَةً إِن يُرِدْنِ ٱلرَّحْمَٰنُ بِضُرٍّ لَّا تُغْنِ عَنِّى شَفَٰعَتُهُمْ شَيْـًٔا وَلَا يُنقِذُونِ
24. إِنِّىٓ إِذًا لَّفِى ضَلَٰلٍ مُّبِينٍ
25. إِنِّىٓ ءَامَنتُ بِرَبِّكُمْ فَٱسْمَعُونِ
26. قِيلَ ٱدْخُلِ ٱلْجَنَّةَ ۖ قَالَ يَٰلَيْتَ قَوْمِى يَعْلَمُونَ
27. بِمَا غَفَرَ لِى رَبِّى وَجَعَلَنِى مِنَ ٱلْمُكْرَمِينَ
28. وَمَآ أَنزَلْنَا عَلَىٰ قَوْمِهِۦ مِنۢ بَعْدِهِۦ مِن جُندٍ مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَمَا كُنَّا مُنزِلِينَ
29. إِن كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَٰحِدَةً فَإِذَا هُمْ خَٰمِدُونَ
30. يَٰحَسْرَةً عَلَى ٱلْعِبَادِ ۚ مَا يَأْتِيهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ
31. أَلَمْ يَرَوْا۟ كَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُم مِّنَ ٱلْقُرُونِ أَنَّهُمْ إِلَيْهِمْ لَا يَرْجِعُونَ
32. وَإِن كُلٌّ لَّمَّا جَمِيعٌ لَّدَيْنَا مُحْضَرُونَ
33. وَءَايَةٌ لَّهُمُ ٱلْأَرْضُ ٱلْمَيْتَةُ أَحْيَيْنَٰهَا وَأَخْرَجْنَا مِنْهَا حَبًّا فَمِنْهُ يَأْكُلُونَ
34. وَجَعَلْنَا فِيهَا جَنَّٰتٍ مِّن نَّخِيلٍ وَأَعْنَٰبٍ وَفَجَّرْنَا فِيهَا مِنَ ٱلْعُيُونِ
35. لِيَأْكُلُوا۟ مِن ثَمَرِهِۦ وَمَا عَمِلَتْهُ أَيْدِيهِمْ ۖ أَفَلَا يَشْكُرُونَ
سُبْحَٰنَ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلْأَزْوَٰجَ كُلَّهَا مِمَّا تُنۢبِتُ ٱلْأَرْضُ وَمِنْ أَنفُسِهِمْ وَمِمَّا لَا يَعْلَمُونَ
37. وَءَايَةٌ لَّهُمُ ٱلَّيْلُ نَسْلَخُ مِنْهُ ٱلنَّهَارَ فَإِذَا هُم مُّظْلِمُونَ
38. وَٱلشَّمْسُ تَجْرِى لِمُسْتَقَرٍّ لَّهَا ۚ ذَٰلِكَ تَقْدِيرُ ٱلْعَزِيزِ ٱلْعَلِيمِ
39. وَٱلْقَمَرَ قَدَّرْنَٰهُ مَنَازِلَ حَتَّىٰ عَادَ كَٱلْعُرْجُونِ ٱلْقَدِيمِ
40. لَا ٱلشَّمْسُ يَنۢبَغِى لَهَآ أَن تُدْرِكَ ٱلْقَمَرَ وَلَا ٱلَّيْلُ سَابِقُ ٱلنَّهَارِ ۚ وَكُلٌّ فِى فَلَكٍ يَسْبَحُونَ
41. وَءَايَةٌ لَّهُمْ أَنَّا حَمَلْنَا ذُرِّيَّتَهُمْ فِى ٱلْفُلْكِ ٱلْمَشْحُونِ
42. وَخَلَقْنَا لَهُم مِّن مِّثْلِهِۦ مَا يَرْكَبُونَ
43. وَإِن نَّشَأْ نُغْرِقْهُمْ فَلَا صَرِيخَ لَهُمْ وَلَا هُمْ يُنقَذُونَ
44. إِلَّا رَحْمَةً مِّنَّا وَمَتَٰعًا إِلَىٰ حِينٍ
45. وَإِذَا قِيلَ لَهُمُ ٱتَّقُوا۟ مَا بَيْنَ أَيْدِيكُمْ وَمَا خَلْفَكُمْ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُونَ
46. وَمَا تَأْتِيهِم مِّنْ ءَايَةٍ مِّنْ ءَايَٰتِ رَبِّهِمْ إِلَّا كَانُوا۟ عَنْهَا مُعْرِضِينَ
47. وَإِذَا قِيلَ لَهُمْ أَنفِقُوا۟ مِمَّا رَزَقَكُمُ ٱللَّهُ قَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لِلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ أَنُطْعِمُ مَن لَّوْ يَشَآءُ ٱللَّهُ أَطْعَمَهُۥٓ إِنْ أَنتُمْ إِلَّا فِى ضَلَٰلٍ مُّبِينٍ
48. وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَٰذَا ٱلْوَعْدُ إِن كُنتُمْ صَٰدِقِينَ
49. مَا يَنظُرُونَ إِلَّا صَيْحَةً وَٰحِدَةً تَأْخُذُهُمْ وَهُمْ يَخِصِّمُونَ
50. فَلَا يَسْتَطِيعُونَ تَوْصِيَةً وَلَآ إِلَىٰٓ أَهْلِهِمْ يَرْجِعُونَ
51. وَنُفِخَ فِى ٱلصُّورِ فَإِذَا هُم مِّنَ ٱلْأَجْدَاثِ إِلَىٰ رَبِّهِمْ يَنسِلُونَ
52. قَالُوا۟ يَٰوَيْلَنَا مَنۢ بَعَثَنَا مِن مَّرْقَدِنَا ۜ ۗ هَٰذَا مَا وَعَدَ ٱلرَّحْمَٰنُ وَصَدَقَ ٱلْمُرْسَلُونَ
53. إِن كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَٰحِدَةً فَإِذَا هُمْ جَمِيعٌ لَّدَيْنَا مُحْضَرُونَ
54. فَٱلْيَوْمَ لَا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَيْـًٔا وَلَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنتُمْ تَعْمَلُونَ
55. إِنَّ أَصْحَٰبَ ٱلْجَنَّةِ ٱلْيَوْمَ فِى شُغُلٍ فَٰكِهُونَ
56. هُمْ وَأَزْوَٰجُهُمْ فِى ظِلَٰلٍ عَلَى ٱلْأَرَآئِكِ مُتَّكِـُٔونَ
57. لَهُمْ فِيهَا فَٰكِهَةٌ وَلَهُم مَّا يَدَّعُونَ
58. سَلَٰمٌ قَوْلًا مِّن رَّبٍّ رَّحِيمٍ
59. وَٱمْتَٰزُوا۟ ٱلْيَوْمَ أَيُّهَا ٱلْمُجْرِمُونَ
60. أَلَمْ أَعْهَدْ إِلَيْكُمْ يَٰبَنِىٓ ءَادَمَ أَن لَّا تَعْبُدُوا۟ ٱلشَّيْطَٰنَ ۖ إِنَّهُۥ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِينٌ
61. وَأَنِ ٱعْبُدُونِى ۚ هَٰذَا صِرَٰطٌ مُّسْتَقِيمٌ
62. وَلَقَدْ أَضَلَّ مِنكُمْ جِبِلًّا كَثِيرًا ۖ أَفَلَمْ تَكُونُوا۟ تَعْقِلُونَ
63. هَٰذِهِۦ جَهَنَّمُ ٱلَّتِى كُنتُمْ تُوعَدُونَ
64. ٱصْلَوْهَا ٱلْيَوْمَ بِمَا كُنتُمْ تَكْفُرُونَ
65. ٱلْيَوْمَ نَخْتِمُ عَلَىٰٓ أَفْوَٰهِهِمْ وَتُكَلِّمُنَآ أَيْدِيهِمْ وَتَشْهَدُ أَرْجُلُهُم بِمَا كَانُوا۟ يَكْسِبُونَ
66. وَلَوْ نَشَآءُ لَطَمَسْنَا عَلَىٰٓ أَعْيُنِهِمْ فَٱسْتَبَقُوا۟ ٱلصِّرَٰطَ فَأَنَّىٰ يُبْصِرُونَ
67. وَلَوْ نَشَآءُ لَمَسَخْنَٰهُمْ عَلَىٰ مَكَانَتِهِمْ فَمَا ٱسْتَطَٰعُوا۟ مُضِيًّا وَلَا يَرْجِعُونَ
68. وَمَن نُّعَمِّرْهُ نُنَكِّسْهُ فِى ٱلْخَلْقِ ۖ أَفَلَا يَعْقِلُونَ
69. وَمَا عَلَّمْنَٰهُ ٱلشِّعْرَ وَمَا يَنۢبَغِى لَهُۥٓ ۚ إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ وَقُرْءَانٌ مُّبِينٌ
70. لِّيُنذِرَ مَن كَانَ حَيًّا وَيَحِقَّ ٱلْقَوْلُ عَلَى ٱلْكَٰفِرِينَ
71. أَوَلَمْ يَرَوْا۟ أَنَّا خَلَقْنَا لَهُم مِّمَّا عَمِلَتْ أَيْدِينَآ أَنْعَٰمًا فَهُمْ لَهَا مَٰلِكُونَ
72. وَذَلَّلْنَٰهَا لَهُمْ فَمِنْهَا رَكُوبُهُمْ وَمِنْهَا يَأْكُلُونَ
73. وَلَهُمْ فِيهَا مَنَٰفِعُ وَمَشَارِبُ ۖ أَفَلَا يَشْكُرُونَ
74. وَٱتَّخَذُوا۟ مِن دُونِ ٱللَّهِ ءَالِهَةً لَّعَلَّهُمْ يُنصَرُونَ
75. لَا يَسْتَطِيعُونَ نَصْرَهُمْ وَهُمْ لَهُمْ جُندٌ مُّحْضَرُونَ
76. فَلَا يَحْزُنكَ قَوْلُهُمْ ۘ إِنَّا نَعْلَمُ مَا يُسِرُّونَ وَمَا يُعْلِنُونَ
77. أَوَلَمْ يَرَ ٱلْإِنسَٰنُ أَنَّا خَلَقْنَٰهُ مِن نُّطْفَةٍ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٌ مُّبِينٌ
78. وَضَرَبَ لَنَا مَثَلًا وَنَسِىَ خَلْقَهُۥ ۖ قَالَ مَن يُحْىِ ٱلْعِظَٰمَ وَهِىَ رَمِيمٌ
79. قُلْ يُحْيِيهَا ٱلَّذِىٓ أَنشَأَهَآ أَوَّلَ مَرَّةٍ ۖ وَهُوَ بِكُلِّ خَلْقٍ عَلِيمٌ
80. ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُم مِّنَ ٱلشَّجَرِ ٱلْأَخْضَرِ نَارًا فَإِذَآ أَنتُم مِّنْهُ تُوقِدُونَ
81. أَوَلَيْسَ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بِقَٰدِرٍ عَلَىٰٓ أَن يَخْلُقَ مِثْلَهُم ۚ بَلَىٰ وَهُوَ ٱلْخَلَّٰقُ ٱلْعَلِيمُ
82. إِنَّمَآ أَمْرُهُۥٓ إِذَآ أَرَادَ شَيْـًٔا أَن يَقُولَ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ
83. فَسُبْحَٰنَ ٱلَّذِى بِيَدِهِۦ مَلَكُوتُ كُلِّ شَىْءٍ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ

shabe barat 2023 in india

0

Hits: 76

shabe barat 2023 in india

अस्सलामो अलैकुम दोस्तों , हर साल की तरह इस साल भी शबे बरात की बहुत बहुत मुबारक बाद  जैसा की आप सब जानते है शबे बारात बहुत ही अफजल रात है , और इस रात में कसरत से इबादत की जाती है , इसी रात में हिसाबो किताब होता है ,

और हम सब मुसलमान बड़े ही खुशनसीब है की हमारे हिस्से में ये इबादत वाली बड़ी ही अफजल रात आयी , अफ़सोस मगर बहुत से मुस्लिम भाई इस रात की अहमियत को समझते ही नहीं

शबे बरात चाँद की 14 तारीख की नाईट में मनाई जाती है इस हिसाब से ( shabe barat 2023 ) इंडिया में शबे बरात 7 मार्च 2023 को मनाई जायेगी !

शबे बरात की रात में हमें ये इबादत करनी है 

 

shab e barat 2023
shab e barat 2023

शबे बरात की रात में हमें ये इबादत करनी है – (shabe barat 2023)

1. मग़रिब की नमाज़ के बाद 6 रकअत नमाज़ नफ़्ल 2×2 की नियत से अदा कीजिए

पहली 2 रकअत नमाज़ शुरू करने से पहले यह दुआ कीजिए

या अल्लाह इन दो रकआतो की बरकत से मेरी उम्र में बरकत अता फरमा

2. शबे बरात की दूसरी 2 रकअत नमाज नफ़्ल अदा करने से पहले अल्लाह से ये दुआ कीजिए

या अल्लाह इन दो रकअत की बरकत से बलाओ से मेरी हिफाजत फरमा !

3. तीसरी 2 रकअत नमाज शुरू करने से पहले यह दुआ कीजिए

या अल्लाह इन दो रकआतो की बरकत से मुझे सिर्फ अपना मोहताज रख

और गैरों की मोहताजी से बचा

नोट- ये नमाज़ दूसरी नफ़्ल नमाज़ जैसी ही पढ़नी है

नमाज़ मुकम्मल होने बाद

हर दो रकअत नमाज़ के बाद 21 मर्तबा सूरह इखलास और एक मर्तबा सूरह यासीन की तिलावत कीजिये

अगर आप दो लोग एक साथ में नमाज पढ़ते हैं ! 21 मर्तबा सूरह इखलास (कुल्हुवल्लाहु शरीफ ) के बाद

जब सूरह यासीन पढ़ने की बारी आये !

तो दोनों में से कोई भी एक सूरह यासीन की तिलावत बुलंद आवाज में कर सकता है !

और दूसरा उस आवाज को सूरह यासीन की तिलावत को बिल्कुल खामोशी के साथ सुने

दूसरा अपनी जुबान से कुछ भी लफ़्ज़ अदा ना करें सिर्फ और सिर्फ सूरह यासीन सुने

इंशा अल्लाह शबे बरात मैं सवाब का अंबार लग जाएगा !

ईशा की नमाज़ से पहले ग़ुस्ल  करने का वक़्त मिल जाए तो पहले बेरी के पत्ते पानी में डालकर ग़ुस्ल करले  ! और वक़्त नहीं मिले तो ईशा की नमाज़ के बाद ग़ुस्ल जरूर करले ! उसके बाद 2 रकअत नमाज़ नफ़्ल तहय्यतुल वज़ू की अदा करे !

हर रकअत मे सूरए फातिहा के बाद आयतल कुर्सी एक बार और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ तीन बार पढे !

नोट – किसी मज़बूरी के कारन ग़ुस्ल ना करपाए तो कोई बात नहीं ! कोशिश यही करनी चाहिए ग़ुस्ल किया जाए 

शबे बरात 2023

01. बारह रकअत नफ़्ल 4×4 नियत से अदा करे । पहली चार रकअत नमाज़ इस तरह  पढ़े  

चारो रक्आतो में सूरए फातिहा के बाद

और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ दस मर्तबा पढे !

दो रकअत पूरी होने के बाद जब तीसरी रकअत के लिए खडे हो जाए !

तो फिर सना से तीसरी रकअत शुरू करे,  फिर सूरह फातिहा उसके बाद जैसे पहली दो रकअत नमाज़ अदा

की उसी तरह बची हुई दो रकअत अदा करेंगे !

इसी तरह से 4×4 की नियत से आठ रकअत नमाज़ ओर मुकम्मल कीजिये

नोट – हर रकअत में सौराह फातिहा के बाद 10 मर्तबा सूरह इखलास यानी कुल हुवल्लाहु शरीफ़ पूरी सूरह  पढ़नी है !

नमाज़ से फारिग हो कर तीसरा कलिमा दस बार और चौथा कलिमा दस बार और दरुद शरीफ सो मर्तबा पढे ।

02 . फिर उसके बाद आठ रकअत नमाज़ नफ्ल दो सलाम (यानी चार -चार रकअत की नियत से ) से पढे  

shab e barat ki namaz ka tarika

चारो रक्आतो में सूरए फातिहा के बाद इन्ना अन्ज़लना हु एक बार

और कुल हुवल्लाहु शरीफ़ पच्चीस बार पढे !

दो रकअत पूरी होने के बाद

फिर सना से तीसरी रकअत शुरू करे, उसके बाद जैसे पहली दो रकअत नमाज़ अदा

की उसी तरह बची हुई दो रकअत अदा करेंगे !

इसी तरह से चार रकअत नफ़्ल फिर से करेंगे उसके बाद दुआए निस्फ़ शाबान पढ़ेंगे !

इसके बाद आप चाहे तो

shabe barat 2023

3.  दो-दो रकअत करके सौ रकअत नफ़्ल पढे ! इसकी, बडी फ़जीलत है, 

(सूरए फातिहा के बाद जो सूरत याद हो पढे )

हदीस मे आया है कि जो शख्स इस रात में सौ रकअत नफ्ल अदा करेगा

तो अल्लाह तआला सौ फरिश्ते उसके लिये मुक़र्रर फरमा देगा ।

उनमें से तीस फरिश्ते उसको जन्नत की खुशखबरी सुनाते रहेंगे,

तीस फरिश्ते जहन्नम से बैख़ोफ़ी की बशारत देते रहे’गे !

तीस फरिश्ते बला व आफ़त को दफा करते रहेंगे

और दस फरिश्ते उस शख्स को शैतान के फितनो से महफूज रखेंगे 1

शबे बरात में ज्यादा से ज्यादा इबादत कीजिये मोबाइल तो हम रोज चलाते है टीवी तो हम रोज देखते है

एक रात इबादत में गुजारिये फिर देखिये दिल को कितना सुकून मिलता है !

दुआए निस्फ़ शाबान – 

बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम 

अलाहुम्मा या जल मन्नि  वला यमुत्रु अलैहि 0  या जलजलालि वल इकराम 0 

या जत्तोलि वल इनआम 0 ला इलाहा इला अन्ता ज़हरल्लाजीन 0  

वजारल मुस्तजिरीन व अमानल खाइफीन 0 

अल्लाहुम्मा इन कुन्ता कतब तनी इन्दका फी उम्मिल किताबि शकीय्यन 

औ महरूमन ओं मतरुदन औ मुक़त्तरन अलय्या फिरिज्क़ 0 

फ़म्हु अल्लाहुम्मा बि फ़दलिका शकावती व हिरमानी व तर्दी वक तितारि रिज़्क़ी 0 

व सबितनी इन्दका फी उम्मिल किताबि सईदम मरजूकम मुवफ्फक़ल लिलखैरात 0 

फ इन्नका कुल्ता व कौलुकल हक़्क़  फी क़िताबिकल मुन्जल 0 

अला लिसानि नबीय्यिकल मुरसल 0 यम्हुल्लाहु मा यशाउ वयूस्बितु व इन्दहू उम्मुल किताब 0 

इलाही बीतजल्लि यिल अअज़म 0 

फी लैलतिन्निस्फे मिन शहरि शअबानुल मुक़र्रमल्लती  युफ़ रकु फीहा कुल्लु  अमरिन हकीमिंव व युबरम 0

अन तकशिफा अन्ना मिनल बलाइ वल बलवाई मा नअलमु वमाला नअलम वमा अन्ता बिही अअलम 0 

इन्नका अन्तल अअज़्ज़ुल अकरम 0 

वसल्ललाहो तआला अला सय्यिदिना मुहम्मदिव व अला आलिही व सहबिहीँ व सल्लम 0 

वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल  आलमीन 0  

You Also Read – Shabe barat ki namaz ka mukammal tarika

islamic calender 2023 – इस्लामिक कैलेंडर 2023 

Hits: 44

islamic calender 2023 – इस्लामिक कैलेंडर 2023

अस्सलामो अलैकुम दोस्तों इस पोस्ट में आपको इस्लामिक कैलेंडर 2023 की पूरी जानकारी दी गयी है ! 2023 में इस्लामिक त्यौहार इस्लामिक तारीखे , चांदरात आलमे इस्लाम और हिन्दुस्तान की अज़ीम शख्शियत की विलादत और विसाल की तारीखे सभी बताने की कोशिश की है !

फिर भी कही कोई गलती हुई हो तो आप इस्लाह करे !
इस पोस्ट में हमने ईस्वी और हिजरी दोनों तारीखे बतायी है ! जैसा की इस्लामिक उर्दू कैलेंडर में आता है !

islamic calender 2023 – January

15 जनवरी – 15 जनवरी – 22 जमदुल आखिर – विसाल हज़रत अमीरुल मोमिनीन अबू बकर सिद्दीक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

23 जनवरी चांद रात

24  जनवरी – 1 रजब  – विलादत  हज़रत सय्यदना इमाम मोहम्मद बाक़र इब्ने अली जैनुल आबेदीन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु

24 जनवरी 1-रजब  [ हिजरी कैलेंडर में माहे रजब  शुरू होगा  ]

26 जनवरी गणतंत्र दिवस

27  जनवरी – 4  रजब  – विसाल  हज़रत  इमाम साफी  जैनुल आबेदीन रहमतुल्लाही तआला अलयका

28 जनवरी – 5 रजब  – विलादत हज़रत  इमाम अली नक़ी

26 जनवरी – उर्स मुबारक ख्वाजा गरीब नवाज { छटी शरीफ़ }

islamic calender 2023
islamic calender 2023 – January month

 इस्लामिक कैलेंडर 2023 – Fabruary

23 फरवरी – विशाल हज़रत इमाम ए आज़म अबू हनीफा

3 फरवरी – 11 रजब  – विसाल सय्यदना अबू सालिन अहमद नूरी महरा शरीफ उर्स हज़रात अशरफ़ी मियां

5 फरवरी – 13 रजब – विलादत अमीरुल मोमिनीन हज़रात अली रदियल्लाहु तआला अन्हु

6 फरवरी 14 रजब – उर्स सय्यदुल हज़रत मशहूद गाज़ी

7  फरवरी 15 रजब – विसाल हज़रत  इमाम ज़ाफ़र सादिक

14 फरवरी 22 रजब – कुंडे की फातिहा

18 फरवरी 26 रजब – शब् ए मेराज

19 फरवरी 27 रजब – विसाल हज़रत ख्वाजा जुनैद बग़दादी

21 फरवरी 29 रजब – चांदरात

22 फरवरी – 1  शाबान

23 फरवरी – 2 शाबान – विसाल हज़रत इमाम ए आज़म अबू हनीफ़ा

25 फरवरी 4 शाबान – विलादत हज़रत इमाम हसन रदियल्लाहु तआला अन्हु

islamic calender 2023
islamic calender 2023 – fabuary month

islamic calender 2023 – March

7  मार्च  14 शाबान  – शब् ए बरात

17 , 18 , 19  मार्च  24,25 ,26  शाबान  – उर्स सैयदना माहेरा शरीफ़

22  मार्च 29 शाबान – चांदरात [ माहे रमज़ान ]

23  मार्च – 1 रमजान – विलादत हुजूर गौसे आज़म

25  मार्च – 3 रमज़ान विसाल खातून ए जन्नत हज़रते फातिमा ज़हरा रदियल्लाहु तआला अन्हु

islamic calender 2023
islamic calender 2023 – 03 March

islamic calender 2023 – April

1 अप्रैल – 10 रमज़ान – विसाल हज़रते खदीज़ा रदियल्लाहु तआला अन्हु

5 अप्रैल – 14 रमज़ान – विसाल हज़रत बायज़ीद बुस्तानी

8 अप्रैल – 17  रमज़ान – विसाल उम्मुल मोमेनीन हज़रत आयेशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा

8 अप्रैल – 17  रमज़ान – जंग ए बदर

11 अप्रैल – 20   रमज़ान – फ़तेह मक्का

12 अप्रैल – 21  रमज़ान – विसाल हज़रत अली रदियल्लाहु तआला अन्हु

17 अप्रैल – 26  रमज़ान – शब् ए क़दर

21 अप्रैल – 30   रमज़ान – चाँद रात

22 अप्रैल – ईद उल फ़ित्र    [ 1 माहे शव्वाल  ]

26  अप्रैल – 5 शव्वाल – विसाल हज़रत मखदूम याहया

26  अप्रैल – 5 शव्वाल – विसाल हज़रत शेख सादी

27  अप्रैल – 6  शव्वाल – उर्स ए ख्वाजा उस्मान हारूनी

urdu calender 2023
islamic calender 2023 – 04 April

islamic calender 2023 – May

06 मई – 15 शव्वाल  शहादत हज़रत अमीर हमज़ा जंगे ओहद

08 मई – 17  शव्वाल  उर्स हज़रत आमिर खुसरो

21 मई 30 शव्वाल  [ चाँद रात   ]
 22  मई    [ 1 – माहे जिलकदा    ]
 30  मई  –  9  जिलकदा  – उर्स ए  साह बिख़ारी
islamic calender 2023
islamic calender 2023 – 05 May

islamic calender 2023 – Jun

 

01  जून – 11  जिलकदा – विलादत हज़रत सय्यदना इमाम अली रज़ा

05  जून – 15  जिलकदा – उर्स ए कुतुबे दकन हज़रत ख्वाजा बाँदा नवाज गेसूदराज रहमतुल्लाहि अलैह

11  जून – 21   जिलकदा – उर्स ए बाबा बहाउद्दीन शाह अशफाहनी अलैह रेहमा मुंबई

13  जून – 23   जिलकदा – विसाल हज़रत सैय्यदना इमाम अली रज़ा

15  जून – 25   जिलकदा – उर्स मीरा गुलाम अली आज़ाद बिलगिरामि खुल्दाबाद शरीफ़

19   जून – 29   जिलकदा [ चाँद रात   ]

20   जून – 1     जिलहज्ज [ 1 – माहे जिलहज्ज  ]

29  जून – 10    जिलहज्ज  – ईद उल अज़हा

urdu date
jun month

islamic calender 2023 – July

07 जुलाई –  14  जिलहज्ज – शहादत अमीरुल मोमेनीन  हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु

15 जुलाई –  22  जिलहज्ज – शहादत अमीरुल मोमेनीन  हज़रत उमर फ़ारुख़ रदियल्लाहु तआला अन्हु

19  जुलाई –  22  जिलहज्ज  [ चाँद रात   ]
20   जुलाई –  1   मुहर्रमुल हराम  [ माहे मुहर्रम हिजरी कैलेंडर का पहला माह    ] इस्लामिक नया साल

23     जुलाई –  4 मुहर्रम – विसाल हज़रत ख्वाजा हसन बसरी

25    जुलाई –  6  मुहर्रम – उर्स ए बाबा फरीद गंज शकर

29     जुलाई –  10   मुहर्रम – यौमे आशूराशहादत  हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु

islamic calender 2023
islamic calender 2023 – 07 July

islamic calender 2023 – Agust

06  अगस्त – 18  मुहर्रम विसाल हज़रत जैनुल आबेदीन

14  अगस्त – 26   मुहर्रम उर्स ताजुद्दीन बाबा नागपुर

16  अगस्त – 28   मुहर्रम उर्स सैयद शाह वज़ीउद्दीन एहमद अहमदाबाद

16  अगस्त – 28  मुहर्रम  उर्स मख्दूमि सिमनानी रहमतुल्लाहि अलैह

18 अगस्त – 30  मुहर्रम  – उर्स सय्यद अली मीरा दातार  [ चाँद रात   ]

18 अगस्त – 30  मुहर्रम  [ चाँद रात   ]

19  अगस्त – 1   सफ़र ए मुअज्जम  [ माहे सफर की 1  तारीख    ]

19  अगस्त – 1   सफ़र उर्स हाजी वारिस अली

21   अगस्त – 3  सफ़र – उर्स ख्वाजा दान सूरत

urdu calender
08 Agust
islamic calender 2023 – September

09 सितम्बर – 22  सफ़र – उर्स  हज़रत शाह मीना लखनऊ

13  सितम्बर – 26  सफ़र – विसाल हज़रत  सुल्तान सलाउद्दीन अय्यूबी

16  सितम्बर – 29  सफ़र – [ चाँद रात   ]

17  सितम्बर – 1  रबिउल अव्वल  – [ माहे रबिउल अव्वल  की 1  तारीख   ]

18  सितम्बर – 2   रबिउल अव्वल – उर्स  हज़रत ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंदी

28  सितम्बर – 12  रबिउल अव्वल [ ईद ए मिलाद  ]
29  सितम्बर – 13  रबिउल अव्वल – उर्स  हज़रत अलाउद्दीन साबिर कलयरी
30  सितम्बर – 14  रबिउल अव्वल –
rabiul awwal
September
islamic calender 2023 – October

3 अक्टूबर – 18  रबिउल अव्वल – विशाल हज़रत अच्छे मियाँ महरेरा शरीफ

8 अक्टूबर – 22  रबिउल अव्वल – विशाल हज़रत सय्य्दना इमाम मोहम्मद तक़ी अल जव्वाद

13 अक्टूबर – 27  रबिउल अव्वल – उर्स हज़रत बू अली शाह कलंदर

16 अक्टूबर – 30  रबिउल अव्वल [ चाँद रात   ]

17 अक्टूबर – 1  रबिउल आखिर   – [ माहे रबिउल आखिर की 1  तारीख   ]

21 अक्टूबर – 5 रबिउल आखिर – उर्स हज़रत इब्राहिम इल्जी

23  अक्टूबर – 7  रबिउल आखिर – विशाल हज़रत मालिक अलैहिर्रहमा

25  अक्टूबर – 9 रबिउल आखिर – विशाल हज़रत इमाम अहमद बिन हम्बल

27  अक्टूबर – 11  रबिउल आखिर – जश्ने गौसे आज़म ग्यारहवीं शरीफ

urdu date
october month
islamic calender 2023 – November

1 नवंबर  – 16   रबिउल आखिर हज़रत हाजी अली बाबा अलैहिर्रहमा मुंबई

2 नवंबर  – 17    रबिउल आखिर – उर्स मेहबूब ए इलाही हज़रत निजामुद्दीन औलिया

14  नवंबर  – 29    रबिउल आखिर [ चाँद रात   ]

15  नवंबर  – 1   जमादिल  अव्वल [ माहे जमादिल  अव्वल की 1  तारीख   ]

15  नवंबर  – 1   जमादिल  अव्वल – उर्स हज़रत अब्दुल रेहमान शाह बाबा अलैहिर्रहमा

18   नवंबर  – 4  जमादिल  अव्वल – उर्स हज़रत पिरन शाह वली बैंगलोर

urdu date
November
islamic calender 2023 – December

13 दिसंबर – 29 जमादिल  अव्वल – विसाल हज़रत खालिद बिन वलीद

14  दिसंबर – 29 जमादिल  अव्वल –  [ चाँद रात   ]

15 दिसंबर – 1 जमादिल  आख़र –   [ माहे जमादिल आख़र  की 1  तारीख   ]

19  दिसंबर – 5  जमादिल  आख़र विसाल मौलाना जलाउद्दीन रूमी

21  दिसंबर – 7  जमादिल  आख़र  विसाल हज़रत मख़्दूमी माहिमी

24 दिसंबर – 10  जमादिल  आख़र – विसाल सय्यदुल ओलमा

December
urdu calender 2023

दुरूद शरीफ की फ़ज़ीलत  (29+1)- durood sharif ki fazilat

0

Hits: 41

durood sharif ki fazilat – दुरूद शरीफ की फ़ज़ीलत  –

*अस्सलामो अलैकुम भाईओ और बहनो इस पोस्ट में हमने दुरुद शरीफ की 30 फ़ज़ीलत ( durood sharif ki 30 fazilat ) बतायी है ! आप से गुजारिश है की आप भी ये पूरी पोस्ट पढ़े और सभी के साथ शेयर भी जरूर करे !

दुरूद शरीफ के 30  फ़ज़ाइल  – durood sharif ki fazilat

1- अल्लाह तआ़ला के हुक्म की तामील होती हैं!
2- एक बार दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले पर दस रह़मतें नाज़िल होती हैं!
3- उसके दस दरजात बुलन्द होते हैं!
4- उसके लिए दस नेकियां लिखी जाती हैं!
5- उसके दस गुनाह मिटाए जाते हैं!
6- दुआ़ से पहले दुरूद शरीफ़ पढ़ना दुआ़ की क़बूलिय्यत का बाइ़स हैं!
7- दुरूद शरीफ़ पढ़ना प्यारे आक़ा सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम की शफ़ाअ़त का सबब हैं!
8- दुरूद शरीफ़ पढ़ना गुनाहों की बख़्शिश का बाइ़स हैं!
9- दुरूद शरीफ़ के ज़रीए़ अल्लाह तआ़ला बन्दे के ग़मों को दूर करता हैं!
10- दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से बन्दा क़यामत के दिन रसूले अकरम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम का कुर्ब ह़ासिल करेगा !

दुरूद शरीफ की फ़ज़ीलत

11- दुरूद शरीफ़ तंगदस्त के लिए सदक़ा के काइम मक़ाम हैं!
12- दुरूद शरीफ़ क़ज़ाए ह़ाजात का ज़रीआ़ हैं!
13- दुरूद शरीफ़ अल्लाह तआ़ला की रह़मत और फ़िरिश्तों की दुआ़ का बाइ़स हैं!
14- दुरूद शरीफ़ अपने पढ़ने वाले के लिए पाकीज़गी और त़हारत का बाइ़स हैं!
15- दुरूद शरीफ़ से बन्दे को मौत से पहले जन्नत की ख़ुशख़बरी मिल जाती हैं!
16- दुरूद शरीफ़ पढ़ना क़यामत के ख़त़रात से नजात का सबब हैं!
17- दुरूद शरीफ़ पढ़ने से बन्दे को भूली हुई बात याद आ जाती हैं!
18- दुरूद शरीफ़ मजलिस की पाकीज़गी का बाइ़स हैं और क़यामत के दिन ये मजलिस बाइ़से हसरत नही होगी!
19- दुरूद शरीफ़ पढ़ने से तंगदस्ती दूर होती हैं!
20- ये अ़मल बन्दे को जन्नत के रास्ते पर ड़ाल देता हैं!

durood sharif ki fazilat

21- दुरूद शरीफ़ पुल सिरात़ पर बन्दे की रोशनी में इज़ाफ़े का बाइ़स हैं!
22- दुरूद शरीफ़ के ज़रीए़ बन्दा ज़ुल्म व जफ़ा से निकल जाता हैं!
23- दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से बन्दा आसमान और ज़मीन में क़ाबिले तारीफ़ हो जाता हैं!
24- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले को इस अ़मल की वजह से उसकी ज़ात, उ़म्र, अ़मल और बेह़तरी के अस्बाब में बरकत ह़ासिल होती हैं!
25- दुरूद शरीफ़ रह़मते खुदावन्दी के हुसूल का ज़रीआ़ हैं!
26- दुरूद शरीफ़ मह़बूबे रब्बुल इज़्ज़त सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम से दाइमी मौह़ब्बत और इसमें ज़ियादत का सबब हैं और ये (मौह़ब्बत) ईमानी उ़कूद में से हैं! जिसके बग़ैर ईमान मुकम्मल नही होता!
27- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले से आप सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम मौह़ब्बत फ़रमाते हैं!
28- दुरूद शरीफ़ पढ़ना, बन्दे की हिदायत और उसकी ज़िन्दा दिली का सबब हैं क्यूंकि जब वो आप सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम पर कसरत से दुरूद शरीफ़ पढ़ता हैं और आपका ज़िक्र करता हैं तो आप सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम की मौह़ब्बत उसके दिल पर ग़ालिब आ जाती हैं!
29- दुरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का ये एज़ाज़ भी हैं कि सुल्त़ाने अनाम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहे वसल्लम की बारगाहे बेकस पनाह में उसका नाम पेश किया जाता हैं और उसका ज़िक्र होता हैं!
30- दुरूद शरीफ़ पुल सिरात़ पर साबित क़दमी और सलामती के साथ गुज़रने का बाइ़स हैं!

तरावीह का बयान – तरावीह की मुकम्मल जानकारी

1

Hits: 31

 तरावीह का बयान – 1 – Taravih Ka Bayan

सवाल
तरावीह सुन्नत है या नफ़्ल,
जवाब
तरावीह मर्द हो या औरत सबके लिए सुन्नते मुअक्किदा है इसका छोड़ना जाइज़ नहीं,
 बहारे शरीअत, वग़ैरह)
सवाल
तरावीह की कितनी रकअतें हैं,
जवाब
तरावीह की बीस (20) रकअतें हैं,
सवाल
बीस (20) रकअत तरावीह में क्या हिक्मत है,
जवाब
बीस (20) रकअत तरावीह में हिक्मत ये है के सुन्नतों से फ़राइज़ और वाजिबात की तक्मील होती है और सुबह से शाम तक फ़र्ज़ व वाजिब कुल बीस (20) रकअतें हैं,
तो मुनासिब हुआ के तरावीह भी बीस (20) रकअतें हों ताके मुकम्मल करने वाली सुन्नतों की रकआत और जिनकी तक्मील होती है यानी फ़र्ज़ व वाजिब की रकआत की तअदाद बराबर हो जाएं,
सवाल
तरावीह की बीस (20) रकअतें किस तरह पढ़ी जाएं,
जवाब
बीस रकअतें दस (10) सलाम से पढ़ी जाएं यानी हर दो (2) रकअत पर सलाम फेरे और हर तरवीहा यानी चार (4) रकअत पर इतनी देर बैठना मुस्तहब है के जितनी देर में चार (4) रकअतें पढ़ी हैं,
 दुर्रेमुख़्तार,बहारे शरीअत)
सवाल
तरावीह की नीयत किस तरह की जाए,
जवाब
नियत की मेंने दो (2) रकअत नमाज़ तरावीह की सुन्नत सुन्नत रसूलल्लाह की अल्लाह तआला के लिए (मुक़तदी इतना और कहे, पीछे इस इमाम के) मुंह मेरा तरफ़ कअबा शरीफ़ के अल्लाहू अकबर,
सवाल
तरवीहा पर (यानी हर चार रकअत के बाद) बैठने की हालत में चुपका बैठा रहे या कुछ पढ़े,
जवाब
इख़्तियार है चाहे चुपका बैठा रहे चाहे कल्मा या दुरूद शरीफ़ पढ़े और आम तौर पर ये दुआ पढ़ी जाती है
سبحان ذى الملك والملكوت سبحان ذى العزة والعظمته والهيبته والقدرة والكبرياء والجبروت سبحان الملك الحى الذى لاينام ولايموت سبوح قدوس ربنا و رب الملائكة والروح،،،

तरावीह की दुआ – Taravih Ki Dua

सब्हाना ज़िल मुल्की वल मलाकूती सुब्हाना ज़िल इज़्ज़ती वल अज़मती वल हैबती वल क़ुदरती वल किब्रियाई वल जबारूती सुब्हानल मलिकिल हय्यिल्लज़ी ला यनामू वला यमूतू सुब्बूहुन क़ुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाईकती वर्रूह,
सवाल
तरवीह जमाअत से पढ़ना कैसा है,
जवाब
तरवीह जमाअत से पढ़ना सुन्नते किफ़ाया है यानी अगर मस्जिद में तरावीह की जमाअत न हुई तो मुहल्ले के सब लोग गुनाहगार हुए और अगर कुछ लोगों ने मस्जिद में जमाअत से पढ़ली तो सब बरीउल ज़िम्मा हो गए,
 आलम गीरी,बहारे शरीअत)
सवाल
तरवीह में क़ुरआन मजीद ख़त्म करना कैसा है,
जवाब
पूरे महीने की तरावीह में एक (1) बार क़ुरआन मजीद ख़त्म करना सुन्नते मुअक्किदा है और दो (2) बार ख़त्म करना अफ़ज़ल है और तीन (3) बार ख़त्म करना मज़ीद फ़ज़ीलत रखता है बशर्ते ये के मुक़तदियों को तकलीफ़ ना हो मगर एक (1) बार ख़त्म करने में मुक़तदियों की तकलीफ़ का लिहाज़ नहीं किया जाएगा,
 बहारे शरीअत, दुर्रेमुख़्तार)
सवाल
बिला उज़्र बैठकर तरावीह पढ़ना कैसा है,
जवाब
बिला उज़्र बैठकर तरावीह पढ़ना मकरूह है बल्के बअज़ फ़ुक़हा ए किराम के नज़दीक तो नमाज़ होगी ही नहीं,
 बहारे शरीअत)
सवाल
बअज़ लोग शुरू रकअत से शरीक नहीं होते बल्के जब इमाम रुकू में जाने लगता है तो शरीक होते हैं उनके लिए क्या हुक्म है,
जवाब
ना जाइज़ है ऐसा हरगिज़ नहीं करना चाहिए के इसमें मुनाफ़िक़ीन से मुशाबहत पाई जाती है,
 ग़ुनियातुत्तालीबीन, बहारे शरीअत)
अनवारे शरीअत, उर्दू, सफ़ह 72/73/74)

*तरावीह का बयान क़िस्त 02* Tarvih Ka Bayan – 2

*20, रकअत पर सहाबा का इजमा है*
*﷽ اَلصَّــلٰوةُوَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَارَسُوْلَ اللّٰهﷺ*
हदीस शरीफ़,
हजरत अबू हुरैरह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ने कहा के रसूले करीम अलैहिस्सलातू व तस्लीम ने फरमाया के
जो शख़्स सिदक़े दिल और एतेक़ादे सही के साथ रमज़ान में क़याम करे यानी तरावीह पढ़े तो उसके अगले गुनाह बख्श दिए जाते हैं,
 मुस्लिम शरीफ़, जिल्द 1, सफ़ह 259,
 मिश्कात शरीफ़, सफ़ह 114)
हदीस शरीफ़,
हजरत साइब बिन यज़ीद रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ने फ़रमाया हम सहाबा ए किराम हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रज़िअल्लाहू तआला अन्ह के ज़माना में 20 रकअत तरावीह और वित्र पढ़ते थे,
 बहक़ी जिल्द 2 सफ़ह 699)
इस हदीस शरीफ़ के बारे में मिरक़ात शरह मिश्कात जिल्द 2, सफ़ह 175, में है
इमाम नबवी ने ख़ुलासा में फ़रमाया
के इस रिवायत की अस्नाद (सनदें) सही है
हदीस शरीफ़,
हज़रत यज़ीद बिन रोमान रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ने फ़रमाया के हज़रते उमर रज़िअल्लाहू तआला अन्ह के ज़माने में लोग 23 रकअत पढ़ते थे यानी 20 रकअत तरावीह और 3 रकअत वित्र,
 इमाम मालिक जिल्द 1 सफ़ह 115,
मलिकुल उल्मा हज़रत अल्लामा अलाउद्दीन अबू बकर बिन मसऊद कासानी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं के
मरवी है के हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ने रमज़ान के महीना में सहाबा ए किराम को हज़रत उबी बिन कअब रज़िअल्लाहू तआला अन्ह पर जमा फरमाया तो वो रोज़ाना साहबा ए किराम को 20 रकअत पढ़ाते थे और उनमें से किसी ने मुख़ालिफ़त नहीं की तो 20 रकअत पर सहाबा का इज्मा हो गया
 बदायउस्सनाएअ जिल्द 1 सफ़ह 288)
और उम्दातुल क़ारी शरहे बुख़ारी जिल्द 5 सफ़ह 355 में है
अल्लामा इब्ने अब्दुलबर ने फ़रमाया के 20 रकअत तरावीह जम्हूरे उल्मा का क़ौल है,
उल्मा ए कूफा इमाम शाफ़ई और अक्सर फुक़्हा यही फ़रमाते हैं और यही सही है,
अबी बिन कअब से मनक़ूल है इसमें सहाबा का इख़्तिलाफ़ नहीं,
और अल्लामा इब्ने हजर ने फ़रमाया
सहाबा ए किराम का इस बात पर इज्मा है के तरावीह 20 रकअत हैं,
और मराक़ीउलफ़लाह शरह नूरुल ईज़ाह मैं है तरावीह 20 रकअत है इसलिए के इस पर सहाबा ए किराम का इज्मा है और मौलाना अब्दुल हई साहब फिरंगी महली उम्दातुर्रिआयह हाशियह शरह वक़ायह जिल्द 1 सफ़ह 175 में लिखते हैं,
हज़रत उमर हज़रत उस्मान और हज़रत अली रज़िअल्लाहू तआला अन्हुम के ज़माने में और उनके बाद भी सहाबा ए किराम का 20 रकअत तरावीह पर एहतेमाम साबित है,
इस मज़मून की हदीस को इमाम मालिक, इब्ने सअद, और इमाम बहक़ी वगैरहुम ने तख़रीज की हैं
और मौलाना अली क़ारी अलैहिर्रहमातुल्लाहुल बारी तहरीर फ़रमाते हैं
सहाबा ए किराम का इस बात पर इज्मा है के तरावीह 20 रकअत हैं,
मिरक़ात जिल्द 3, सफ़ह 194,
अहले हदीस यानी ग़ैर मुक़ल्लिद वहाबी जो 20 रकअत तरावीह का इन्कार करते हैं वो इन आहादीसे मुक़द्दसा और बुज़ुर्गों के अक़वाल से सबक़ हासिल करें और मुसलमानों को 8, रकअत तरावीह बताकर गुमराह करने की कोशिश ना करें वरना जहन्नम में जाने के लिए तैयार रहें,
*20, रकअत तरावीह पर जमहूर का क़ौल है और उसी पर अमल है*
*﷽ اَلصَّــلٰوةُوَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَارَسُوْلَ اللّٰهﷺ*
इमाम तिर्मिज़ी रहमातुल्लाही तआला अलैह फ़रमाते हैं,
कसीर उल्मा का इसी पर अमल है जो हज़रत मौला अली, हज़रत फ़ारूक़े आज़म और दीगर सहाबा रज़िअल्लाहू अन्हुम से 20. रकअत तरावीह मनक़ूल है,
और सुफ़ियान सूरी, इब्ने मुबारक और इमाम शाफ़ई रहमातुल्लाहि तआला अलैहिम भी यही फ़रमाते हैं के
तरावीह 20.रकअत है, और इमाम शाफ़ई रहमातुल्लाही तआला अलैह ने फ़रमाया के
हमने अपने शहर मक्का शरीफ़ में लोगों को 20.रकअत तरावीह पढ़ते हुए पाया है,
 तिर्मिज़ी, बाबे क़याम शहरुर्रमज़ान, सफ़ह 99)
और मौलाना अली क़ारी रहमातुल्लाहि तआला अलैह शरह निक़ाया में तहरीर फ़रमाते हैं,
20 रकअत तरावीह पर मुसलमान का इत्तेफ़ाक़ है इसलिए के इमाम बहक़ी ने सहीह् अस्नाद से रिवायत की है के
हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म, हज़रत उस्मान गनी, और हज़रत मौला अली, रज़िअल्लाहू तआला अन्हुम के मुक़द्दस ज़मानों में सहाबा ए किराम और ताबेईने इज़ाम 20 रकअत तरावीह पढ़ा करते थे,
और तहतावी अलामिराक़िउल फ़लाह, सफ़ह 224 में है,
हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़िअल्लाहू तआला अन्ह के अलावा दीगर ख़ुलफ़ाए राशिदीन रिज़वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन की मुदावमत से 20, रकअत तरावीह साबित है, और अल्लामा इब्ने आबिदीन शामी रहमातुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं,
तरावीह 20, रकअत है यही जमहूरे उल्मा का क़ौल है और मशरिक व मग़रिब सारी दुनिया के मुसलमानों का इसी पर अमल है,
 शामी, जिल्द 1, मिसरी सफ़ह 195)
और शैख़ ज़ैनुद्दीन इब्ने नज़ीम रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं,
20 रकअत तरावीह जमहूरे उल्मा का क़ौल है इसलिए के मोअत्ता इमाम मालिक में हजरत यज़ीद बिन रोमान रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है उन्होंने फ़रमाया के
हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रज़िअल्लाहू तआला अन्ह के ज़माने में सहाबा ए किराम 23 रकअत पढ़ते थे यानी 20 रकअत तरावीह और 3 रकअत वित्र और इसी पर सारी दुनिया के मुसलमानों का अमल है,
 बहरुर्राइक़, जिल्द 2, बाबुल वित्र वन्नवाफ़िल, सफ़ह 66)
और इनाया शरह हिदाया फ़सले फ़ी क़यामे रमज़ान में है
हज़रत उमर रज़िअल्लाहु तआला अन्ह के शुरू ज़माना ए ख़िलाफ़त तक सहाबा ए किराम तरावीह अलग-अलग पढ़ते थे बअदहू हज़रत उमर रज़िअल्लाहू तआला अन्ह ने फ़रमाया के
में एक इमाम पर सहाबा ए किराम को जमा करना बेहतर समझता हूं फिर उन्होंने हज़रत उबी बिन कअब रज़िअल्लाहू तआला अन्ह पर सहाबा ए किराम को जमा फ़रमाया, हज़रत उबी ने लोगों को 5, तरवीहा 20 रकअत पढ़ाई,
 इनाया, शरह हिदाया, जिल्द 1, सफ़ह 484,
और किफ़ाया फसले फ़ी क़यामे रमज़ान जिल्द 1 सफ़ह 407, में है
तरावीह कुल 20 रकअत है और ये हमारा मसलक है और यही मसलक इमामे शाफ़ई रहमतुल्लाहि तआला अलैह का भी है,
और बदाएउस्सनाएअ, जिल्द 1, फसले फ़ी मिक़दारुल तरावीह सफ़ह 288 में है
तरावीह की तादाद 20 रकअत है, 5,तरवीहा 10 सलाम के साथ, हर दो सलाम एक तरवीहा है और यही आम उल्मा का क़ौल है,
और इमाम गज़ाली रहमतुल्लाही तआला अलैह तहरीर फरमाते हैं,
तरावीह 20 रकअत है,
अहयाउल उलूम जिल्द 1, सफ़ह 201,
और शरह बक़ाया जिल्द 1, सफ़ह 175, में है
तरावीह 20 रकअत मसनून है, और फ़तावा आलमगीरी जिल्द 1 फसले फित्तरावीह, मिसरी सफ़ह 108 में है
तरावीह 5,तरवीहा है, हर तरवीहा 4 रकअत का दो सलाम के साथ,
ऐसा ही सिराजिया में है और हज़रत शाह वलीउल्लाह साहब मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाही तआला अलैह फ़रमाते हैं,
तरावीह की तादाद 20 रकअत है,
 हुज्जतुल्लाहुल बालिग़ह, जिल्द 2 सफ़ह 18)
ग़ैर मुक़ल्लिद अहले हदीस यानी वहाबी जो 8 रकअत तरावीह पढ़ते हैं वो अपनी आंखें खोलें, वरना ख़सारा ही ख़सारा,

*तरावीह का बयान, क़िस्त.3*

*20, रकअत तरावीह की हिक्मत*
*﷽ اَلصَّــلٰوةُوَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَارَسُوْلَ اللّٰهﷺ*
20 रकअत तरावीह की हिक्मत ये है के रात और दिन में कुल 20 रकअत फ़र्ज़ व वाजिब हैं, 17 रकअत फ़र्ज़ और 3 रकअत वित्र और रमज़ान में 20 रकअत तरावीह मुक़र्रर की गईं ताके फ़र्ज़ व वाजिब के मदारिज (दर्जा) और बढ़ जाएं और उनकी खूब तकमील हो जाए जैसा के बहरुर्राइक़ जिल्द 2, फसले फ़ी क़यामे रमज़ान सफ़ह 67 पर है अल्लामा हब्ली रहमतुल्लाही तआला अलैह ने ज़िक्र फ़रमाया के तरावीह के 20 रकआत होने में हिक्मत ये है के वाजिब और फ़र्ज़ जो दिन रात में कुल 20 रकअत हैं उन्हीं की तकमील के लिए सुन्नतें मशरूअ् हुई हैं तो तरावीह भी 20 रकअत हुई ताके मुकम्मल करने वाली तरावीह और जिनकी तकमील होगी यानी फ़र्ज़ व वाजिब दोनों बराबर हो जाएं, और मिराक़ीउलफ़लाह के क़ौल
*و هى عشرون ركعة*
के तहत अल्लामा तहतावी रहमतुल्लाहि तआला अलैह तहरीर फ़रमाते हैं
20 रकअत तरावीह मुकर्रर करने में हिक्मत ये है के मुकम्मल करने वाली सुन्नतों की रकआत और जिनकी तकमील होती है यानी फ़र्ज़ व वाजिब की रकआत की तादाद बराबर हो जाएं, और दुर्रे मुख्तार मअ् शामी जिल्द 1, मुबहस सलातुल मरीज़ सफ़ह 495 में है
तरावीह 20 रकअत है और 20 रकअत तरावीह में हिक्मत ये है के मुकम्मल मुकम्मल के बराबर हो, और दुर्रे मुख्तार की इसी इबारत के तहत शामी में नहर से मनक़ूल है
वाज़ेह हो के फ़राइज़ अगरचे पहले से भी मुकम्मल हैं लेकिन माहे रमज़ान में इसके कमाल की ज़्यादती के सबब ये मुकम्मल यानी 20 रकअत तरावीह बढ़ा दी गई तो वो खूब कामिल हो गए,
 अनवारुल हदीस, सफ़ह 150—151)
तरावीह पढ़ाने वाले हाफ़िज़ को सवाब कम मिलता है और तरावीह सुनने वाले मुक़्तदियों को सवाब ज़्यादा मिलता है,
फ़तावा फ़क़ीहे मिल्लत जिल्द 1 सफ़ह 201)
शबीना यानी एक रात की तरावीह में पूरा क़ुरआन मजीद पढ़ना जिस तरह आजकल रिवाज है के कोई बैठा बातें कर रहा है, कुछ लोग लेटे हैं, कुछ लोग चाय पी रहे हैं, कुछ लोग मस्जिद से बाहर बीड़ी सिगरेट पीने की में मशगूल हैं, और जब जी चाहा तो एक आध रकअत में शामिल भी हो गए, इस तरह का शबीना नाजाइज़ है, हां अगर ये फ़िज़ूल में मशागिल ना हों और सब मुसल्लियान तरावीह की (20) बीसों रकअतों में शरीक रहें और दिल लगाकर क़ुरआन मजीद को सुनें और हाफ़िज़ साहब अकेले या चंद हाफ़िज़ मिलकर पूरा क़ुरआन मजीद पढ़ें तो ये जाइज़ है,
📚 बहारे शरीअत हिस्सा 4, सफ़ह 37)
 सामाने आखिरत सफ़ह 189)
दो रकअत तरावीह की नियत की क़अदा भूल गया 3 रकअत पढ़ कर बैठा और सजदा ए सहू किया तो नमाज़ नहीं हुई और तीनों रकअतों में जिस क़दर क़ुरआन पढ़ा गया उसका इआदा किया जाए, और अगर 4 रकअत पूरी कर ली मगर 2 रकअत पर क़अदा ना किया तो ये चारों दो ही रकअत के क़ाइम मुक़ाम शुमार होंगी और अगर दोनों क़अदे किए तो चारों रकअतें हो गईं,
📚फतावा रज़वियह जिल्द 3, सफ़ह 520,

*तरावीह का बयान, क़िस्त, 4*

*﷽ اَلصَّــلٰوةُوَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَارَسُوْلَ اللّٰهﷺ*
मसअला,
हर दो रकअत के बाद दो रकअत पढ़ना मकरूह है यूंही दस रकअत के बाद बैठना भी मकरूह,
📚दुर्रे मुख़्तार,आलमगीरी,
मसअला,
तरावीह में जमाअत सुन्नते किफ़ाया है के अगर मस्जिद के सब लोग छोड़ देंगे तो सब गुनाहगार होंगे और अगर किसी एक ने घर में तन्हा पढ़ ली तो गुनाहगार नहीं मगर जो शख़्स मुक़तदा हो के उसके होने से जमाअत बड़ी होती है और छोड़ देगा तो लोग कम हो जाएंगे उसे बिला उज़्र जमाअत छोड़ने की इजाज़त नहीं,
📚आलमगीरी,
मसअला,
तरावीह मस्जिद में ब जमाअत पढ़ना अफ़ज़ल है अगर घर में जमाअत से पढ़ी तो जमाअत के तर्क का गुनाह ना हुआ मगर वो सवाब ना मिलेगा जो मस्जिद में पढ़ने का था,
📚आलमगीरी,
मसअला,
अगर आलिम हाफ़िज़ भी हो तो अफ़ज़ल ये है के खुद पढ़े दूसरे की इक़्तिदा ना करे और अगर इमाम ग़लत पढ़ता हो तो मस्जिदे मोहल्ला छोड़कर दूसरी मस्जिद में जाने में हर्ज नहीं यूंही अगर दूसरी जगह का इमाम खुश आवाज़ हो या हल्की क़िराअत पढ़ता हो या मस्जिदे मोहल्ला में खत्म ना होगा तो दूसरी मस्जिद में जाना जाइज़ है,
📚आलमगीरी,
मसअला,
खुश ख़वान को (अच्छी आवाज़ वाले को) इमाम बनाना ना चाहिए बल्के दुरुस्त ख़वान (अच्छा क़ुरआन पढ़ने वाले) को बनाएं,
📚 अलमगीरी,
मसअला,
अफ़सोस स़द अफ़सोस के इस ज़माना में हाफ़िज़ की हालत निहायत ना नगुफ्ता बा (निहायत ख़राब) है अक्सर तो ऐसा पढ़ते हैं के
يعلمون تعلمون،
यअलमून तअलमून, के सिवा कुछ पता नहीं चलता,
अल्फ़ाज़ व हुरूफ़ खा जाया करते हैं जो अच्छा पढ़ने वाले कहे जाते हैं उन्हें देखिए तो हुरूफ़ सही नहीं अदा करते,
ء، ا، ع، और, ذ، ز، ظ، और, ث، س، ص، ت، ط،
वग़ैरह हुरूफ़ में तफ़रक़ा नहीं
करते (यानी सही मख़रज के साथ नहीं पढ़ते) जिससे क़तअन नमाज़ ही नहीं होती (हुज़ूर सदरुश्शरिअह अलैहिर्रहमा फ़रमाते के फक़ीर को इन्हीं मुसीबतों की वजह से 3 साल  ख़त्मे क़ुरआन मजीद सुनना ना मिला मौला अज़्ज़ा व  जल्ल मुसलमान भाइयों को तौफ़ीक़ दे के,
ماانزل الله،
पढ़ने की कोशिश करें,
मसअला,
आजकल अक्सर रिवाज़ हो गया है के हाफ़िज़ को उजरत देकर तरावीह पढ़वाते हैं ये नाजाइज है देने वाला और लेने वाला दोनों गुनाहगार हैं, उजरत सिर्फ़ यही नहीं के पेश्तर (पहले) मुक़र्रर कर लें के ये लेंगे ये देंगे बल्के अगर मालूम है के यहां कुछ मिलता है अगरचे उससे तय ना हुआ हो ये भी नाजाइज़ है के
المعروف كا لمشروط،
हां अगर कह दे के कुछ नहीं दूंगा या नहीं लूंगा फिर पढ़े और हाफ़िज़ की खिदमत करें तो इसमें हर्ज नहीं के,
الصریح يفوق الدلالۃ،
मसअला,
एक इमाम दो मस्जिदों में तरावीह पढ़ाता है अगर दोनों में पूरी पूरी पढ़ाए तो ना जाइज़ है और मुक़्तदी ने दो मस्जिदों में पूरी पूरी पढ़ी तो हर्ज नहीं मगर दूसरी में वित्र पढ़ना जाइज नहीं जबके पहली में पढ़ चुका और अगर घर में तरावीह पढ़कर मस्जिद में आया और इमामत की तो मकरूह है,
📚आलमगीरी,
मसअला,
लोगों में तरावीह पढ़ ली अब दोबारा पढ़ना चाहते हैं तो तन्हा तन्हा पढ़ सकते हैं जमाअत की इजाज़त नहीं,
📚आलमगीरी,
मसअला,
अफ़ज़ल ये है के एक इमाम के पीछे तरावीह पढ़ें और दो के पीछे पड़ना चाहें तो बेहतर ये है के पूरे तरवीहा पर इमाम बदलें मसलन आठ.8, एक के पीछे और बारह.12, दूसरे के
📚आलमगीरी,
मसअला,
नाबालिग़ के पीछे बालिग़ीन की तरावीह ना होगी यही सही है,
📚आलमगीरी,
मसअला,
रमज़ान शरीफ़ में वित्र जमाअत के साथ पढ़ना अफ़ज़ल है ख़्वाह उसी इमाम के पीछे जिसके पीछे इशा व  तरावीह पढ़ी या दूसरे के पीछे,
📚आलमगीरी,दुर्रे मुख़्तार, बहारे शरिअत हिस्सा 4, सफ़ह 34—-35)

*तरावीह का बयान. क़िस्त.5*

*﷽ اَلصَّــلٰوةُوَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَارَسُوْلَ اللّٰهﷺ*
मसअला,
ये जाइज़ है के एक शख़्स इशा व वित्र पढ़ाए दूसरा तरावीह जैसा के हज़रत उमर रज़िअल्लाहू तआला अन्ह इशा व वित्र की इमामत करते थे और उबई बिन कअब रज़िअल्लाहू तआला अन्ह  तरावीह की,
📚आलमगीरी,
मसअला,
अगर सब लोगों ने इशा की जमाअत तर्क कर दी तो तरावीह भी जमाअत से ना पढ़ें हां इशा जमाअत से हुई और बअज़ को जमाअत न मिली तो ये जमाअते तरावीह में शरीक हों
📚दुर्रे मुख़्तार,
मसअला,
अगर इशा जमाअत से पढ़ी और तरावीह तन्हा तो वित्र की जमाअत में शरीक हो सकता है अगर इशा तन्हा पढ़ ली अगरचे तरावीह बा जमाअत पढ़ी तो वित्र तन्हा पढ़े,
📚दुर्रे मुख़्तार,रद्दुल मोहतार,
मसअला,
इशा की सुन्नतों का सलाम ना फेरा उसी में तरावीह मिलाकर शुरू की तो तरावीह नहीं हुई,
📚आलमगीरी,
मसअला,
तरावीह बैठकर पढ़ना बिला उज़्र मकरूह है बल्के बअज़ों के नज़दीक तो होगी ही नहीं,
📚दुर्रे मुख़्तार,
मसअला,
मुक़्तदी को ये जाइज़ नहीं के बैठा रहे जब इमाम रुकू करने को हो तो खड़ा हो जाए के ये मुनाफ़िक़ीन से मुशाबहत है अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल इरशाद फ़रमाता है👇
तर्जमा—- मुनाफ़िक़ जब नमाज़ को खड़े होते हैं तो थके जी से,
📚 ग़ुनियह, वगैरह,
मसअला,
इमाम से ग़लती हुई कोई सूरत या आयत छूट गई तो मुस्तहब ये है के उसे पहले पढ़ कर फिर आगे बढ़े,
📚आलमगीरी,
मसअला,
दो रकअत पर बैठना भूल गया खड़ा हो गया तो जब तक तीसरी का सजदा ना किया हो बैठ जाए और सजदा कर लिया हो तो चार पूरी कर ले मगर ये दो शुमार की जाएंगी और जो दो पर बैठ चुका है तो चारों हुईं,
📚आलमगीरी,
मसअला,
तीन रकअत पढ़कर सलाम फेरा अगर दूसरी पर बैठा ना था तो ना हुई उनके बदले की दो रकअत फिर पढ़े,
📚आलमगीरी,
मसअला,
क़अदा में मुक़तदी सो गया इमाम सलाम फेर कर और दो रकअत पढ़कर क़अदा में आया अब ये बेदार हुआ तो अगर मालूम हो गया तो सलाम फेर कर शामिल हो जाए और इमाम के सलाम फेरने के बाद जल्दी पूरी करके इमाम के साथ हो जाए,
📚आलमगीरी,
मसअला,
वित्र पढ़ने के बाद लोगों को याद आया के दो रकतें रह गईं तो जमाअत से पढ़ लें और आज याद आया के कल दो रकअतें रह गई थीं तो जमाअत से पढ़ना मकरूह है,
📚आलमगीरी,
मसअला,
सलाम फेरने के बाद कोई कहता है ! दो हुईं कोई कहता है तीन तो इमाम के इल्म में जो हो उसका एतबार है और इमाम को किसी बात का यक़ीन ना हो तो जिसको सच्चा जानता हो उसका क़ौल एतबार करे अगर इसमें लोगों को शक हो के बीस हुईं या अट्ठारह तो दो रकअत तन्हा-तन्हा पढ़ें
📚आलमगीरी,
मसअला,
अगर किसी वजह से नमाज़े तरावीह फ़ासिद हो जाए तो जितना क़ुरआन मजीद उन रककतों में पढ़ा है इआदा करें ताके ख़त्म में नुक़सान ना रहे,
📚आलमगीरी,
मसअला,
अगर किसी वजह से ख़त्म ना हो तो सूरतों की तरावीह पढ़ें और इसके लिए बअज़ों ने ये तरीका रखा है के *अलम तरा कैफ, से आखिर तक*  2 बार पढ़ने में 20 रकअतें हो जाएंगी
📚आलमगीरी,
मसअला,
एक बार बिस्मिल्लाह शरीफ़ जिहर (आवाज़) से पढ़ना सुन्नत है और हर सूरत की इबतिदा में आहिस्ता पढ़ना मुस्तहब और ये जो आजकल बअज़ जाहिलों ने निकाला है के 114 बार बिस्मिल्लाह जिहर (आवाज़) से पढ़ी जाए वरना खत्म ना होगा मजहबे हन्फी में बेअसल है,
मसअला,
मुताख़्ख़िरीन ने खत्में तरावीह में तीन बार क़ुलहु वल्लाह पढ़ना मुस्तहब कहा और बेहतर ये के ख़त्म के दिन पिछली रकअत में अलिफ लाम मीम से मुफ़्लिहून तक पढ़े,
मसअला,
शबीना के एक रात की तरावीह में पूरा क़ुरआन पढ़ा जाता है जिस तरह आजकल रिवाज है के कोई बैठा बातें कर रहा है कुछ लोग लेटे हैं कुछ लोग चाय पीने में मशगूल हैं कुछ लोग मस्जिद के बाहर हुक़्क़ा नोशी कर रहे हैं (बीड़ी सिगरेटपी रहे हैं) और जब जी में आया एक आध रकअत में शामिल भी हो गए ये नाजाइज़ है,
फ़ायदा,
हमारे इमामे आज़म रज़िअल्लाहू तआला अन्ह रमज़ान शरीफ़ में 61 ख़त्म किया करते थे 30 दिन में और 30 रात में और एक तरावीह में और 45 बरस इशा के वुज़ू से नमाज़े फ़जर पढ़ी है,
📚 बहारे शरिअत हिस्सा 4. सफ़ह 36—37) पुराना एडीसन, मतबूआ क़ादरी किताब घर, बरेली शरीफ़,
*तरावीह का बयान मुकम्मल हुआ*

Roza Iftar Ki Fazilat – रोज़ा इफ्तार कराने की फजीलत

Hits: 0

रोज़ा इफ्तार कराने की फजीलत ☆- Roza Iftar Ki Fazilat

हदीस :- सुलेमान फार्सी (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की, रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया- “जिसने हलाल खाने या पानी से किसी मुसलमान को रोज़ा इफ्तार करवाया तो फरिश्ते माहे रमज़ान के सदके में उसके लिए अस्तगफार करते है..
और जिब्राइल अलैहीस्सलाम शबे क़द्र मे उसके लिए अस्तगफार करते है”
(तिब्रानी अल मोएजम अल कबाइर, जिल्द-6, पेज-242, हदीस-6162,)
.
हदीस :- रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) रोज़ा इफ्तार कराने की फजीलत ke Ware Mein फरमाते है के,
जो रोज़ेदार को (इफ्तारी मे) पानी पिलाए अल्लाह उसे मेरे हौज से पानी पिलाएगा के जन्नत मे दाखिल होने तक प्यासा न होगा..
(साही इब्ने खुजैमा, जिल्द-3, पेज-192, हदीस-1887,)
Roza Iftar Ki Fazilat
रमज़ान तो सब को नसीब होता है
पर रोज़ा हर किसी को नसीब नहीं होता है
रमज़ान मुबारक ♥️
या अल्लाह इस रमज़ान के सदके हमें और हमारे दिन को आबाद कर
और दिन के दुश्मन को नाबाद कर

आमीन

या अल्लाह इस रमज़ान के सदके हमें और हमारे दिन को आबाद कर
और दिन के दुश्मन को नाबाद कर
आमीन

माहे रमज़ान की फ़ज़ीलत 

0

Hits: 0

माहे रमज़ान की फ़ज़ीलत ( मफ़हूमे क़ुरआन व हदीस )

मसाइलो फ़ज़ाइल रमज़ानुल मुबारक –

1. इसी महीने (माहे रमज़ान ) में क़ुरआन मजीद नाज़िल किया गया !( सूरह बक्रह )

2. रोजे का मक़सद तक़वा पैदा करना है (सूरह बक्रह)

3. रमजान का महीना (माहे रमज़ान ) रहमतो बरकत का महीना है !
4. हर मुसलमान पर माहे रमजान के रोजे फर्ज हें !
5. मजनून और नाबालिग पर रोजा फर्ज नहीं है।
6. जन्नत में एक दरवाजा है जिसे रय्यान कहते हैं ! इसमें सिर्फ रोज़ेदार ही दाख़िल होंगे ( बुखारी व मुस्लिम )
7. सुबह सादिक से गुरूब आफताब तक खाने पीने , और जिमाअ से परहेज किया जाये ( सूरह बक्रह )
8. माहे रमज़ान के रोज़े की नियत सुबह सादिक्‌ से पहले. कर लेनी चाहिय। (अबू दाऊद)
9. फरमाते है हुजूर सलल्‍लल्लाहो अलैहि वसलल्‍लमः – रमजान में उमरा मेरे साथ हज के बराबर है ( बुखारी )
10. सुबह सादिक्‌ से कुछ देर पहले सहरी खानी चाहिये ! सहरी खाने में बरकत है ! (बुखारी व मुस्लिम)
11रोज़ेदार को लड़ाई झगड़े, गाली गलौज और बेहूदा कामों से बचना जूरूरी है ! (बुखारी वं मुस्लिम)
माहे रमज़ान की फ़ज़ीलत 
12. रोज़े की हालत में क़सदन जिमा करने से रोजा टूट जाता है जिससे कफ्फारा भी लाजिम आ सकता है ! कफ्फारा में एक गुलाम आजाद करे, या दो महीने के , मुतावातिर रोजे रखें, या साठ मिस्कीनों को दोनों , वक्‍त भर पेट खाना खिलायें !
13 रोज़े की हालत में कसदन खाने-पीने, कसदन के ., (उल्टी) करने और औरत को हैज आ जाने से रोजा ४ टूट जाता है जिसकी कजा करनी जरूरी है। (बुखारी)
14 भूलकर खाने-पीने, खुद-ब-रख़ुद के आने, सुर्मा ‘ लगाने, गुस्ल करने, एहतेलाम हो जाने, जिनाबत की हालत मे सुबह सादिक्‌ के बाद ग़ुस्ल करने से रोजा नहीं टूटता है। (अबू दाऊद)
15 मसुसाफिर, मरीज, हामिला और दूध पिलाने वाली औरत को रोज़ा न रखने की इजाज़त है ! मगर बाद में छूटे हुये रोज़ो की अदायगी जरूरी है ! (तिरमिजी)
16 . हैज़ व निफास वाली औरत भी रोज़ा ना रखे ! पाक होने के बाद छूटे हुये रोज़ो की कज़ा करे। ( बुरख़ारी व मुस्लिम )
177. हर शै के लिये ज़कात है और बदन की ज़कात रोज़ा है और निस्फ़  सब्र है। (इब्ने माजा)
18. नमाज़े तरावीह आख़ीर रात में पढ़ना अफजल है (बुखारी)
19 माहे रमजान में एक रात बडी क़द्रो मंजिलत और ख़ैरो बरकत वाली है ! यह रात हजार महीनों से बेहतर है ! (सूरह क़द्र )
20 – शबे क़द्र माहे रमज़ान के आख़री अशरह की 21,23,25,.27 और 29 वीं रात में तलाश करनी चाहिये । (बुखारी)
21 शब्रे क॒द्र में कयाम करने का बहुत सवाब है ! शबे क़द्र में यह दुआ पढ़नी चाहिये: ।
dua e shabe qadr

अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ़वा फ़अफु अन्नी या ग़फूर 0

22. माहे रमज़ान के आख़िरी अशरह का ऐतिकाफ सुन्नते नबवी है। ( बुख़ारी व मुस्लिम )
23 शरई इस्तेलाह में इबादत की नियत से मस्जिद में रहने और बाहर न निकलने को ऐतिकाफ़ कहते हैं ! ऐतिकाफ मस्जिद में करें ! ( सूरह बक्रह )
24. जिसने रमज़ान में दस दिनों का ऐतिकाफ कर लिया तो ऐसा है ! जैसे दो हज और दो उमरे किए !( शोअबुल ईमान)
25. ऐतिकाफ़ की हालत में बीवी से सोहबत करने और बिला जरूरत मस्जिद से बाहर जाने से ऐतिकाफ़ टूट जाता है। (बुख़ारी)
26. ब–हालते ऐतिकाफ़ सिर्फ क़ज़ाए हाजत के लिये ही बाहर निकलें। (बुख़ारी) !
27 – मुतलक़न हर मस्जिद में ऐतिकाफ़ दुरुस्त है ! अगरचेह उस मस्जिद में जमाअत न होती हो, हा सबसे अफज़ल मस्जिदे हरम शरीफ़ है !
28 सदक़ए फित्र नमाज़े ईद को जाने से पहले पहले दे देना चाहिए ! वर्ना रोज़ा आसमान व ज़मीन के दरमियान मुअल्लक रहता है ! (तारीख़े बग़दाद)
29. जब रमज़ान के तीस दिन पूरे हो जायें या रमजान की 29 तारी\ख़ को चांद नज़र आ जाये तो अगले दिन ईद मनायें। (बुख़ारी व मुस्लिम)
30. ईदुल फित्र के दिन अल्लाह तआला की बड़ाई बयान करें ! और उसका शुक्र अदा करें ! (सूरह बक्रह) और इस दुआ को कसरत से पढें:
अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाहो, वलल्‍लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर व लिल्लाहिल हम्द
31. नमाज़े र्ईद दो रकअत बिला अज़ान व इक़ामत  खुले मैदान में अदा करें ( बुख़ारी व मुस्लिम )
32 एक मर्तबा ईद के दिन बारिश हुई तो सरकार सल्ललल्लाहो अलैहि वसल्‍लम ने मस्जिद में ईद की
नमाज़ पढ़ी ! (अबू दाऊद)
33. जो ईदैन की रातों में कयाम करे, उसका दिल न मरेगा जिस दिन लोगों के दिल मरेंगे ! (इब्ने माज़ा) !

माहे रमज़ान में सेहरी और इफ़्तार

1. सुबह सादिक से कुछ देर पहले सहरी खानी चाहिये , सहरी खाने में बरकत है। (बुखारी व मुस्लिम)
2. सूरज गुरूब होने के फौरन बाद इफ़्तार करें, ताख़ीर ( देरी ) न करें। (बुखारी व मुस्लिम)
क पढें
3. इफ़्तार के बाद ये दुआ पढ़ें:-
अल्लाहुम्मा लका सुमतो व व बैका आमन्तो व अला रिज़क़िका अफतरतु (अबू दाऊद)
4. खजूर या पानी से इफ़्तार करना सुन्नत है। (अबू दाऊद)
5. अल्लाह अज़्जा-वजल और उसके फरिश्ते सहरी खाने वालों पर दुरूद भेजते हैं । (इब्ने हब्बान)
6 . सहरी कुल की कुल बरकत है !  इसे न छोड़े, अगरचे: एक घूँट पानी ही पी ले ! (अल-मुस्नद)
7. तीन चीज़ों में बरकत है, जमात, सुरीद और सहरी। (अल-मोअजमुल कबीर)
8. सहरी खाने से दिन के रोज़े पर इस्तेआनत करो | (इब्ने माजा)
9. तीन शख़्सो के खाने में हिसाब नहीं जबकि हलाल खाया 4.रोज़ादार 2.सहरी खाने वाला, 3.सरहद पर घोड़े बांधने वाला | (अलमोजमुल कबीर) ‘
10. हमारे और अहले किताब के रोज़ो में फर्क सहरी का लुक्मा है। (मुस्लिम)
11 – हमेशा लोग खैर के साथ रहेंगे, जब तक इफ़्तारमें जल्दी करेंगे। (बुखारी)
12. मेरी उम्मत मेरी सुन्नत पर रहेगी जब तक इफ़्तार में सितारों का इन्तेज़ार न करे। (इब्ने हब्बान)

13 . तीन चीज़ों को अल्लाह अज़्जा-वजल महबूब रखता है,

1. इफ्तार में जल्दी करना,
2. सहरी में ताखीर करना,
3. नमाज में हाथ पर हाथ रखना | (अल्मोजमुल औसत).
14. यह दीन हमेशा गालिब रहेगा जब तक लोग इफ़्तार में जल्दी करते रहेंगे यहूदो नसारा  ताख़ीर ( देरी ) करते हैं |(अबू दाऊद) ,
15. जब तुम में कोई रोजा इफ़्तारकरे तो खजूर या छुहारे से इफ़्तार करे कि वह बरकत है और अगर न मिले तो पानी से कि वह पाक करने वाला है। (तिरमिजी)
16. जो रोज़ादार का रोज़ा इफ़्तार कराये तो उसे भी उतना ही । मिलेगा ! (शोबुल ईमान)
17. जिस ने हलाल खाने या पानी से रोज़ा इफ़्तार कराया, ! फरिश्ते माहे रमज़ान में उसके लिये इस्तिगफार करते हैं ! (अल्मोअजमुल कबीर)
18. जो रोज़ादार को पानी पिलायेगा, अल्लाह तआला उसे मेरे हौज से पिलायेगा ! (शोबुल ईमान)
नोट: इफ्तार में जल्दी करने का मतलब यह है कि वक़्त हो जाने पर यानि गुरूब होने के बाद ताख़ीर ( देरी ) न करे, ऐसा नहीं कि गुरुब होने से पहले ही इफ़्तार कर ले ! अगर किसी ने ऐसा किया तो रोज़ा जाता रहेगा !
यूँही सहरी में ताखीर से मुराद यह है कि आखीर वक्‍त में सहरी खायें ! ऐसा नहीं कि  सहरी का वक्‍त खत्म होने के बाद भी खाते रहें !

jummah mubarak – जुमे की फजीलत

0

Hits: 9

अस्सलामो अलैकुम मेरे प्यारे प्यारे भाइयो और बहनो – सबसे पहले जुम्मा मुबारक ( jummah mubarak) !

आज की पोस्ट में हम जानेंगे जुम्मा की फ़ज़ीलत और जुम्मा की नमाज़ के वारे में ! जैसा की आप सब जानते है की जुम्मा का मुबारक दिन  सभी दिनों का सरदार है !

नमाज़ ए जुमा ( शुक्रवार की नमाज) – Namaz-e-Jummah

••
जुमा की नमाज़ ( jummah ki namaz) बहुत जरुरी है और इसकी जुहर की नमाज़ से भी ज्यादा ताकीद की गई है।
हदीस शरीफ में है कि जो शख़्स तीन जुम्मे सुस्ती की वजह से छोड दे अल्लाह उसके दिल पर मुहर लगा देता है और एक रिवायत के अनुसार उसको मुनाफिक और काफिर भी कहा गया है।
••

** जुमे की फजीलत ** jummah mubarak ki Fazilat

जुमे के दिन की फजीलत ये है कि ये हफ्ते के सारे दिनों का सरदार है।
इस दिन हजरत आदम अलैहिस्सलाम को पैदा किया गया,
उनको जन्नत में दाखिल किया गया और इसी दिन जन्नत से दुनिया मे भेजा गया।
इसी दिन उनकी तौबा कुबूल हुई तथा वफ़ात भी इस दिन ही हुई।
जुम्मे के दिन एक एसी घड़ी है जिसमें हर दुआ मकबूल होती है।
हमे चाहिए कि जुम्मे के दिन कसरत से रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद भेजें।
••
jummah mubarak
jummamubarak

** नमाजे जुमा की रकात **

जुम्मे की नमाज में 14 रकात पढी जाती है। और 4- सुन्नत।
ताकीद की गई 2- फर्ज 4- सुन्नत ताकीद की गई 2- सुन्नत ताकीद की गई 2- नफिल।
••

** नमाजे जुमा की शर्त ** Namaz e Jummah Condition

जुम्मा फर्ज होने की छ: शर्त है इनमें से एक भी न पाई जाए तो जुम्मा ( jummah) नही होगा।
1- शहर या बडा कस्बा जहां जरूरियात का सभी सामान मिलता हो। शहर से दूर गांव के लोगों को चाहिए की जुम्मे की नमाज शहर में पढ़े।
2- जुम्मा ( jummah) पढाने वाला इमाम सही अकीदा रखता हो जिसको उस दौर के सुल्तान और आलिम और फुकहा के साथ साथ सभी अवाम ने चुना हो।
3- जुहर का वक़्त हो,अगरचे कायदे में​ अत्तहिय्यात के दोरान भी असर का वक़्त हो जाए तो जुमा बातिल हो गया अब जुहर कजा पढ़े।
4- जुमे का खुतबा जुहर के वक़्त में और ऐसे लोगों के सामने हो जिन पर जुमा ( jummah)  वाजिब हो और इतनी आवाज में हो की सब लोग आसानी से सुन सकें।
5- जमाअत यानी इमाम के अलावा कम से कम तीन मर्द हो।
6- आम इजाजत यानी मस्जिद का दरवाजा खोल दिया जाए कि जिस मुसलमान का जी चाहे आ सके कोई रोक टोक न हो।
••
जुम्मे ( jummah) की दूसरी अजान जुम्मे ( jummah)  की दूसरी अजान खतीब या इमाम के सामने यानी उसकी मोजूदगी में कही जाए और इतनी आवाज से कि जिसने पहली अजान न सुनी हो वह भी सुन ले और नमाज के लिए आ मस्जिद के अंदर दूसरी अजान को उलमाए किराम ने मकरुह करार दिया है।
खुतबा खत्म होने के फोरन बाद इकामत कही जाए,
खुतबा और इकामत के दोरान बात करना मकरुह है।
••

** जुम्मा वाजिब होने की शर्त **

जुमा वाजिब होने के लिये कुछ शर्तें इनमें से एक भी न पाई जाए तो जुमा ( jummah)  फर्ज तो न होगा फिर भी कोई पढना चाहे तो अदा हो जाएगा।
1- शहर में मुकीम हो मुसाफिर पर जुमा फर्ज नही।
2- सेहतमंद हो, ऐसा मरीज जो जुम्मे की जगह तक न जा सकता हो या बीमारी बढने का डर हो तो उस पर जुम्मा ( jummah)  फर्ज नही।
3- आजाद हो किसी का गुलाम न हो।
4- मर्द हो ओरत पर जुमा फर्ज नही।
5- बालिग हो।
6- आकिल हो ओर बालिग हो ये दोनों शराइत हर इबादत के लिये जरुरी हे।
7- आंखें सही हो ओर अपाहिज न हो। लिहाज़ा अंधे पर जुम्मा ( jummah) फर्ज नही।
हां जो अंधा शख्स बिना तकलीफ के बाजार या इधर उधर आ जा सकता हो और जुम्मे की अजान के वक्त बा वजू मस्जिद में मोजूद हो उस पर जुमा ( jummah)  फर्ज है।
8- कैद मे न हो।
9- किसी जालिम बादशाह या चोर लुटेरो का खोफ हो।
10- तूफान सर्दी या तेज बारिश से नुकसान का डर हो..
एक बार फिर से आप सभी लोगों को जुम्मे की बहुत बहुत मुबारकबाद jummamubarak
Hazrat ALi Ki Anmol Baate / Hazrat Ali Quotes In Hindi